रूस में एयर इंडिया विमानः एक आशंका जो सच हो गई

DW
गुरुवार, 8 जून 2023 (09:20 IST)
रूस में एयर इंडिया के विमान की इमरजेंसी लैंडिंग से एक दिन पहले ही अमेरिकी एयरलाइंस के एक अधिकारी ने ऐसी आशंका जताई थी। उनकी कही बात हूबहू सच हुई। एयर इंडिया के एक विमान को जब इंजन में खराबी के कारण रूस में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी तो विमानन उद्योग के दिग्गजों का ध्यान एक बार फिर इस बात पर गया कि रूसी वायु क्षेत्र का इस्तेमाल करके भारतीय विमानन कंपनियां कितना फायदा उठा रही हैं।
 
इस हफ्ते विमानन उद्योग के अधिकारियों की तुर्की में बैठक हुई थी जिसमें ठीक इसी तरह की घटना की चर्चा की गई थी, जैसा एयर इंडिया के विमान के साथ हुआ। पश्चिमी देशों के रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में रूस ने कुछ देशों को अपना वायु क्षेत्र इस्तेमाल करने से मना कर रखा है। अमेरिका और यूरोपीय देशों की एयरलाइंस अब रूसी वायु क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं कर पा रही हैं जिसके कारण उन्हें नए रास्ते प्रयोग करने पड़ रहे हैं।
 
पश्चिमी कंपनियां परेशान
 
प्रतिबंधों के कारण अमेरिका, यूरोप और जापान की एयरलाइंस ने रूसी वायु क्षेत्र से आना-जाना बंद कर दिया है। इसका असर यह हुआ है कि उनके रास्ते लंबे हो गए हैं। ब्रसेल्स स्थित ट्रैफिक कंट्रोल की निगरानी करने वाली संस्था यूरो कंट्रोल के मुताबिक यूरोप और एशिया के बीच आने-जाने के लिए इन एयरलाइंसों को अब कनेक्टिंग फ्लाइट का इस्तेमाल करना पड़ रहा है।
 
इस बात से ये एयरलाइंस परेशान हैं, क्योंकि लंबे रास्ते के कारण उनका किराया महंगा हो गया है जबकि भारत, खाड़ी देशों और चीन की एयरलाइंस रूसी रास्ते से आने-जाने के कारण सस्ती टिकट बेच पा रही हैं।
 
एयर इंडिया के सीईओ कैंबल विलसन ने तुर्की के इस्तांबुल में इसी हफ्ते हुई इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की सालाना बैठक में कहा कि एयर इंडिया भारत द्वारा उपलब्ध कराए गए नियमों के आधार पर चलती है और हो सकता है कि सारे देश इससे सहमत ना हों इसलिए नतीजे भी अलग होंगे।
 
हाल ही में टाटा ग्रुप द्वारा खरीदे जाने के बाद एयर इंडिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से विस्तार कर रही है। उसने यूरोप और अमेरिका के बीच कई नॉन-स्टॉप उड़ानें शुरू की हैं। रूसी प्रतिबंध उसके लिए बिल्ली के भागों छींका टूटने जैसे साबित हुए हैं, क्योंकि उसे अब बाजार का बड़ा हिस्सा मिल रहा है।
 
सच हो गई आशंका
 
युनाइटेड एयरलाइंस के सीईओ स्कॉट कर्बी कहते हैं कि अमेरिकी एयरलाइंस को भारत जाने वालीं कई उड़ानें इसलिए बंद करनी पड़ी हैं, क्योंकि लंबे रास्ते से जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि जाहिर है, इससे हम पर असर हो रहा है।
 
संयोग से कर्बी ने जैसा होने की आशंका जताई थी, एयर इंडिया के विमान के साथ बिलकुल वैसा ही हुआ। कर्बी ने कहा था कि क्या होगा अगर किसी विमान को रूस में उतरना पड़े और उसमें कई प्रतिष्ठित अमेरिकी नागरिक बैठे हों। यह संकट कभी भी आ सकता है।
 
सोमवार को कर्बी ने यह बात कही थी। उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से ऐसा होने से पहले हमें इसका हल खोज लेना चाहिए। बुधवार को एयर इंडिया के विमान को रूस के साइबेरिया में इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी। यह विमान भारत से अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को जा रहा था और उसमें 50 से ज्यादा अमेरिकी नागरिक सवार थे।
 
इस संकट से एक बार फिर यह बात सामने आई कि विमानन क्षेत्र में रूस की भोगौलिक और रणनीतिक दृष्टि से कितनी अहमियत है। पूर्व को पश्चिम से जोड़ने का यह एक सीधा मार्ग है जिससे खर्च भी बचता है और समय भी।
 
कंपनियों के बीच मतभेद
 
यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों के रूस पर प्रतिबंधों के चलते आईएटीए के सदस्यों के बीच भी मतभेद उभर आए हैं। संस्था के महानिदेशक विली वॉल्श ने रूसी वायु क्षेत्र को खोलने की मांग की है। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हर कोई रूसी वायु क्षेत्र का इस्तेमाल कर पाए। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सुरक्षा या रक्षा का मुद्दा नहीं है।
 
उधर अमेरिकी एयरलाइंस कंपनियां अपनी सरकार को यह मनाने में लगी हैं कि जो विमान रूसी क्षेत्र से होकर आएं, उन्हें अमेरिका में उतरने की इजाजत ना दी जाए, क्योंकि इससे रूस को आर्थिक लाभ होता है। पश्चिमी विमानन कंपनियां चीनी कंपनियों से मिल रही प्रतिद्वन्द्विता को लेकर खासी चिंतित हैं।
 
हालांकि एविएशन स्ट्रैटिजी नामक संस्था के मैनेजिंग पार्टनर जेम्स हॉल्सटीड कहते हैं कि एयरलाइंस रूसी वायु क्षेत्र का इस्तेमाल छोड़ें, इसकी संभावना कम ही है। एयर इंडिया और सिंगापुर के साझे उद्यम विस्तारा के सीईओ विनोद कानन कहते हैं कि आपको जो हालात मिलते हैं, उन्हीं के मुताबिक चलना होता है। यह तो उस जगह के कानून पर निर्भर करता है। बस आप उसका उल्लंघन ना करें।
 
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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