जासूसी कांड में फंसे श्रीनिवासन गुट पर लटकी तलवार

Webdunia
शुक्रवार, 20 नवंबर 2015 (15:06 IST)
मुंबई। शशांक मनोहर के नेतृत्व वाले भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन और उनके समर्थकों से कथित विरोधी अधिकारियों के खिलाफ ब्रिटिश कंपनी से जासूसी कराने और इस पर करीब 6 करोड़ रुपए की भारी-भरकम राशि खर्च करने के मामले में सफाई मांगी है।


बीसीसीआई ने श्रीनिवासन और उनके करीबी 2 अधिकारियों से इस मामले में सफाई देने को कहा है। मुंबई में गुरुवार को बोर्ड की बुलाई गई आपात बैठक में इन अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 के दौरान ब्रिटेन स्थित सुरक्षा एवं जांच से जुड़ी पेज प्रोटेक्टिव सर्विस कंपनी को बोर्ड में कथित तौर पर श्रीनिवासन के विरोधी खेमे के कुछ अधिकारियों पर निगरानी रखने के लिए नियुक्त किया गया था।

इस कंपनी पीपीएस ने स्वयं भी इस बात को स्वीकार किया है कि बीसीसीआई ने इस समयसीमा के दौरान उसकी सेवाएं ली थीं। 9 नवंबर को बीसीसीआई की आम वार्षिक बैठक में भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी। मामले की जांच के लिए अजय शिर्के और जी. गंगाराजू के नेतृत्व में 2 सदस्यीय समिति भी गठित की गई है।

बताया जा रहा है कि शिर्के और गंगाराजू ने इस मामले में कथित तौर पर शामिल पूर्व सचिव संजय पटेल और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी से इस बाबत मुलाकात की है। दोनों ही पूर्व अधिकारियों को श्रीनिवासन का खास माना जाता था लेकिन आईपीएल-6 भ्रष्टाचार मामले में अपनी कुर्सी गंवाने वाले श्रीनिवासन की सत्ता छिनने के बाद पटेल और अनिरुद्ध ने भी अपनी कुर्सी गंवा दी थी।

बोर्ड की एजीएम में श्रीनिवासन को उनके अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के चेयरमैन पद से भी हटा दिया गया था। उनकी जगह मौजूदा बोर्ड अध्यक्ष मनोहर को इस पद पर चुना गया है, जो श्रीनिवासन के बाकी बचे कार्यकाल को वैश्विक संस्था में पूरा करेंगे।

बोर्ड के दूसरी बार अध्यक्ष बने मनोहर बीसीसीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने और हितों के टकराव पर फिलहाल सख्ती से काम कर रहे हैं और श्रीनिवासन धड़े के भी धुर विरोधी माने जाते हैं। समझा जाता है कि इस मामले में पटेल ने कंपनी को भुगतान की अनुमति और चौधरी ने राशि जारी की थी।

गौरतलब है कि वर्ष 2013 के आईपीएल-6 संस्करण में ही भ्रष्टाचार और स्पॉट फिक्सिंग कांड का खुलासा हुआ था जिसमें दामाद गुरुनाथ मयप्पन के सट्टेबाजी में संलिप्त पाए जाने के बाद श्रीनिवासन पर बीसीसीआई का अध्यक्ष पद छोड़ने का भारी दबाव था।

उच्चतम न्यायालय ने इस दौरान हितों के टकराव और जांच प्रभावित होने के डर से शिवलाल यादव को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त कर श्रीनिवासन को जांच पूरी होने तक बोर्ड की गतिविधियों से दूर रहने को कहा था। (वार्ता)
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