ह्यूज की मौत, पहले भी हुए हैं इस तरह के हादसे...

Webdunia
गुरुवार, 27 नवंबर 2014 (11:45 IST)
सिडनी। दक्षिण ऑस्ट्रेलिया टीम के 25 वर्षीय बल्लेबाज फिलिप ह्यूज शैफील्ड शील्ड मैच के दौरान एबोट की बाउंसर गेंद पर बुरी तरह जख्मी हो गए थे। ऑस्ट्रेलिया के लिए 26 टेस्ट खेल चुके ह्यूज की गुरुवार को मौत हो गई। यह कोई पहला हादसा नहीं है, क्रिकेट मैदान पर इससे पहले भी हादसे हुए हैं। ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी कोई खिलाड़ी मैदान पर चोटिल हुआ है। इस तरह के हादसे कई बार हो चुके हैं।

1998 में बांग्लादेश के खिलाफ खेलते फील्डिंग के दौरान भारत के रमन लांबा के सिर में गेंद लगी थी। इससे उनकी मौत हो गई थी।  बांग्लादेश में रमन लांबा जब पाइंट की दिशा में क्षेत्ररक्षण कर रहे थे, तब उनके भी सिर पर (बल्लेबाज के द्वारा शॉट खेलने पर) गेंद लगी थी और वे कोमा में चले गए थे।

कई दिनों तक जीवन और मौत से संघर्ष करने के बाद उन्हें बचाया नहीं जा सका था। लांबा की मौत के बाद ही नजदीकी फील्डरों ने हैलमेट लगाने की प्रथा शुरू की थी। अंपायर जैनकिंस की मौत के बाद संभव है कि आने वाले समय में अंपायर भी हैलमेट पहने नजर आएं।

पाकिस्तान के क्रिकेटर अब्दुल अजीज की सीने में गेंद लगने से अस्पताल ले जाते समय उनकी भी मौत हो गई थी। शोएब की गेंद की रफ्तार के आगे वर्ल्ड के सबसे महान बल्लेबाजों में से एक ब्रायन लारा तक चकमा खा चुके हैं। आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी-2004 सेमी फाइनल मुकाबला पकिस्तान और वेस्टइंडीज के बीच खेला गया था। इस मैच में शोएब अख्तर की एक गेंद ब्रायन लारा के सिर पर जा लगी। वह तो भला हो हेलमेट का, नहीं तो रफ्तार के बादशाह ने उस दिन लारा के सिर की धज्जियां लगभग उड़ा ही दी होती।
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ब्रेट ली ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 2008 में खेले गए एक मैच में चंद्रपाल को गेंद फेंकी। तेज गेंद होने के कारण चंद्रपाल को समझ नहीं आया और वे अपना जबड़ा चोटिल करवा बैठे।  वे 86 रन पर खेल रहे थे।

2009 में टैट की गेंद साउथ अफ्रीका के विस्फोटक बल्लेबाज एबी डिविलियर्स के पेट में लगी। डिविलियर्स को उम्मीद थी कि गेंद नीची रहेगी, लेकिन गेंद ने उछाल लिया और सीधे पेट में जा लगी। डिविलियर्स मैदान पर ही ढेर हो गए। काफी देर बाद वे संभले।
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एडिलेड के मैदान पर हुए टी20 मैच के दौरान जब ऑस्ट्रेलिया के धुरंधर खिलाड़ी एरोन फिंच बाउंड्री के करीब फील्डिंग कर रहे थे तो चौके के लिए एक गेंद को लेने वो बाउंड्री पार गए।

आमतौर पर आजकल इन मैचों में बाउंड्री के बाहर आगे फेंकने वाली मशीनें (फ्लेम बर्नर) रखी होती हैं जो कि हर बाउंड्री या विकेट के बाद आग फेंकते हुए कैमरे में आने वाली तस्वीरों को दिलचस्प बनाती हैं।

गेंद इसी मशीन के करीब जाकर गिरी थी। चौके के कुछ सेकेंड बाद तक जब मशीन से आग नहीं निकली तो फिंच को लगा कि अब शायद आग नहीं निकलेगी तो वो गेंद लेने आगे बढ़ चले। जैसे  ही फिंच गेंद के करीब आगे बढ़े और मशीन के करीब आए, उसी वक्त अचानक बर्नर से आग निकल पड़ी। गैस के जरिए ये आग इतनी रफ्तार से निकलती है कि फिंच अगर इसकी लपेट में आ जाते तो उनकी जान जोखिम में पड़ जाती।
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ऑस्ट्रेलिया में स्वानसी और लांगेनेश के मैच के दौरान 72 वर्षीय अंपायर एल्विन जैनकिंस की मैदान पर ही मौत हो गई थी। एक मैच के दौरान क्षेत्ररक्षक द्वारा फेंकी गई गेंद जैनकिंस के सिर से टकरा गई थी। सिर पर गेंद लगने से जैनकिंस मैदान पर ‍ही गिर गए।

बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। जैनकिंस पिछले 25 सालों से अंपायरिंग का ‍दायित्व निभा रहे थे। क्रिकेट मैदान पर किसी भी अंपायर की मौत होने की यह दुनिया में पहली घटना है। जैनकिंस के परिवार वाले इस घटना के बाद बेहद सकते में हैं और फिलहाल कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं।
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