पंत ने बताई अपनी खासियत, गेंद देखो और शॉट लगाओ...

Webdunia
शुक्रवार, 5 मार्च 2021 (19:10 IST)
अहमदाबाद। भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने शुक्रवार को कहा कि ज्यादातर मौकों पर उन्हें अपने शॉट्स खेलने का मौका मिल जाता था, लेकिन शुक्रवार को मैच की स्थिति को देखते हुए उन्हें अपनी शानदार पारी के दौरान स्ट्रोक्स खेलने से पहले क्रीज पर समय बिताना पड़ा।
 
पंत ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथे और अंतिम टेस्ट के दूसरे दिन 118 गेंद में 101 रन की पारी के दौरान 13 चौके और दो छक्के लगाए। जेम्स एंडरसन की गेंद पर लगाया गया रिवर्स स्वीप शॉट दिन का उनका सबसे बेहतरीन शॉट था।
 
स्टंप के बाद जब इस खास स्ट्रोक के बारे में पूछा गया तो पंत ने कहा कि आपको रिवर्स फ्लिक के लिए पहले से योजना बनानी होती है, लेकिन अगर भाग्य आपके साथ है तो आप जोखिम ले सकते हो।
 
उन्होंने कहा कि मुझे ज्यादातर समय पर ऐसा करने के लिए मौका मिल जाता था, लेकिन मुझे मैच की परिस्थिति को देखकर ही आगे बढ़ना था। मैं टीम को जीतते हुए देखना चाहता हूं और अगर ऐसा करते हुए दर्शकों का मनोरंजन हो जाये तो मैं खुश हूं।
 
पंत उस समय बल्लेबाजी करने उतरे जब मुश्किल पिच पर अन्य भारतीय बल्लेबाजों को रन जुटाने में मुश्किल हो रही थी। 23 साल के इस खिलाड़ी ने जबरदस्त जज्बा दिखाते हुए क्रीज पर जमने में समय लिया और फिर आक्रामक शॉट्स खेले। उन्होंने डॉम बेस की गेंद पर छक्का जड़कर अपना शतक पूरा किया।
 
कुछ समय पहले तक पंत की गैर जिम्मेदाराना शॉट खेलने के लिए आलोचना की जाती थी, लेकिन उन्होंने कहा कि उन्हें मैच की परिस्थिति को देखते हुए सतर्क होना पड़ा।
 
पंत ने कहा कि अगर गेंदबाज अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं तो उनका सम्मान करो और एक एक रन बनाओ, मेरे दिमाग में यही था। मैं मैच की स्थिति के हिसाब से खेलना चाहता हूं और फिर गेंद को देखकर ही शॉट लगाता हूं- यही मेरे खेल की खासियत है। 
 
पंत ने सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा (49 रन) के साथ 41 रन की साझेदारी के बाद वाशिंगटन सुंदर (60 रन बनाकर खेल रहे हैं) के साथ 113 रन की साझेदारी निभाई। 
 
उन्होंने कहा कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए रोहित के साथ क्रीज पर था तो योजना एक भागीदारी बनाने की थी, मेरे दिमाग में सिर्फ यही चीज थी। मैं सोच रहा था कि पिच को देखकर ही अपने शॉट्स खेलूंगा। पंत ने कहा कि टीम की योजना इंग्लैंड के कुल स्कोर 206 रन तक पहुंचने की थी और फिर एक बल्लेबाजी इकाई के तौर पर जितने ज्यादा रन जोड़ सकें, बनाने की थी।
 

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