क्या ब्रिटेन को मिलेगा विदेशी मूल का पहला पीएम?

DW
मंगलवार, 12 जुलाई 2022 (08:19 IST)
ब्रिटेन में इस वक्त कम से कम 12 लोग प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहे हैं। इनमें भारतीय, पाकिस्तानी, इराकी और नाइजीरियाई मूल के नेता भी हैं। एक नजर पीएम पद की दौड़ में शामिल प्रमुख चेहरों पर।
 
ऋषि सुनक
एक वीडियो के जरिए पीएम पद के लिए अपना दावा पेश करने वाले ऋषि सुनक भारतीय मूल के ब्रिटिश नेता हैं। 42 साल के सुनक, 2020 की शुरुआत में ब्रिटेन के वित्त मंत्री नियुक्त किए गए। कोविड-19 के इकोनॉमिक रेस्क्यू पैकेज के लिए उनकी तारीफ हुई। उनके कार्याकाल में जॉब रिटेंशन स्कीम लागू की गई, जिसे आम लोगों के लिए बड़ी राहत करार दिया गया।
 
इनवेस्टमेंट बैंक रह चुके सुनक, दिग्गज भारतीय आईटी कंपनी इंफोसिस के मालिक नारायण मूर्ति के दामाद हैं। बीते कुछ महीनों में पत्नी के टैक्स विवाद और पद में रहते हुए नियम तोड़ने के आरोपों के कारण सुनक की खासी किरकिरी भी हुई।
 
1950 के दशक के बाद सुनक के कार्यकाल में ही ब्रिटेन का टैक्स बोझ सबसे ज्यादा बढ़ा है। सुनक अब भी टैक्स में कटौती का वादा कर रह रहे हैं। ब्रेक्जिट का समर्थक करने वाले सुनक फिलहाल पीएम पद की दौड़ में काफी आगे दिख रहे हैं।
 
सुएला ब्रैवरमैन
मॉरीशस, भारतीय और केन्याई पृष्ठभूमि वाले परिवार में जन्मी सुएला ब्रैवरमैन ब्रिटेन में ही पैदा हुईं। कंजर्वेटिव पार्टी की सुएला 2020 से इंग्लैंड और वेल्स की एटॉर्नी जनरल भी हैं। बोरिस जॉनसन से पहले पीएम रहीं थेरेसा मे के मंत्रिमंडल में सुएला ब्रेक्जिट डिपार्टमेंट में जूनियर मंत्री रह चुकी हैं। उनके द्वारा प्रस्तावित ब्रेक्जिट डील का भारी विरोध हुआ, जिसके कारण सुएला को इस्तीफा देना पड़ा।
 
42 साल की सुएला उन सांसदों में से एक हैं, जिन्होंने बोरिस जॉनसन से इस्तीफा की मांग की। सुएला खुद को "ब्रिटिश साम्राज्य की संतान" कहती हैं। उनकी नजर में ब्रिटिश उपनिवेश ने मॉरीशस, केन्या और भारत में अच्छा काम किया।
 
साजिद जावेद
पाकिस्तान से ब्रिटेन आए परिवार में पैदा हुए साजिद जावेद, बोरिस जॉनसन की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। साजिद पहले मंत्री थे, जिन्होंने यौन दुर्व्यवहार के मामले में  जनता को गुमराह करने के लिए बोरिस जॉनसन की आलोचना की और पद से इस्तीफा दिया।
 
पूर्व बैंकर और मुक्त बाजार के समर्थक जावेद, ब्रिटिश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री और वित्त मंत्री रह चुके हैं। 2019 में प्रधानमंत्री पद की रेस में वह चौथे नंबर पर रहे। जावेद ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री और आयरन लेडी कही जाने वाली मार्गारेट थेचर के प्रशंसक हैं।
 
52 साल के जावेद भी जेरेमी हंट की तरह कॉरपोरेट टैक्स का घटाकर 15 फीसदी करना चाहते हैं। जावेद भी ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने के समर्थक थे।
 
रहमान चिश्ती
पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर के शहर मुजफ्फराबाद में पैदा हुए रहमान चिश्ती भी ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं। छह साल की उम्र में पाकिस्तान से ब्रिटेन जाने वाले चिश्ती कानून की पढ़ाई कर चुके हैं।
 
उदारवादी लेबर पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले चिश्ची, कुछ सालों बाद रुढ़िवादी कंजर्वेटिव पार्टी में शामिल हो गए। बोरिस जॉनसन ने पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद चिश्ची को विदेश मंत्रालय में जूनियर मंत्री नियुक्त किया गया है।
 
