विराट की टीम को सीमित ओवरों में परेशानी में डाल सकती है 1985 की भारतीय टीम : शास्त्री

Webdunia
मंगलवार, 5 मई 2020 (22:03 IST)
नई दिल्ली। रवि शास्त्री का मानना है कि 1985 में एकदिवसीय मैचों में खेलने वाली भारतीय टीम इतनी मजबूत थी कि वह विराट कोहली की अगुवाई वाली वर्तमान टीम को भी परेशानी में डाल सकती थी। शास्त्री 1985 की उस टीम का अहम हिस्सा थे जिसने सुनील गावस्कर की अगुवाई में क्रिकेट विश्व चैंपियनशिप जीती थी। 
 
वह ऑस्ट्रेलिया में खेली गई इस चैंपियनशिप में भारतीय जीत के नायक थे और उन्हें टूर्नामेंट का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुने जाने पर तब मशहूर ‘ऑडी’ कार मिली थी। वह अब भी भारतीय क्रिकेट में मुख्य कोच के महत्वपूर्ण पद पर कार्यरत हैं और उन्होंने विश्व क्रिकेट में टीम के तीनों प्रारूपों में अच्छे प्रदर्शन में भी अहम भूमिका अदा की है। 
 
शास्त्री ने ‘सोनी टेन पिटस्टॉप’ कार्यक्रम के दौरान कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं। वह (1985 की टीम) सीमित ओवरों की किसी भी भारतीय टीम को कड़ी चुनौती पेश करेगी। वह 1985 की टीम वर्तमान टीम को भी परेशानी में डाल देगी।’ शास्त्री का इसके साथ ही मानना है कि 1985 की टीम 1983 में विश्व कप जीतने वाली टीम से बेहतर थी क्योंकि उसमें युवा और अनुभव का अच्छा मिश्रण था। उन्होंने कहा, ‘मैं तो यहां तक मानता हूं कि 1983 की तुलना में 1985 की टीम अधिक मजबूत थी।’ 
 
शास्त्री ने कहा, ‘आप जानते हैं कि मैं दोनों टीमों का हिस्सा था। मैं 1983 विश्व कप में खेला था और 1985 में अगर आप प्रत्येक खिलाड़ी पर गौर करो तो उसमें 1983 के 80 प्रतिशत खिलाड़ी शामिल थे। लेकिन इस बीच टीम में शिवरामकृष्णन, सदानंद विश्वनाथ, अजरूद्दीन जैसे युवा खिलाड़ी आ गए थे। हमारे पास पहले से अनुभवी खिलाड़ी थे और इनके जुड़ने से टीम शानदार बन गई।’ 
 
शास्त्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में 2018-19 में 71 वर्षों में पहली बार टेस्ट श्रृंखला जीतना विशेष रहा लेकिन जब सीमित ओवरों की क्रिकेट की बात आती है तो 1985 का कोई जवाब नहीं।उन्होंने कहा, ‘इन दोनों टीमों का हिस्सा होना शानदार है। ऑस्ट्रेलिया को उसकी सरजमीं पर हराना बहुत मुश्किल था क्योंकि कोई एशियाई टीम 71 वर्षों से ऐसा नहीं कर पाई थी।’ 
 
शास्त्री ने 1985 में पाकिस्तान के खिलाफ होने वाले फाइनल से पहले की टीम बैठक का किस्सा भी साझा भी किया। उन्होंने कहा, ‘कपिल ने कहा कि अगर मैं कार जीतता हूं तो मैं 25 प्रतिशत (कार बेचने के बाद मिलने वाली राशि का) रखूंगा और बाकी साझा करना होगा। इसके बाद जिम्मी (मोहिंदर अमरनाथ) ने कहा, ‘यार जिसको मिला, मिला’। जब मेरी बारी आयी तो मैंने कहा, अगर मैं जीता तो मैं कार अपने पास रखूंगा। मैं केवल स्टेपनी ही साझा कर सकता हूं।’ (भाषा)

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