बिहार में 6 नए एयरपोर्ट क्या विकास की उड़ान साबित होंगे

DW
शनिवार, 21 जून 2025 (09:34 IST)
-मनीष कुमार
 
बिहार में 6 नए एयरपोर्ट विकसित करने को मंजूरी दी गई है। बड़ी संख्या में बिहार के लोग देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों में रहते हैं। राज्य का हवाई संपर्क बेहतर होने से क्या बदलाव होगा। चुनावी वर्ष में बिहार सरकार राज्य के और 6 शहरों से हवाई सेवा शुरू करने की कवायद में जुट गई है। इसके तहत मधुबनी, मुंगेर, वीरपुर (सुपौल), वाल्मीकि नगर (पश्चिमी चंपारण), सहरसा और मुजफ्फरपुर में एयरपोर्ट को विकसित किया जाएगा। इन शहरों के छोटे हवाई अड्डों को केंद्र सरकार की उड़ान योजना के तहत विकसित किया जाएगा।
 
उड़ान योजना का उद्देश्य छोटे शहरों तथा ग्रामीण इलाकों को एयर कनेक्टिविटी देना है। इनसे इन इलाकों की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होने के आसार हैं। राज्य सरकार ने फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए 150 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। प्रत्येक एयरपोर्ट के लिए 25-25 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे सर्वे से लेकर रन-वे के निर्माण किया जा सकेगा। बाद में और धन दिया जाएगा।
 
बिहार में 15 एयरपोर्ट का लक्ष्य
 
राज्य सरकार राज्य में कुल 15 एयरपोर्ट से हवाई सेवा संचालित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। बिहार में फिलहाल पटना, गया और दरभंगा से लोगों को हवाई सेवा मिल रही है। इनमें दरभंगा और गया से सीमित शहरों के लिए ही फ्लाइट उपलब्ध हैं, जबकि पटना से देश के अधिकतर बड़े शहर विमान सेवा से जुड़े हैं।
 
मुजफ्फरपुर का पताही हवाई अड्डा पहले ही एएआई को दिया जा चुका है। यहां अगले साल से विमान सेवा शुरू करने की तैयारी है। वहीं, पूर्णिया एयरपोर्ट पर अंतरिम टर्मिनल भवन का निर्माण कार्य चल रहा है। राज्य सरकार अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यहां से विमान सेवा शुरू करना चाहती है। इससे सीमांचल के लोगों को काफी सुविधा मिल सकेगी। आने वाले समय में तय किए गए 6 अन्य शहरों से भी छोटे विमानों का परिचालन हो सकेगा।
 
हवाई संपर्क आपदा के दिनों में भी बेहतर मददगार साबित होती है। प्रदेश के कई जिले बाढ़ प्रभावित हैं। बाढ़ समेत अन्य आपदाओं की स्थिति में एयरपोर्ट से राहत कार्य चलाना सुविधाजनक साबित होगा। छात्रों, पर्यटकों, पेशेवरों और व्यापारियों को तो इससे लाभ होगा ही।
 
एयरपोर्ट के लिए 11,500 करोड़ का फंड
 
बिहार विधानसभा में अपने बजट भाषण में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा था कि राज्य सरकार नालंदा जिले के राजगीर, भागलपुर जिले के सुल्तानगंज तथा पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल में नए एयरपोर्ट विकसित करेगी। साथ ही उन्होंने 6 शहरों में छोटे एयरपोर्ट को विकसित करने की भी बात कही थी। हवाई सेवा का नेटवर्क विकसित करने की दिशा में सरकार की गंभीरता का अंदाजा 2025-26 के बजट में एयरपोर्ट के विकास के लिए 11,500 करोड़ की राशि के प्रावधान से भी पता चलता है। इतना ही नहीं, बिहार सरकार ने पटना के पास एक ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को दिया है। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए सर्वे कराने का आग्रह भी भेजा चुका है।
 
इसी साल मई के अंतिम सप्ताह में बिहार आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना एयरपोर्ट के नए टर्मिनल का लोकार्पण किया और यहां से 35 किलोमीटर दूर बिहटा में एयरपोर्ट की आधारशिला रखी। बिहटा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से बड़ा होगा।
 
