अनुराग ठाकुर : काबिलियत से बड़ा राजनीतिक रसूख!

शराफत खान
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के दूसरे सबसे युवा अध्यक्ष अनुराग ठाकुर का यहां तक का सफर बहुत ही तेज़ और कामयाबी भरा रहा है। केवल 26 साल की उम्र में हिमाचल क्रिकेट बोर्ड का अध्यक्ष पद संभालने के बाद अब वे बीसीसीआई के दूसरे सबसे युवा अध्यक्ष भी बन गए हैं। 
 
क्या अनुराग में सचमुच इतनी प्रतिभा है कि उन्हें दुनिया के सबसे धनाढ्य क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख की कुर्सी पर बैठा दिया गया या फिर भारतीय क्रिकेट में उनसे काबिल अब कोई है ही नहीं? या फिर भारतीय क्रिकेट की उन्नति का जो विज़न अनुराग के पास है, वह सौ, डेढ़ सौ टेस्ट खेल चुके भारत के कई पूर्व कप्तानों के पास भी नहीं है? 
 


कहीं ऐसा तो नहीं है कि बीसीसीआई के अध्यक्ष जो अनुराग बने हैं तो वे क्रिकेट प्रशासक से कहीं पहले एक राजनीतिज्ञ हैं, जो अपने राजनीति के प्रभाव से क्रिकेट के तमाम दिग्गजों को पीछे छोड़कर क्रिकेट बोर्ड पर काबिज हो गए हैं। 
 
अनुराग का अब तक का ‍सांसद से लेकर क्रिकेट बोर्ड के मुखिया का सफर इसलिए आसान रहा है कि उन्होंने अपने पिता के राजनीतिक रसूख का पूरी तरह उपयोग किया।

साल 2000 में अनुराग अपने पिता प्रेम कुमार धूूमल के प्रभाव से 25 साल की छोटी उम्र में हिमाचल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बन गए, परंतु उन्हें तो भारतीय क्रिकेट बोर्ड में जाना था, लेकिन यहां उनके लिए एक बात आड़े आ रही थी। तत्कालीन बोर्ड प्रशासक जगमोहन डालमिया ने यह अनिवार्य कर दिया था कि राष्ट्रीय जूनियर चयन समिति के सदस्य के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेला हुआ होना आवश्यक है।

इसीलिए अनुराग अचानक ही हिमाचल टीम के कप्तान बन गए और एक प्रथम श्रेणी मैच खेला। इस तरह अनुराग की दखलअंदाज़ी के खिलाफ कोई कुछ न कर सका। वे उस मैच में 7 गेंद तक मैदान पर रहे लेकिन एक भी रन नहीं बना पाए। हालांकि गेंदबाजी में उन्होंने दो पुछल्ले बल्लेबाजों को आउट किया।
 
इस तरह अनुराग का बीसीसीआई में सफर शुरू हो गया। वेे प्रथम श्रेणी के खिलाड़ी बन चुके थे और इसीलिए वेे पहले जूनियर क्रिकेट में चयनकर्ता बने और फिर अपनी राजनीतिक पहुंच के बलबूते भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सबसे बड़े अधिकारी बन गए।
 
क्रिकेट प्रशासक के तौर पर हिमाचल क्रिकेट एसोसिएशन के धर्मशाला के क्रिकेट स्टेडियम को भव्य बनाने का सारा श्रेय अनुराग को दिया जाता है। 
 
बीसीसीआई के प्रमुख पद पर आने के बाद अनुराग की असली परीक्षा होगी। उनके विरोधी उनके इस सफर की कहानी की चर्चा जरूर कर रहे हैं।   
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