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चीन ने रोकी रेयर अर्थ मेटल की सप्लाई, अमेरिका पर संकट

रेयर अर्थ एलिमेंट की खुदाई और उत्पादन में फिलहाल चीन सबसे आगे हैं। इनका इस्तेमाल स्मार्टफोन से लेकर रक्षा उपकरण तक बनाने में होता है।

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DW

, गुरुवार, 17 अप्रैल 2025 (08:30 IST)
साहिबा खान
अमेरिकी शुल्कों का जवाब देते हुए पर एक वायरल क्लिप में चीन के मशहूर व्यापारी विक्टर गाओ ने चैनल फोर से कहा "चीन (चीनी सभ्यता) 5000 सालों से यहां है। अमेरिका अभी आया है… हम पहले भी अमेरिका के बिना रहे हैं और हम 5000 साल और टिके रहने की क्षमता रखते हैं।”
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के देशों पर लगाए गए टैरिफ की जवाबी  कार्रवाई में चीन ने भी 4 अप्रैल को ‘रेयर अर्थ मेटल' का निर्यात रोक दिया था। ये ऐसे धातु हैं जो काफी महंगे सामान बनाने में इस्तेमाल किये जाते हैं। इन सामानों में अक्षय ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र समेत रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली चीजें जैसे स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले  भी शामिल हैं। 1990 के दशक से ही चीन ने इन एलिमेंट के क्षेत्र में अपना वर्चस्व कायम करके रखा हुआ है। दुनियाभर में 85 से 95 फीसदी रेयर मेटल की मांग चीन ही पूरी करता है।
 
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार रेयर अर्थ मेटल  के कई शिपमेंट फिलहाल रोक दिए गए हैं। लेकिन यह मेटल हैं क्या और इस रोक से अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
 
बैन नहीं, लाइसेंस सिस्टम
आयात निर्यात की दुनिया में निर्यात प्रतिबंधों के कई रूप होते हैं – नॉन ऑटोमेटिक लाइसेंसिंग, टैरिफ, कोटा और पूर्ण प्रतिबंध। नए प्रतिबंध रोक नहीं हैं। बल्कि अब फर्मों को रेयर अर्थ एलिमेंट और धातु के निर्यात के लिए लाइसेंस लेना होगा। इसके तीन नतीजे हो सकते हैं: पहला, चीन में लाइसेंस की प्रणाली को स्थापित करने के कारण निर्यात पूरी तरह से, कुछ समय के लिए ही सही, रुक जाएगा, जो हो रहा है। दूसरा, कुछ अमेरिकी फर्मों को सप्लाई चेन में दिक्कत आएगी। यह स्पष्ट नहीं है कि चीन नई लाइसेंसिंग प्रणाली को कैसे लागू करेगा और तीसरा, लाइसेंसिंग प्रणाली लचीली हो ताकि चीन बाकी देशों के साथ  इन धातुओं का व्यापार बढ़ा सके।
 
क्या होते हैं रेयर अर्थ मेटल?
रेयर अर्थ मेटल पिरियोडिक टेबल में 17 रासायनिक तत्वों का एक सेट है - सीरियम , डिस्प्रोसियम, एर्बियम, यूरोपियम, गैडोलिनियम, होल्मियम, लैंथनम, ल्यूटेटियम, नियोडिमियम, प्रेसियोडियम, प्रोमेथियम, सैमेरियम, स्कैंडियम, टेरबियम, थूलियम, यटरबियम और यट्रियम। सभी के रासायनिक गुण समान होते हैं और वे चांदी के रंग के दिखाई देते हैं।
 
वैसे तो रेयर अर्थ एलिमेंट चांदी, सोने या प्लेटिनम की तुलना में औसतन ज्यादा प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि ये मेटल एक ही जगह पर संकेंद्रित होकर आपको मिल जाएं। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि इनका खनन बहुत महंगा हो, उत्पादन उससे भी महंगा। चीन में यह मेटल अच्छे से रिफाइन होते हैं और इसमें वो माहिर हैं।
 