चिश्ची पाकिस्तान में भुट्टो परिवार के करीबी माने जाते हैं। कभी कोई प्रशासनिक पद न संभालने के बावजूद चिश्ती ने पीएम पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।
 
केमी बैडनॉक
42 साल की केमी बैडनॉक 2017 में पहली बार सांसद का चुनाव जीतकर पार्लियामेंट पहुंचीं। सरकार ने उन्हें जूनियर मंत्री का ओहदा दिया। केमी इससे आगे बढ़ते हुए कैबिनेट मंत्री पद तक नहीं पहुंचीं। केमी बैडनॉक मूल रूप से नाइजीरिया की हैं। वह 16 साल की उम्र में ब्रिटेन आईं और तब से वहीं रहती हैं।
 
मौजूदा सरकार में समानता मामलों की मंत्री रह चुकी बैडनॉक को अगर सांसदों ने अपना नेता चुना तो वह ब्रिटेन की पहली अश्वेत प्रधानमंत्री होंगी। बैडनॉक नस्लीय और लैंगिंग समानता पर जोर दे रही हैं। 2016 में उन्होंने भी ब्रेक्जिट का समर्थन करते हुए कहा था कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से बाहर निकल जाना चाहिए।
 
ससेक्स यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ले चुकीं बैडनॉक आम आप्रवासी ब्रिटिश नागरिक का प्रतिनिधित्व करती हैं। पढ़ाई के दौरान पार्ट टाइम मैकडॉनल्ड्स में काम कर चुकी बैडनॉक संघर्ष करते हुए अपना मुकाम पाने के लिए जानी जाती हैं।
 
जेरेमी हंट
2019 में थेरेसा मे के पीएम पद से इस्तीफा देने के बाद बोरिस जॉनसन और जेरेमी हंट प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे थे। तब हंट चूक गए। ब्रिटेन के विदेश मंत्री रह चुके हंट इस बार और पुख्ता तरीके से अपने दावेदारी पेश कर रहे हैं। हंट को गंभीर राजनीति और कम से कम विवाद पैदा करने करने वाले नेता के तौर पर देखा जा रहा है।
 
हंट आम नागरिकों के साथ साथ कॉरपोरेट टैक्स में भी कटौती करने का वादा कर रहे हैं। ब्रेक्जिट के बाद गोते खा रही ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए वह कारोबार में रियायतें देने के पक्षधर हैं। हंट कंजर्वेटिव पार्टी के ऐसे नेता हैं, जिन्होंने 2016 में ब्रेक्जिट जनमत संग्रह के दौरान यूरोपीय संघ में बने रहने की वकालत की थी।
 
पेनी मॉरडंट
2019 में तत्कालीन रक्षा मंत्री पेनी मॉरडंट ने पीएम पद के लिए जेरेमी हंट का समर्थन किया। इसके बाद बोरिस जॉनसन पीएम बने और सबसे पहले उन्होंने मॉरडंट को ही पद से हटाया गया। 49 साल की मॉरडंट ब्रेक्जिट की मुखर समर्थक रही हैं। उनका कहना है कि ब्रेक्जिट से होने वाले फायदे को आम जनता और कारोबारियों तक पहुंचाया जाना चाहिए।
 
मॉरडंट को कोविड लॉकडाउन के दौरान पीएम कार्यालय में हुई पार्टियों की कड़ी आलोचना के लिए जाना जाता है। उन्होंने इन पार्टियों को "शर्मनाक" बताया। मॉरडंट वादा कर रही हैं कि वह नेतृत्व के तरीके में बदलाव करेंगी और इसे एक व्यक्ति पर केंद्रित होने से बचाएंगी।
 
ग्रांट शैप्स
2005 में पहली बार संसदीय चुनाव जीतने वाले शैप्स 2019 से ही बोरिस जॉनसन की सरकार में परिवहन मंत्री हैं। वह कंजर्वेटिव पार्टी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। शैप्स को जॉनसन के विश्वस्त समर्थकों में गिना जाता है। एक के बाद एक विवाद सामने आने पर भी वही मीडिया के सामने सरकार को बचाते नजर आए।
 
ब्रिटिश अखबार संडे टाइम्स में लिखे एक लेख में शैप्स ने वादा किया है कि वह आम लोगों पर पड़ रहे महंगाई के बोझ को कम करेंगे। पीएम बनते ही वह टैक्स में कटौती करेंगे और पहले 100 दिनों के लिए एक इमरजेंसी बजट बनाएंगे।
 
