इंसानों की तरह बहू चुनती है मादा बोनोबो

Webdunia
बुधवार, 22 मई 2019 (11:08 IST)
चिंपैंजियों जैसी ही एक आदिम प्रजाती है बोनोबो की। वैज्ञानिकों को पता चला है कि बोनोबो की मां अपने बच्चों के लिए बहु चुनने और उनके बीच रिश्ते तय कराने में अपने पद और प्रभाव का भरपूर इस्तेमाल करती है।
 
 
बोनोबो को इंसान का शांतिप्रिय, परोपकारी और कामुक प्राचीन रिश्तेदार माना जाता है। तुलनात्मक रूप से हिंसक और पितृसत्तात्मक माने जाने वाले चिंपैंजियों से उलट इस प्राचीन जीव के समाज में महिलाओं की सत्ता थी। अब तक हमें यह पता नहीं था कि बोनोबा की सेक्स लाइफ अच्छी हो इसमें उसकी मां की बड़ी भूमिका है। मां इसके लिए अपने अधिकार का इस्तेमाल कर यह तय करती थी कि उनके बेटे को जीवनसाथी के रूप में आकर्षक और अच्छे बच्चों को जन्म देने वाली मादा मिले। दूसरे नर से मुकाबले में वो अपने बेटे का साथ दे कर और दूसरे तरीकों का उपयोग कर उन के लिए अच्छी मादा का इंतजाम करती थीं।
 
 
कह सकते हैं कि भारत और दूसरे कई देशों में जिस तरह बहुओं को चुनने में मांओं की भूमिका होती है कुछ कुछ वैसा ही प्राचीन बोनोबो के समाज में भी था।
 
 
इस प्राचीन जीव के इस रवैये के बारे में सोमवार को जर्नल करेंट बायोलॉजी में छपे एक रिसर्च के नतीजे में ब्यौरा दिया गया है। रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक यह पता चला है कि मां के साथ रहने वाले नर बोनोबो को अच्छा जोड़ीदार मिलने की संभावना उन नरों से तीन गुना ज्यादा थी जो अपनी मां के साथ नहीं रहते। माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर इवॉल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के प्राइमेटोलॉजिस्ट मार्टिन सुरबेक ने एक बयान में कहा है, "पहली बार हम दिखा सकते हैं कि मां की मौजूदगी का असर नर के बेहतर स्वास्थ्य पर बहुत अहम है और यह उनकी उर्वरता में है। हम यह देख कर हैरान है कि मांओं का इस बात पर कितना मजबूत और सीधा नियंत्रण है कि उनके कितने पोते पोतियां होंगे।"
 
 
इस रिसर्च के लिए सुरबेक और उनके साथियों ने डोमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में जंगली बोनोबो की आबादी के साथ ही आइवरी कोस्ट, तंजानिया और युगांडा में चिंपैंजी की आबादी को देखा। उन्हें दिखा कि बोनोबो और चिंपैंजी दोनों समुदाय में मां अपने बेटे की मदद करने की कोशिश करती है लेकिन बोनोबो मां इस कोशिश में ज्यादा सफल होती है क्योंकि उनके समुदाय में उच्च पदों पर महिलाओं का प्रभुत्व और नियंत्रण ज्यादा है। दूसरी तरफ चिंपैंजियों के समुदाय में नर ज्यादा प्रभावशाली हैं।
 
 
सुरबेक ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "बोनोबो मां एक तरह से सोशल पासपोर्ट की तरह काम करती हैं। उनके बेटे अपनी मां के साथ रहते हैं और वो उनकी बदौलत अपने गुट की मुख्यधारा में रहते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा मादाओं से मेलजोल रखने का मौका मिलता है। अगर कोई मादा है जो ज्यादा आकर्षक है तो आप देखेंगे कि मां उसके इर्दगिर्द रहेंगी और मां के साए में बेटा भी उनके आसपास मंडराएगा।"
 
 
हालांकि कई बार बेटों को इसका खामियाजा भी उठाना पड़ता है। अगर मां का पद छिन जाए तो ऐसे में उसके बेटे की पदवी भी चली जाती है और तब जोड़ा बनाने में उसे कम कामयाबी मिलती है। बोनोबो मां अपनी बेटियों के लिए यह कवायद नहीं करती ना ही उसके बच्चों के पालन पोषण में उसकी मदद करती है।
 
 
सुरबेक की टीम का माना है कि अब उनके पास तथाकतित "ग्रैंडमदर हाइपोथिसिस" के सबूत हैं। इस अवधारणा के मुताबिक अपने बच्चों के प्रजनन की सफलता तय कर एक मादा प्रजनन के बाद भी अपने जीनों को जारी रख सकती है।
 
 
यह एक विचार है जिसे मानव विज्ञानियों ने इंसानों पर भी आजमाया है और सुरबेक का मानना है कि बोनोबो की आबादी के लिए यह फिट बैठ सकता है। दिलचस्प यह है कि बोनोबो में इस तरह की व्यवस्था है, जो आखिरकार मादा को ऐसा करने देता है लेकिन अपनी बेटियों की बजाए अपने बेटों के जरिेए।"
 
एनआर/एए (एएफपी)
 

सम्बंधित जानकारी

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

LIVE: कांग्रेस संसद में उठाएगी मणिपुर का मुद्दा

Maharashtra का मुख्यमंत्री चुनने में महायुति को आखिर क्यों हो रही है इतनी देरी

कूनो नेशनल पार्क से आई खुशखबर, चीता नीरवा ने 4 शावकों को दिया जन्म, कुल चीतों की संख्या 28 हुई

अगला लेख