दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी के नाम पर होने से देशभर में बवाल मचा हुआ है। विपक्षी नेता जहां इस स्टेडियम का नाम बदलकर मोदी के नाम पर रखने पर सवाल उठा रहे हैं तो क्रिकेटप्रेमियों के मन में भी सवाल उठ रहा है कि देश में अभी तक किसी भी क्रिकेटर के नाम पर कोई स्टेडियम क्यों नहीं है?
देश में राजनीतिज्ञों, क्रिकेट प्रशासकों के नाम पर कई स्टेडियम बनाए गए। जवाहर लाल नेहरू के नाम पर 9, इंदिरा गांधी के नाम पर 3 स्टेडियम है। आईएस बिंद्रा, वानखेड़े, एमए चिदंबरम जैसे क्रिकेट प्रशासकों के नाम पर भी स्टेडियम बनाए गए लेकिन जिन्होंने मैदान में अपने प्रदर्शन के बल पर खेल को जन जन तक पहुंचाया, उन खिलाड़ियों को इस मामले में पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर समेत कई क्रिकेटरों के नाम पर स्टेडियम में स्टैंड और गेट जरूर बनाए गए हैं। अन्य खेलों में भी मेजर ध्यानचंद, केडी सिंह बाबू, कैप्टन रूप सिंह आदि नामों को छोड़ दे तो खिलाड़ियों के नाम पर ज्यादा स्टेडियम नहीं है।
खेल मंत्री ने इस तरह दी सफाई: खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को सरदार पटेल क्रिकेट स्टेडियम का नामकरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर करने का बचाव करते हुए कहा कि पूरा खेल परिसर अब भी देश के पहले गृहमंत्री के नाम पर है।
रीजीजू ने ट्विटर पर कहा, '2007 में सोनिया गांधी अरूणाचल प्रदेश आई थीं और अरूणाचल विश्वविद्यालय का नाम बदलकर राजीव गांधी विश्वविद्यालय कर दिया। राजीव गांधी पोलिटेक्निक की नींव रखी जबकि इंदिरा गांधी पार्क, राजीव गांधी स्टेडियम, नेहरू म्यूजियम, जवाहर लाल नेहरू कॉलेज है और इसकी सूची अंतहीन है...'
गांधी परिवार के नाम 22 बड़े स्टेडियम : भाजपा नेता अमित मालवीय ने भी कहा कि राहुल गांधी को याद नहीं है कि देश में 22 बड़े स्टेडियमों का नाम उनके पिता राजीव गांधी, दादी इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के नाम पर हैं जो उनके पिता के नाना हैं।
मालवीय ने कहा कि समस्या सिर्फ इसलिए है क्योंकि सरदार वल्लभभाई पटेल स्पोर्ट्स एन्क्लेव में कई सुविधाओं में से एक क्रिकेट स्टेडियम का नाम मोदी के नाम पर रखा गया है। अडानी छोर तब का है जब गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन पर कांग्रेस नेताओं का कब्जा था।
राहुल का दावा : पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि स्टेडियम का नाम प्रधानमंत्री के नाम पर होने, दो छोर के नाम कार्पोरेट घरानों के नाम पर होने और गृह मंत्री अमित शाह के पुत्र की क्रिकेट प्रशासन में शामिल होने से सच्चाई सामने आ गई है।