खेल के दम पर खुद को साबित करें : एकता बिष्ट

विवेक त्रिपाठी
भारतीय बाएं हाथ की स्पिनर खिलाड़ी हैं एकता बिष्ट, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय जगत में अपने खेल की वजह से जगह बनाई है। वे जीवन में संघर्ष करते हुए आज महिलाओं के लिए रोल मॉडल का काम कर रही हैं। सीमित संसाधनों में भी उन्होंने अपने को खरा उतारा है। जिस साल भारत की पुरुष क्रिकेट टीम ने आईसीसी वनडे विश्व कप जीता था, उसी साल (2011) एकता ने भी भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह बनाकर इतिहास बनाया था।


एकता बिष्ट अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की साल 2017 की वनडे और टी-20 टीम दोनों में जगह बनाने वाली इकलौती भारतीय खिलाड़ी हैं। आईसीसी महिला वर्ल्ड कप का 11वां मैच भारत और पाकिस्तान के बीच खेला गया जिसमें एकता बिष्ट की गेंदबाजी फिरकी के जादू ने पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए। पाक की धीरे-धीरे करके सारी टीम बिखर गई। इस मैच की हीरो विष्ट ही साबित हुई। इसके साथ ही बिष्ट 1 ही साल में वनडे में 2 बार 5 विकेट लेने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। उन्हें इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने खेलरत्न से नवाजा है। उनसे इन्हीं सब मुद्दों पर प्रस्तुत है बातचीत :

आपकी किक्रेट में रुचि कैसे पैदा हुई?
मेरी बचपन से इस खेल के प्रति रुचि थी। अपने भाई और साथियों के साथ प्लास्टिक की गेंद से खेलने की शुरुआत की और साधनों की कमी तो बहुत थी, लेकिन मेरी खेल की लगन ने हमेशा मुझे आगे बढ़ाया। मेरे कोच लियाकत अली ने बहुत सहयोग किया। खेल में सबसे ज्यादा हौसले की जरूरत होती है। वह उन्होंने दिया बाकी घर के सहयोग ने मुझे यहां लाकर खड़ा किया। लियाकत अली ने हमारा आर्थिक सहयोग किया है। उन्होंने हमेशा ही हर खिलाड़ी को सदा आगे बढ़ने को ही कहा है।

भारत में महिला किक्रेट का क्या भविष्य है?
किसी भी खेल में अपने प्रदर्शन के बल पर ही साबित किया जा सकता है। यहां पर महिला किक्रेट का भविष्य अच्छा है। वर्ल्ड कप के प्रदर्शन के बाद से इस खेल की अहमियत बढ़ी है, सुविधाओं में भी इजाफा हुआ है, बीसीआई ने बहुत अच्छा रिस्पांस देना शुरू कर दिया है। इन्हें देखकर लग रहा है कि भविष्य अच्छा ही होगा। बेंच स्ट्रैंथ किक्रेट के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

अभी इस बारे में आपका क्या मानना है?
बेंच स्ट्रैंथ वास्तव में हमारी बहुत मजबूत है। सुविधाएं बढ़ रही हैं जिसका फायदा आगे आने वाले खिलाड़ियों को मिलेगा और वे सफल साबित होंगे।

भारतीय पुरुष टीम को काफी तवज्जो मिलती है, सुविधाएं मिलती हैं, लेकिन महिला टीम को उतनी तवज्जो नहीं मिलती, इस पर आपका क्या कहना है?
धीरे-धीरे सभी चीजों में बदलाव आ रहा है। हमारी टीम के प्रदर्शन ने महिला टीम को अच्छे मुकाम पर पहुंचा दिया। हमारे कुछ साथियों को विज्ञापन भी मिलने लगे हैं। सुविधाएं भी धीरे-धीरे बढ़ने लगी हैं। बीसीसीआई काफी सीरियस होकर हम पर ध्यान देता है। यह सब कुछ खेल के प्रदर्शन पर ही निर्भर करता है।

पहाड़ों में महिला क्रिकेट को कैसे बढ़ावा मिले, इसे लेकर आप कुछ कर रही हैं?
उत्तराखंड में मैदान से लेकर स्टेडियम व एकेडमी के साथ-साथ कई सुविधाएं नहीं हैं। संसाधनों की कमी बहुत है। इसके सुधार के लिए प्रदेश सरकार को भी कदम उठाना चाहिए। मुझसे जो सहयोग होगा, मैं करूंगी। वहां के लोगों को सिखाने के लिए भी मैं तैयार हूं। राजनेताओं को भी इस बारे में ध्यान देना होगा।

महिला आईपीएल को लेकर चर्चा बहुत है, क्या यह हो सकता है?
अभी इसमें समय जरूर लग सकता है, परंतु यह संभव है। एक दिन जरूर महिला आईपीएल होगा। इसे लेकर हम आशान्वित हैं। आईपीएल का आयोजन होगा तो घरेलू खिलाड़ियों को अच्छा एक्सपोजर मिलेगा।

कभी लड़की होने की वजह से आपसे भेदभाव हुआ क्या?
नहीं, ऐसा अभी तक कुछ नहीं हुआ। हां, बल्कि जबसे हमारी टीम ने खेल का प्रदर्शन अच्छा किया है, उससे हमारा मान-सम्मान बढ़ा और लोगों के बीच खेल को सराहा जा रहा है। इससे ज्यादा और क्या चाहिए?

क्या महिला क्रिकेट से कुछ बदलाव आया?
जी, जरूर आया है। वे मानती हैं कि अब और लड़कियां क्रिकेट या दूसरे खेलों में करियर बनाने की सोच सकती हैं। इसमें तमाम प्रकार के और भी अवसर प्राप्त होंगे। अब लड़कियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, इस बात का हमें ख्याल रखना चाहिए।

आप कुछ संदेश देना चाहती हैं?
हां, मेहनत करके ही आगे बढ़ा जा सकता है इसलिए जो भी कीजिए, उसे प्रसन्न मन से कीजिए। मेहनत का फल जरूर मिलता है।

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