तेंदुलकर ने यहां केएससीए के प्लेटिनम जुबली समारोह के दौरान कहा कि चयन सिर्फ स्कोर बुक देखने से जुड़ा नहीं होना चाहिए। चयनकर्ता ऐसे खिलाड़ियों को चुन सकता है जिसने काफी अधिक रन बनाए हो लेकिन यह काम नहीं करेगा। मैंने ऐसे खिलाड़ी देखे हैं, जो घरेलू स्तर पर बेजोड़ थे लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए।
उन्होंने कहा कि चयन के समय खिलाड़ियों का आकलन करना होता है। अगर वह कुछ मैचों में विफल भी हो जाए तो भी यह देखने की जरूरत है कि क्या उसमें दबाव झेलने की क्षमता है और क्या वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रदर्शन कर सकता है।
सचिन ने कहा कि आलोचना का सामना करने वाले ट्वेंटी-20 प्रारूप सहित क्रिकेट में आए अन्य बदलावों ने खेल को और अधिक रोमांचक बना दिया है और टेस्ट मैचों में अधिक नतीजे हासिल करने में सफलता मिली है।
उन्होंने कहा कि क्रिकेट एकमात्र खेल है जिसमें तीन प्रारूप हैं और यह और अधिक रोमांचक होता जा रहा है, खिलाड़ियों के लिए ही नहीं बल्कि दर्शकों के लिए भी।
तेंदुलकर ने कहा कि इसमें कलात्मकता है और अब और नतीजे हासिल किए जा रहे हैं (खेल के लंबे प्रारूप में)। बल्लेबाज जोखिम उठाने को तैयार हैं। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने कहा कि ट्वेंटी-20 का खेल के लंबे प्रारूप पर भी असर पड़ा है, क्योंकि खिलाड़ी आक्रामक हो गए हैं और इसके अलावा अब अधिक नतीजे मिल रहे हैं। (भाषा)