विराट ने अपने खेल पर काम किया है-अनिल कुंबले

Webdunia
गुरुवार, 22 मार्च 2012 (20:18 IST)
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पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान अनिल कुंबले का मानना है कि विराट कोहली के पास भारतीय टेस्ट बल्लेबाजी क्रम में अहम तीसरे स्थान पर फिट होने के लिए ‘सही खेल’ है। उन्होंने हालांकि साथ ही कहा कि किसी के लिए भी राहुल द्रविड़ की जगह लेना असंभव होगा।

कुंबले ने कहा कि मैंने अंडर 19 में विराट के खेलने के समय से उस पर करीबी नजर रखी है और वह काफी परिपक्व हुआ है। खेल, अनुशासन और फिटनेस के मामले में पिछले एक साल में उसने जिस तरह का सुधार किया है उससे मैं प्रभावित हूं।

उन्होंने कहा कि उसने कड़े अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के साथ तेजी से सामंजस्य बैठा लिया है और 23 वर्षीय खिलाड़ी के लिए ऐसा करना शानदार है। ऑस्ट्रेलिया में उसने टेस्ट क्रिकेट में शतक जमाया और मेरा मानना है कि तीसरे स्थान पर फिट होने के लिए उसके साथ सही खेल है।

इस पूर्व कप्तान ने कहा कि हालांकि कोई भी राहुल द्रविड़ की जगह नहीं ले सकता। पिछले 16 बरस में उसने उपलब्धियां हासिल की है और निश्चित तौर पर 23 हजार अंतरराष्ट्रीय रन बनाना आसान नहीं होगा।

सौ अंतरराष्ट्रीय शतक की ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने के लिए सचिन तेंडुलकर की सराहना करते हुए कुंबले ने कहा कि वह तेजी से विभिन्न हालात से सामंजस्य बैठा लेता है जो महान खिलाड़ी की निशानी है।

कुंबले ने कहा कि मैं इन 100 शतक में से 80 का गवाह रहा और कम से कम 20 मौकों पर दूसरे छोर पर खड़ा था। मैं उस समय बल्लेबाजी के लिए आता था जब वह 80 रन के आसपास बना चुका होता था और नई गेंद ली जाने वाली होती थी। प्रत्येक अवसर पर मेरा काम होता है कि मैं अपना विकेट आसानी से नहीं गंवाऊ जिससे कि उसे शतक बनाने में मदद मिल सके।

तेंडुलकर ने अपना 100वां शतक पूरा करने के बाद बांग्लादेश के खिलाफ 248 रन के अपने सर्वश्रेष्ठ स्कोर के दौरान अजीब घटनाओं को याद किया था जब वह और कुंबले कई बार गलतफहमी का शिकार हुए।

कुंबले ने कहा कि इस बारे में बात नहीं करो। मैं अब भी जब उस मैच के फुटेज देखता हूं तो शर्मसार हो जाता हूं। इस पूर्व भारतीय कप्तान के लिए एक यादगार घटना 1990 में ओल्ड ट्रैफर्ड में तेंडुलकर का पहला टेस्ट शतक है जो कुंबले का पदार्पण टेस्ट भी था।

उन्होंने कहा कि मुझे ओल्ड ट्रैफर्ड की बालकोनी में तीन घंटे से अधिक खड़ा रखा गया क्योंकि यह किरण मोरे का फरमान था। सचिन रन बना रहा था और हम टेस्ट बचाने के लिए खेल रहे थे इसलिए सभी अंधविश्वासी हो गए थे। वहां दो घंटे खड़ा होना भी मुश्किल था लेकिन किरण ने मुझे घंटों तक उसी स्थिति में खड़े रहने का निर्देश दिया। केवल चाय के विश्राम के दौरान मुझे बैठने का मौका मिलता था।

कुंबले ने कहा कि बेशक सिडनी में 242 रन की पारी एक और बेजोड़ प्रयास था जहां उसने 200 रन पूरे होने तक एक भी कवर ड्राइव नहीं लगाया। पाकिस्तान के खिलाफ 100 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 155 रन (दोनों चेन्नई में) जब शेन वार्न राउंड द विकेट गेंदबाजी कर रहे थे, उनकी कुछ पारियां हैं जिन्हें मैं कभी नहीं भूल सकता। टेस्ट मैचों में 619 और वनडे में 337 विकेट चटकाने वाले कुंबले के लिए टेस्ट क्रिकेट अब भी प्राथमिकता है।

पिछले छह महीने से भारतीय टीम के साथ जुड़े होने के दौरान केवल पांच मैच (तीन वनडे और दो टी20) खेलने वाले लेग स्पिनर राहुल शर्मा के बारे में कुंबले ने कहा कि यह अजीब स्थिति है।

उन्होंने कहा कि आपको मैच में काफी ओवर फेंकने होते हैं, लेकिन साथ ही अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम भी चुननी होती है। आदर्श स्थिति यह होती कि राहुल कुछ प्रथम श्रेणी मैच खेलता, लेकिन आजकल समस्या यह है कि दौरे पर अभ्यास मैच काफी कम होते हैं। जब मैं 1990 में इंग्लैंड गया था तो हमने दो वनडे और तीन टेस्ट के अलावा नौ प्रथम श्रेणी मैच खेले थे। सभी को मौका मिला था जो अब नहीं होता।

कुंबले हालांकि बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी में अध्यक्ष के रूप में एक साल के अपने संक्षिप्त कार्यकाल के बारे में बोलने से बचे। उन्होंने पिछले साल दिसंबर में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

उन्होंने कहा कि मैं उस समय के बारे में बात नहीं करना चाहता। मैं कुछ चीजें करना चाहता था लेकिन सर्वसम्मति नहीं थी लेकिन एनसीए ने भारतीय क्रिकेट के लिए काफी कुछ अच्छा किया है। एनसीए के कारण ही हमारे पास विराट, सुरेश रैना, मनोज तिवारी जैसे बेहतरीन क्षेत्ररक्षक हैं। बीसीसीआई चाहता है कि रणजी ट्राफी मैच तटस्थ स्थानों पर खेले जाएं लेकिन कुंबले चाहते हैं कि क्रिकेट छोटे केंद्रों पर स्थानांतरित हो जिससे अच्छे प्रतिस्पर्धी विकेट मिलेंगे। (भाषा)

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