राज्यसभा में बीजेपी पहुंची बहुमत के और करीब

DW
मंगलवार, 3 नवंबर 2020 (15:43 IST)
रिपोर्ट चारु कार्तिकेय
 
245 सदस्यों की राज्यसभा में बीजेपी के पास 92 सीटें आ गई हैं, हालांकि बहुमत के लिए उसे अभी भी 31 सीटें और चाहिए। राज्यसभा में बहुमत हासिल करने के बाद बीजेपी के लिए दोनों सदनों में बिल पास कराना आसान हो जाएगा।
 
सोमवार 2 नवंबर को राज्यसभा की 11 सीटों के लिए चुनाव हुए थे जिनमें से बीजेपी ने 9 सीटें जीत लीं। इनमें से 8 सीटें उत्तरप्रदेश में हैं और 1 उत्तराखंड में। इस जीत के साथ ऊपरी सदन में बीजेपी के पास कुल 92 सीटें हो गई हैं। जेडीयू और आरपीआई जैसे घटक दलों के सदस्यों को मिलाकर सत्तारूढ़ गठबंधन की 98 सीटें हैं।
 
ये पहली बार है, जब बीजेपी और एनडीए राज्यसभा में बहुमत के इतने करीब पहुंच गए हैं। लोकसभा में पहले से ही सरकार के पास बहुमत है जिसकी वजह से वह अपना कोई भी विधायी कार्य लोकसभा से आसानी से पास करा लेती है। बस, राज्यसभा में सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं, क्योंकि वहां अभी भी विपक्ष का संख्या बल ज्यादा है और वो सरकार के एजेंडा को रोकने में सक्षम है।
 
लेकिन बीजेपी धीरे-धीरे राज्यसभा में भी अपनी संख्या बढ़ाती जा रही है और विपक्ष की सीटें घटती जा रही हैं। चुनिंदा मुद्दों पर एनडीए का सहयोग करने वाली एआईएडीएमके और एजीपी, एमएनएफ, एनपीपी, एनपीएफ, पीएमके और बीपीएफ जैसी कुछ छोटी पार्टियों को भी अगर मिला लें तो एनडीए का संख्याबल 110 के आसपास पहुंच जाता है।
सरकार को कई और पार्टियों का समर्थन 
 
इनके अलावा बीजेडी, टीआरएस और वाईएसआरसीपी पार्टियां भी चुनिंदा मुद्दों पर बीजेपी को समर्थन देती हैं जिससे सरकार को 22 और वोट मिल जाते हैं। सदन में बहुमत के लिए 123 सीटें चाहिए होती हैं। कांग्रेस राज्यसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है लेकिन इतिहास में पहली बार उसकी सीटें 40 से भी नीचे जाने वाली हैं।
 
25 नवंबर को एकसाथ 11 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होगा जिनमें से 2 सांसद कांग्रेस के हैं। इनके सदन से चले जाने के बाद कांग्रेस की संख्या 38 हो जाएगी। सोमवार को इन्हीं सीटों के लिए चुनाव हुए थे। राज्यसभा को राज्यों की परिषद कहा जाता है और यहां आने वाले सदस्यों को सीधे जनता की जगह राज्यों के विधायक और पार्षद चुनते हैं।
 
सीटों का बंटवारा राज्यों की आबादी के अनुसार किया हुआ है लेकिन बंटवारे का फॉर्मूला ऐसा है जिससे छोटे राज्यों को नुकसान न हो, बल्कि वे आगे ही रहें, जैसे तमिलनाडु की आबादी बिहार से कम है लेकिन राज्यसभा में बिहार के मुकाबले तमिलनाडु की सीटें ज्यादा हैं।

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