बैंगलूरू में चिन्नास्वामी के मैदान पर मुंबई और मध्यप्रदेश के खिलाफ खेला जा रहा रणजी ट्रॉफी फाइनल अब बल्लेबाजी की पिच के लिए मुफीद लग रहा है। दो दिन में इस मैच में 3 शतक देखे जा चुके हैँ।
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	कल मुंबई के सरफराज खान ने शतक जड़ा। इसके बाद मध्यप्रदेश के सलामी बल्लेबाज यश दुबे ने शतक जड़ा और अब तीसरे नंबर के शुभम शर्मा ने भी शतक जड़ दिया है। शुभम शर्मा ने क्वार्टर फाइनल में भी मप्र के लिए शतक जड़ा था।
इन दोनों बल्लेबाजों की तरह ही शुभम शर्मा ने चौका जड़कर अपना शतक पूरा किया। शुभम ने 185 गेंदो में 101 रन बनाए। वह यश दुबे के साथ 200 से ज्यादा रनों की साझेदारी कर चुके।
									
										
								
																	भोजनकाल के बाद शभम शर्मा ज्यादा देर तक नहीं टिक सके और 215 गेंदो में 115 रन बनाकर चलते बने। उनका विकेट मोहित अवस्थी ने लिया।
									
											
									
			        							
								
																	मध्य प्रदेश ने कल के एक विकेट के नुकसान पर 123 रन से शुक्रवार को आगे खेलना शुरू किया। यश ने 44 रन और शुभम ने 41 रन से अपनी पारी को आगे बढ़ाया। दोनों ने अपनी साझेदारी को मजबूती से आगे बढ़ाया और मुम्बई के गेंदबाजों को हावी होने का कोई मौका नहीं दिया।
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	मुम्बई के 374 के जवाब में बल्लेबाज़ी करने उतरी एमपी की शुरुआत भी बढ़िया रही। उन्होंने दूसरे पूरे दिन में 41 ओवरों तक बल्लेबाज़ी की और 123 रन बनाए और सिर्फ़ एक ही विकेट गंवाया। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए तीसरे दिन दोनों बल्लेबाजों न ने न केवल अपने अर्धशतक पूरे किये बल्कि शतक पूरे करने के साथ साथ दोहरी शतकीय साझेदारी भी कर डाली।
									
			                     
							
							
			        							
								
																	मध्य प्रदेश का दूसरा विकेट मोहित अवस्थी को मिला जिन्होंने शुभम को विकेटकीपर के हाथों कैच कराया। मध्य प्रदेश का दूसरा विकेट 269 के स्कोर पर गिरा। यश ने रजत पाटीदार के साथ तीसरे विकेट के लिए 72 रन जोड़े।
यश 133 रन बनाकर टीम के 341 के स्कोर पर शम्स मुलानी की गेंद पर आउट हुए। लेकिन तब तक वह टीम को मजबूत स्थिति में पहुंचा चुके थे। तीसरा विकेट गिरने के बाद पाटीदार ने अपने कप्तान के साथ टीम को कोई और नुकसान नहीं होने दिया और मुम्बई के स्कोर के करीब पहुंच गए।