नई दिल्ली:भारत के पूर्व तेज गेंदबाज इरफान पठान आलराउंडर दीपक हुड्डा के क्रिकेट के प्रति जुनून की तुलना कैंडी स्टोर में खड़े बच्चे से करते हैं। वह केवल क्रिकेट के मैदान पर खेल का भरपूर आनंद लेना चाहते हैं।भारत के पूर्व आलराउंडर पठान ने कहा, वह क्रिकेट खेलने का भरपूर आनंद लेता है।
हुड्डा के लिये वर्ष 2021 घटनाप्रधान रहा। कप्तान क्रुणाल पंड्या के साथ झड़प के बाद उन्होंने बड़ौदा की टीम छोड़ दी थी लेकिन उन्हें जिस भी टूर्नामेंट में खेलने का मौका मिला उसमें उन्होंने प्रभावशाली प्रदर्शन किया और अब उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली श्रृंखला के लिये पहली बार भारतीय वनडे टीम में शामिल किया गया है।
इस बल्लेबाजी आलराउंडर को 2017 में भारत की टी20 टीम में चुना गया था लेकिन उन्हें खेलने का मौका नहीं मिला था। भारत अब मध्यक्रम में बल्लेबाजी आलराउंडर की तलाश में है और ऐसे में इस 26 वर्षीय खिलाड़ी को अगले महीने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण का मौका मिल सकता है।
क्रुणाल पांड्या ने की थी बेइज्जती
हुड्डा के लिये पिछले 12 महीने उतार चढ़ाव वाले रहे लेकिन उन्होंने अपने करियर के बुरे दौर से उबरने के लिये गजब की मानसिक मजबूती दिखायी। क्रुणाल के साथ बहस के बाद बड़ौदा टीम के होटल से बाहर निकलने के छह महीने बाद हुड्डा 2021-22 सत्र से पहले एक पेशेवर के तौर पर राजस्थान से जुड़े।
प्रथम श्रेणी टूर्नामेंट में बरोड़ा की टीम के लिए खेलने वाले दीपक हुड्डा को बेइज्जती झेलनी पड़ी थी। कप्तान क्रुणाल पांड्या से हुई बहस के कारण उनको पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था। गौरतलब है कि साल के शुरुआत में हुई सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान दीपक हुड्डा और बरोड़ा के कप्तान क्रुणाल पांड्या में बहस बहुत बढ़ गई थी जिसके बाद वह टीम के बायो सेक्योर बबल से बाहर चले गए थे। इसके चलते उनको बरोड़ा क्रिकेट असोसिएशन ने पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया था।
इस पर हुड्डा ने कहा था कि पांड्या ने उनको बरोड़ा के टीम के खिलाड़ियों के सामने गाली गलौच की थी और यह भी कहा था कि उनको कभी भी बरोड़ा की टीम में वापस नहीं खेलने देंगे।
अमूमन छोटी टीमों से जुड़ने वाले बाहरी खिलाड़ी को मैच शुल्क के अलावा अतिरिक्त भुगतान भी किया जाता है लेकिन हुड्डा के लिये पैसा महत्वपूर्ण नहीं था और इसलिए उन्होंने कभी राजस्थान क्रिकेट संघ (आरसीए) के अधिकारियों से इस बारे में बात नहीं की।
वह खेल के मैदान पर लौटने के लिये बेताब थे और राजस्थान को भी उनके जैसे अच्छे खिलाड़ी की जरूरत थी। ऐसे में यह दोनों पक्षों के लिये यह फायदे की बात थी।
आरसीए के सचिव महेंदर शर्मा ने पीटीआई से कहा, वह केवल खेलना चाहता था। उसने कभी पैसे की बात नहीं की जैसा कि पेशेवर खिलाड़ी अमूमन करते हैं। हम जानते थे कि वह किन परिस्थितियों से गुजरा है। यह दोनों पक्षों के लिये फायदे का सौदा था। हमें उसके जैसे बल्लेबाजी आलराउंडर की जरूरत थी जो स्थानीय खिलाड़ियों का भी मार्गदर्शन कर सके।
उन्होंने कहा, हमें खुशी है कि उसने हमारी तरफ से अच्छा प्रदर्शन किया जिससे उसे भारतीय टीम में चुना गया।
सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में चमके हुड्डा
हुड्डा सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में दूसरे स्थान पर थे। यह राजस्थान की तरफ से उनका पहला टूर्नामेंट था जिसके बाद विजय हजारे ट्राफी के लिये उन्हें कप्तान बनाया गया जहां उन्होंने कर्नाटक के खिलाफ शतक जमाया।
हुड्डा के लिये मार्गदर्शक रहे इरफान पठान ने कहा, यह सच्ची कहानी है। बहुत सी टीमें उसे चाहती थीं। उसे पैसे की परवाह नहीं थी। वह सिर्फ मैदान पर उतरकर खेलना चाहता था और वह इसी तरह का इंसान है। जब क्रिकेट खेलने की बात आती है तो वह कैंडी स्टोर में खड़े एक बच्चे की तरह है। वह क्रिकेट को बेइंतहा चाहता है।
उन्होंने कहा, वह अन्य फायदों की परवाह नहीं करता। आरसीए के पदाधिकारी भी हैरान थे कि उसने पैसे की बात ही नहीं की। वह व्यावसायिक मसलों पर बात नहीं करता।