चीन के शिनजियांग में हलाल के खिलाफ भी अभियान

Webdunia
गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018 (12:39 IST)
चीन के पश्चिमी राज्य शिनजियांग में अधिकारियों ने हलाल चीजों पर रोक लगाने के लिए अभियान शुरू किया है। चीनी अधिकारियों का दावा है कि इससे चरमपंथ को बढ़ावा मिलता है।
 
 
चीन में उईगुर मुसलमानों के इलाके शिनजियांग में कई तरीकों से हलाल चीजों पर रोक लगाने की कोशिश हो रही है। उरमुकी शहर में कम्युनिस्ट पार्टी के एक नेता ने अधिकारियों से शपथ लेने को कहा है कि वो किसी धर्म को नहीं रहने देंगे सिवाय मार्क्सवादी विचारधारा के। इस इलाके में सरकार का निगरानी तंत्र बहुत मजबूत है और वी चैट की एक पोस्ट के मुताबिक इस नेता ने अधिकारियों से यह भी कहा है कि सार्वजनिक रूप से वो सिर्फ मंदारिन में बात करें।
 
 
लियु मिंग ने उरमुकी के अभियोजन विभाग के अधिकारियों से आग्रह किया है कि वो अपने वीचैट अकाउंट पर हलाल के खिलाफ लड़ने का संदेश छापें। वी चैट एक व्हाट्सऐप जैसी मैसेंजर सेवा है जो चीन में बहुत लोकप्रिय है।
 
 
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने बुधवार को लेख में दूध, टूथपेस्ट और टिश्यू जैसी चीजों में हलाल का लेबल लगाने की आलोचना की थी। अखबार ने विशेषज्ञों को के हवाले से लिखा था, "हलाल के पीछे की प्रवृत्ति ने धर्म और धर्ननिरपेक्ष जीवन की बीच की रेखा धुंधली कर दी है, ऐसे में धार्मिक चरमपंथ के दलदल में गिरना बहुत आसान हो गया है।"
 
 
शिनजियांग प्रांत में चीन की सरकार लोगों की धार्मिक और निजी आजादी पर हमले कर रही है। यह प्रांत एक करोड़ से ज्यादा तुर्क भाषा बोलने वाले उईगुर मुसलमान अल्पसंख्यकों का घर है। गैर सरकारी संगठनों और मीडिया की खबरों से पता चलता है कि करीब 10 लाख उईगुर मुसलमानों को शिविरों में ले जाकर रखा गया है जहां उन्हें कम्युनिस्ट प्रचार का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके साथ ही उन्हें उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को भी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है।
 
 
इसी साल अगस्त में संयुक्त राष्ट्र ने चीन से मांग की कि अगर इन लोगों को कानूनी तौर पर नहीं हिरासत में नहीं लिया गया है तो उन्हें मुक्त कर दिया जाए। संयुक्त राष्ट्र ने इन शिविरों को "गैर अधिकार क्षेत्र" कहा। चीन की सरकार ऐसे शिविर होने की बात से इनकार करती है और उसका कहना है कि उसके उठाए कदमों का मकसद "चरमपंथ" को हतोत्साहित कर "सामाजिक स्थिरता" सुनिश्चित करना है। सरकार का यह भी कहना है कि जिन शिविरों की बात की जा रही है वो वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए शुरू किए गए हैं।
 
 
इस बीच चीन सरकार के इन विवादित शिविरों में नए नियम लागू किए जा रहे हैं। मंगलवार को स्थानीय सरकार ने इन नियमों को मंजूरी दी जिसके मुताबिक इन शिविरों में मंदारिन भाषा, कानून और वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी। क्षेत्रीय सरकार की वेबसाइट पर नए नियमों की एक सूची जारी की गई है। इससे पहले मार्च 2017 में नए नियम लागू किए गए थे। उन नियमों में लंबी दाढ़ी रखने और पर्दा करने पर रोक लगाई गई थी।
 
एनआर/ओएसजे (डीपीए, एएफपी)
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

अगला लेख