तेज होगा आर्थिक विकास
 
बिहार में नए एयरपोर्ट शुरू होने से दूर-दराज के इलाके तो देश के बड़े शहरों और अन्य राज्यों से सीधे जुड़ेंगे ही, व्यापार, शिक्षा और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। राजनीतिक समीक्षक एके चौधरी कहते हैं, 'दरअसल, बिहार के जिन शहरों में एयरपोर्ट विकसित करने की योजना है, उन सभी शहरों तथा उसके आसपास के क्षेत्रों की कुछ ना कुछ विशिष्टता है। जिसे बेहतर तरीके से एक्सप्लोर किया जा सकेगा।'
 
बिहार में कई पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन का हब बन रहा नालंदा जिले के राजगीर का इलाका प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक संपदाओं से भरपूर शांत व सुरम्य स्थल घोड़ाकटोरा का इलाका सुंदर है।। इसी तरह वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व काफी प्रसिद्ध है। भागलपुर का सुल्तानगंज धार्मिक महत्व का है। यहां की गंगा नदी से जल लेकर लोग झारखंड के देवघर स्थित बैद्यनाथ धाम जाते हैं।
 
इन जगहों से हवाई संपर्क बढ़ने से पर्यटकों को आसानी होगी और उनकी संख्या भी बढ़ेगी, जिसका सीधा फायदा स्थानीय अर्थव्यवस्था को होगा। चौधरी कहते हैं, 'रक्सौल तथा मधुबनी नेपाल से सटा है, जहां से बिहार के लोगों का रोटी-बेटी का संबंध है। नेपाल से काफी संख्या में लोग इलाज और दूसरे कामों के लिए देश के बड़े शहरों में जाते हैं। एयरपोर्ट शुरू होने से जरूरतमंदों को काफी फायदा पहुंचेगा।'
 
कार्गो सेवा से क्षेत्रीय उत्पादों को नया बाजार
 
पटना के बाद दरभंगा मजबूत लॉजिस्टिक हब के रूप में उभर कर सामने आया है। कार्गो सेवा उपलब्ध होने से क्षेत्रीय कृषि उत्पादों को नए बाजार मिल रहे हैं। बीते मई माह में ही मुजफ्फरपुर की शाही लीची की कई खेप हवाई मार्ग से दिल्ली और मुंबई भेजी गई।
 
दरभंगा के व्यवसायी पिनाकी के. शंकर कहते हैं, 'हवाई सेवा उपलब्ध होने से ट्रांजिट टाइम काफी कम हो गया। इससे तेज और सुरक्षित परिवहन का रास्ता खुल गया। फलों के लिए तो यह सेवा वरदान है।' पहले लीची को रेल या सड़क मार्ग से भेजने पर काफी समय लग जाता था और ये रास्ते में ही खराब हो जाते थे। अब इनकी ताजगी तो बनी ही रहती है, व्यावसायिक मूल्य भी नहीं घटता है।
 
दरभंगा से मखाना (फॉक्स नट) और आम जैसे उत्पादों के निर्यात की क्षमता भी बढ़ेगी। सीमांचल के पूर्णिया सहित किशनगंज, कटिहार, सहरसा और सुपौल में बड़े पैमाने पर सुपर फूड मखाना का भी उत्पादन होता है। हवाई सेवा विस्तारित होने के बाद कार्गो की सुविधा उपलब्ध होने से यहां के किसानों को बड़ा बाजार मिल सकेगा। सुपरफूड बनने के बावजूद अब तक मखाने की खेती करने वाले किसान खाली हाथ हैं।
 
चौधरी कहते हैं, 'अगर केंद्र और राज्य सरकार और एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया सही तरीके से योजना बनाए और उस पर अमल करे तो बिहार के कई क्षेत्रीय उत्पादों को वैश्विक बाजार मिलने से कोई रोक नहीं सकता। इससे विकास की उड़ान तो तेज होगी ही, आर्थिकी में भी आशातीत सुधार होगा।' हवाई संपर्क किसी भी हाल में बेहतर परिणाम ही देता है।(फ़ाइल चित्र)

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