2 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में कुलदीप यादव ने बेहतरीन वापसी की थी। पहली पारी में उन्होंने 5 विकेट तो दूसरी पारी में 3 विकेट लिए थे। यह ही नहीं उन्होंने बल्ले से नाजुक मौके पर 40 रन बनाए थे। लेकिन इतना सब करने के बाद भी भारत के कप्तान केएल राहुल ने बताया कि पिछले मैच में आठ विकेट लेने वाले कुलदीप यादव की जगह जयदेव उनाडकट टीम में आये है।
राहुल ने टॉस के बाद कहा, "हमने भी पहले बल्लेबाजी की होती। पिच पर कुछ घास है जो आप देख सकते हैं, लेकिन आमतौर पर यहां बल्लेबाजी करना अच्छा होता है। यहां आम तौर पर कुछ उछाल होता है और तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों को कुछ मदद मिलती है। बस अच्छी क्रिकेट खेलने की कोशिश करेंगे। पहली पारी में अच्छी गेंदबाजी करने की जरूरत है। हमने एक बदलाव किया है। कुलदीप टीम से बाहर हैं और उनादकट आये हैं। हमारे लिये उन्हें (कुलदीप) बाहर छोड़ना मुश्किल फैसला था लेकिन यह उनादकट के लिये एक अवसर है।
The wrist-spinner bagged a third fer in his short Test career of just 8 matches & also registered the best figures of 5/40 by an India spinner in
पहले टेस्ट में शुरू में वह थोड़ा नर्वस थे लेकिन जब कुलदीप यादव ने गेंद पर ग्रिप बना दी तो फिर उन्हें किसी भी समय ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने लगभग दो साल तक टेस्ट क्रिकेट नहीं खेली।बाएं हाथ के कलाई के स्पिनर कुलदीप ने बांग्लादेश के खिलाफ पहले टेस्ट क्रिकेट मैच में भारत का दबदबा बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 40 रन देकर पांच विकेट लिए जिससे बांग्लादेश की टीम पहली पारी में 150 रन पर आउट हो गई।कुलदीप ने पत्रकारों से कहा, कहने के लिए तो दो साल (22 महीने) हैं पर मुझे कभी महसूस नहीं हुआ।
कुलदीप ने यूएई में खेले गए इंडियन प्रीमियर लीग 2021 के दूसरे चरण से ठीक पहले घुटने का ऑपरेशन करवाया था जिसके कारण वह लंबे समय तक खेल से बाहर रहे।
उन्होंने कहा, अगर मैं चोट से उबरने के बाद क्रिकेट नहीं खेलता तो फिर मुझे संघर्ष करना पड़ता। लेकिन पिछले एक साल में मैं लगातार सीमित ओवरों क्रिकेट खेल रहा हूं और मैंने न्यूजीलैंड (ए श्रृंखला) के खिलाफ लाल गेंद से भी क्रिकेट खेली।कुलदीप ने कहा, उस श्रृंखला में मैंने लंबे स्पेल किए थे। अगर आप राष्ट्रीय टीम के साथ हैं तो फिर दबाव महसूस नहीं करते।
उन्होंने कहा, मेरी गेंदबाजी शैली के कारण मुझे एक प्रारूप से दूसरे प्रारूप में तालमेल बिठाने में परेशानी नहीं होती। यह अलग बात है कि जब आप टेस्ट मैचों में गेंदबाजी करते हैं तो आप हो नियंत्रण बनाए रखने की जरूरत होती है। आपको विकेट हासिल करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है क्योंकि बल्लेबाज के पास क्रीज पर पांव जमाने और आपको परखने के लिए काफी समय होता है।