सरफराज खान के शतक की बदौलत मुंबई ने मध्यप्रदेश के खिलाफ 361 रनों तक पहुंचा दिया। आईपीएल 2022 में पंजाब किंग्स की ओर से खेलने वाले सरफराज खान को ज्यादा मौके नहीं मिले थे लेकिन आज उन्होंने रणजी में अपनी टीम के लिए एक बहूमूल्य पारी खेली।
मुंबई की टीम भोजनावकाश के बाद ऑल आउट हो गई। आखिरी विकेट सरफराज खान का ही गिरा। सरफराज खान मुंबई की ओर से सर्वाधिक स्कोर रहे। उन्होंने 243 गेंदो में 134 रन बनाए। वहीं उनका विकेट लेने वाले गौरव यादव ने 106 रन देकर सर्वाधिक 4 विकेट लिए।
सरफराज ने इस रणजी सीज़न का चौथा शतक बनाया और आसमान को इशारा करते हुए थाई-फ़ाइव। यह सरफ़राज़ ख़ान का शतक पूरा करने के बाद जश्न मनाने का अंदाज़ था। इसके बाद वह पवेलियन की ओर बल्ला दिखाते हुए थोड़ा भावुक भी हुए।
यह प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सरफ़राज़ का आठवां शतक था, जिसमें से वह सिर्फ़ दो में ही 150 का आंकड़ा छू नहीं पाए हैं। लेकिन इसे सरफराज़ के अब तक के करियर का सबसे महत्वपूर्ण शतक कहा जा सकता है क्योंकि यह तब आया जब मध्य प्रदेश की गेंदबाज़ी के सामने मुंबई का मध्यक्रम लड़खड़ाता हुआ दिख रहा था।
औसत है सिर्फ डॉन ब्रैडमेन से कम
2019-20 के पिछले रणजी सीज़न में सरफ़राज़ ने नौ पारियों में 928 रन बनाए थे। इस सीज़न में भी वह आठ पारियों में 133.85 के औसत के साथ 937 रन बना चुके हैं। कम से कम 2000 प्रथम श्रेणी रन बनाने वाले बल्लेबाज़ों में उनका औसत (82) सिर्फ़ सर डॉन ब्रैडमेन से ही कम है।
पिता ने दी थी मयंक अग्रवाल की तरह खेलने की सलाह
इस सीज़न से पहले सरफ़राज़ के अब्बू नौशाद ख़ान ने उनसे 'मयंक की तरह' फिर से सीज़न बनाने को कहा था। 'मयंक की तरह' से मतलब जिस तरह से 2017-18 सीज़न में बड़े-बड़े शतक लगाकर कर्नाटक के मयंक अग्रवाल ने टीम इंडिया में जगह बनाई थी, कुछ उस तरह ही। सरफ़राज़ ने अपने अब्बू से किया गया वह वादा पूरा किया है। लेकिन सरफ़राज़ का यह प्रदर्शन और भी विशेष है क्योंकि मयंक सलामी बल्लेबाज़ी करते हैं, जहां उनके पास बल्लेबाज़ी करने का पर्याप्त मौक़ा होता है।
वहीं सरफ़राज़ मध्य क्रम में नंबर पांच पर आते हैं, जहां पर कभी-कभी तो बल्लेबाज़ी के भरपूर मौक़े होते हैं लेकिन कभी-कभी उन्हें पुछल्ले बल्लेबाज़ों के साथ पारी को संभालना होता है। इस पारी के दौरान भी मुंबई 248 रन पर छह विकेट खोकर बैकफ़ुट पर ही थी, लेकिन सरफ़राज़ ने निचले क्रम के बल्लेबाज़ों के साथ पारी को संभाला और ना सिर्फ़ अपना शतक पूरा किया बल्कि अपनी टीम को 374 रन के चुनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाया।
फ़ाइनल में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही खेल दिखाया। जब पहले दिन का खेल समाप्त हुआ तब सरफ़राज़ 40 रन पर थे। 125 गेंद खेल कर उन्हें पता चल गया था कि पिच कैसी खेल रही है। जब दूसरे दिन की दूसरी ही गेंद पर शम्स मुलानी का विकेट गिरा तब मुंबई की पारी को एक सम्मानजनक और चूनौतीपूर्ण स्कोर तक पहुंचाने की सारी ज़िम्मेदारी सरफ़राज़ के ऊपर ही आ गई।
एक विकेट जल्दी गिर जाने के बाद सरफ़राज़ ने संभल कर खेलना शुरू किया। मुंबई ने दिन के पहले आठ ओवर में सिर्फ़ 10 रन बनाए। मध्य प्रदेश के तेज़ गेंदबाज़ों ने ऑफ़ स्टंप के बाहर लगातार गेंदबाज़ी कर उन्हें पहले स्लिप कॉर्डन में आउट कराने की कोशिश की और बीच-बीच में स्टंप में गेंद डालकर उन्हें पगबाधा करने का भी प्रयास किया। लेकिन सरफ़राज़ नियंत्रित शॉट लगाकर गेंदबाज़ों को निराश करते रहे।
152 गेंदों पर अर्धशतक लगाने के बाद सरफ़राज़ ने अपना हाथ खोलना शुरू किया। तब तक मुंबई सात विकेट गंवा चुकी थी। हालांकि इसके बाद भी मुंबई को पारी आगे बढ़ाने की कोई जल्दी नहीं थी। जब बाएं हाथ के स्पिनर कुमार कार्तिकेय आएं तो सरफ़राज़ ने उन पर आक्रमण करते हुए कुछ ख़ूबसूरत स्वीप लगाए। वहीं तेज़ गेंदबाज़ों के स्विंग और सीम को ख़त्म करने के लिए उन्होंने क्रीज़ से दो क़दम आगे रहकर बल्लेबाज़ी की। जल्द ही स्लिप कॉर्डन हट गया था और फ़ील्ड छितरा दी गई थी।
सरफ़राज़ ने स्लिप के ऊपर रैंप शॉट लगाकर 90 में प्रवेश किया और फिर चौका लगाकर अपना शतक पूरा किया। उन्हें अपना दूसरा पचास पूरा करने में सिर्फ़ 38 गेंद लगे। वह 134 पर आउट होने वाले मुंबई के आख़िरी बल्लेबाज़ थे, लेकिन तब तक उन्होने अपना काम पूरा कर दिया था।