53 साल के शैप्स भी उन नेताओं में हैं जिन्होंने ब्रिटेन के यूरोपीय संघ में बने रहने का समर्थन किया था।
 
लिज ट्रस
कंजर्वेटिव पार्टी की चहेती मानी जाने वाली लिज ट्रस ने भी प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। जॉनसन सरकार में पहले दो साल अंतरराष्ट्रीय कारोबार मंत्री रह चुकीं ट्रस, इस वक्त ब्रिटेन की विदेश मंत्री हैं। कंजर्वेटिव पार्टी द्वारा कराए गए भीतरी सर्वे में वह सबसे आगे हैं।
 
ट्रस अपनी सार्वजनिक छवि को लेकर बहुत ही सजग रहती हैं। 2021 में उनकी एक तस्वीर सामने आई, जिसमें वह टैंक में थीं। यह तस्वीर 1986 में मार्गरेट थैचर की टैंक वाली तस्वीर जैसा भाव जगा रही थी। 
 
46 साल की ट्रस ने भी शुरुआत में ब्रेक्जिट का विरोध किया, लेकिन जनमत संग्रह के फैसले के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया।
 
टॉम टुगेनहाट
टॉम टुगेनहाट सैनिक रह चुके हैं। वह इराक और अफगानिस्तान में लड़ भी चुके हैं। टुगेनहाट फिलहाल विदेश मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष हैं। 49 साल के टुगेनहाट, अब तक नियमित तौर पर बोरिस जॉनसन की आलोचना करते आए हैं। उनका कहना है कि पार्टी को एक विवादित सरकार चलाने के बाद कुछ समय के लिए सफाई अभियान चलाना होगा।
 
वह टैक्स में कटौती करने के साथ साथ ईंधन की कीमतों पर नियंत्रण रखने का वादा कर रहे हैं। टुगेनहाट भी ब्रेक्जिट के विरोधी रह चुके हैं। अच्छी छवि के बावजूद अब तक सरकार में कोई जिम्मेदारी न संभालने की वजह से उन्हें कम अनुभवी माना जा रहा है।
 
नदीम जाहावी
इराक की राजधानी बगदाद में पैदा हुए नदीम जाहावी कोरोना काल में ब्रिटेन के वैक्सीन मंत्री थे। उनकी अगुवाई में ब्रिटेन दुनिया में सबसे तेजी से टीकाकरण करने वाले देशों में शामिल हुआ। जाहावी को हाल ही में ब्रिटेन का वित्त मंत्री नियुक्त किया गया है।
 
55 साल के जाहावी के एक शरणार्थी के तौर पर इराक से ब्रिटेन आए थे। यह पक्ष उनकी दावेदारी को भावनात्मक रूप से वजनदार बनता है। राजनीति में आने से पहले उन्होंने कुछ लोगों से साथ मिलकर यूगव नाम की कंपनी भी बनाई। 2010 से ब्रिटेन की राजनीति में सक्रिय जाहावी शित्रा मंत्री थेरेसा मे की सरकार में शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं।
 
जाहावी और उनकी पत्नी की लगातार बढ़ती निजी संपत्ति, आलोचकों की जुबान पर रहती है। घुड़सवारी के शौकीन जाहावी ब्रेक्जिट के समर्थक रह चुके हैं।
 
प्रीति पटेल
50 साल की प्रीति पटेल 2019 से ब्रिटेन के आतंरिक मामलों की मंत्री हैं। बोरिस जॉनसन सरकार से इस्तीफा देने वाले मंत्रियों की बाढ़ के बीच पटेल ने पद पर बने रहने का फैसला किया। पटेल का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर वह अपना काम करती रहेंगी।
 
थेरेसा मे की सरकार में इंटरनेशल डेवलपमेंट मिनिस्टर रह चुकी पटेल हार्डलाइनर कही जाती हैं। वह ब्रेक्जिट की समर्थक और आप्रवासियों के लिए कड़े नियम बनाने की पक्षधर हैं। मंत्रियों के लिए बनाई गई आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में थेरेसा मे ने उन्हें पद से हटा दिया था।
 
रिपोर्ट: ओएसजे/एडी (रॉयटर्स, एएफपी)
 

सम्बंधित जानकारी

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

LIVE: झारखंड में फिर हेमंत सोरेन सरकार, चौथी बार ली CM पद की शपथ

केजरीवाल ने उठाए दिल्ली की कानून व्यवस्था पर सवाल, अमित शाह पर साधा निशाना

बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति और ISKCON पर हमले को लेकर क्या बोलीं ममता बनर्जी

अगला लेख