आरईई में ऐसे कई गुण हैं जिसकी वजह से उनका इस्तेमाल हाल के दिनों में बढ़ा है। एक तो ये चुंबकीय होते हैं और दूसरा, ये अंधेरे में चमकते भी हैं। इस कारण इन्हें डिजिटल डिस्प्ले और स्क्रीन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा है। आरईई का उपयोग शक्तिशाली चुंबक बनाने में काफी तेजी से हो रहा है, जिसका इस्तेमाल ऑटोमोबिल के कुछ हिस्सों को बनाने में किया जाता है। इनमें पावर स्टीयरिंग, इलेक्ट्रिक विंडो, पावर सीट और ऑडियो स्पीकर शामिल हैं।
 
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर
एक समय पर अमेरिकी कंपनियां भी ये रेयर अर्थ मेटल बना रही थीं। लेकिन सस्ते चीनी विकल्पों के आ जाने से वो धीरे धीरे मार्केट से निकलती गईं। जानकारों का मानना है कि अब ना तो अमेरिका के पास इस काम को करने के लिए लोग हैं और ना ही उतनी जानकारी। रेयर अर्थ मेटल के काम में ज्यादा लोग लगते हैं। साथ ही चीन के मैन्युफैक्चरिंग दामों से बाकी देश मुकाबला करने में असमर्थ ही रहते हैं।
 
इस साल की अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 और 2023 के बीच, अमेरिका के करीब 70 फीसदी रेयर अर्थ एलिमेंट और मेटल चीन से ही आ रहे थे।
 
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में इन तत्वों के मौजूदा स्टॉक अलग-अलग हैं, इसलिए यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि इसका असर वास्तव में कब महसूस होगा। द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि इस क्षेत्र में चीन की मजबूती का मतलब है कि इसका असर बहुत जल्दी नजर आएगा। खरीदार इन्हें जमा करने की कोशिश करेंगे, सप्लाई कम होगी जिस वजह से कीमतें तेजी से बढ़ेंगी।
 
डिस्प्रोसियम जैसे कई एलिमेंट जिन पर चीन ने रोक लगाई है, उनका कोई विकल्प ही नहीं है और ये समुद्र में लगी पवन चक्कियां बनाने में, स्पेसक्राफ्ट और विमान में जो चुंबक लगती है, उसे बनाने में इस्तेमाल होता है। अमेरिका को या तो टैरिफ कम करने होंगे या फिर दूसरे देशों से ये धातु और एलिमेंट लेने होंगे।
 
चीन के ऊपर असर
जानकारों का मानना ​​है कि विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ महत्वपूर्ण उद्योगों में सालों के निवेश ने चीन को अमेरिकी प्रतिबंधों से निपटने में मदद की है। हाल के वर्षों में धीमी अर्थव्यवस्था और जनसांख्यिकीय चुनौतियों की रिपोर्टों के बावजूद, एआई लार्ज लैंग्वेज मॉडल डीपसीक की बदौलत चीन में आर्थिक स्थिति मजबूत ही बनी हुई है।
 
कई सालों से अमेरिका में इन धातुओं को बनाने की बातचीत चल रही है। शायद अमेरिकी कंपनियों को आखिरकार इस उद्योग में घुसने और उसे आगे ले जाने का प्रोत्साहन मिल जाए।
 
भारत पर असर
2023 में, भारत का रेयर-अर्थ मेटल कम्पाउंड्स का सबसे बड़ा निर्यातक चीन था। चीन ने भारत को 5।32 मिलियन डॉलर का निर्यात किया था। उस वक्त भारत ने रेयर अर्थ मेटल का कुल मिलाकर करीब 13।1 मिलियन डॉलर का आयात किया था। चीन के अलावा भारत ने दक्षिण कोरिया, जापान, फ्रांस और अमेरिका से भी रेयर-अर्थ मेटल कम्पाउंड मंगवाए थे।
 
जानकारों का कहना है कि भारत पर चीन के आरईई निर्यात प्रतिबंधों का बहुत कम असर पड़ेगा क्योंकि भले ही भारत में उन उद्योगों में काम हो रहा है जहां इनकी जरूरत होती है, फिर भी भारत की घरेलू खपत अपेक्षाकृत कम ही है।

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