लोकसभा चुनाव के नतीजों का क्या होगा शेयर बाजार पर असर

DW
बुधवार, 29 मई 2024 (07:41 IST)
loksabha election 2024 and share market : भारत का लोकसभा चुनाव 2024 अब अपने अंतिम चरण में है। नतीजों की तारीख यानी 4 जून में ज्यादा वक्त नहीं बचा है और निवेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार सत्ता में लौटने का इंतजार कर हैं। लेकिन इस बार विदेशी निवेशकों की उम्मीदें कुछ अलग हैं।
 
भारतीय शेयर बाजारों ने 2023 में दुनिया के कई बड़े बाजारों को पीछे छोड़ दिया था। माना जा रहा है कि बाजार असली भाव से कहीं ज्यादा बाहर जा चुका है। फिर भी, निवेशकों को उम्मीद है कि अगर मोदी सरकार सत्ता में लौटती है तो शेयर बाजारों में कुछ समय के लिए तेजी दिख सकती है। निवेशकों का कहना है कि मोदी सरकार के लौटने का मतलब होगा कि राजनीतिक स्थिरता और नीतियां जारी रहेंगी, जिससे बाजार को बढ़त मिल सकती है।
 
इस साल बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बीएसई सूचकांक चार फीसदी ऊपर है। एक विश्लेषक के मुताबिक यह बढ़त साल के आखिर तक दोगुनी हो सकती है। हालांकि निवेशकों और सट्टा बाजार को आशंका है कि बीजेपी की सीटें कम हो सकती हैं।
 
बाजार की प्रतिक्रिया
पिछले साल विदेशी निवेशकों ने भारत में 20.74 अरब डॉलर का निवेश किया था। एशिया के बाजारों में यह सबसे बड़ा निवेश था। लेकिन चुनाव से पहले काफी धन बाहर निकाल लिया गया था।
 
रॉयटर्स से बातचीत में फंड मैनेजरों ने कहा कि अगर मोदी की जीत का अंतर कम होता है तो बाजार में कुछ समय के लिए अस्थिरता देखने को मिल सकती है। अगर विपक्ष की जीत होती है तो बाजार में बड़ी गिरावट आ सकती है क्योंकि नीतियों को लेकर उलझन की स्थिति होगी।
 
मुंबई स्थित आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड के वरिष्ठ फंड मैनेजर मितुल कलवाड़िया ने कहा, 'बाजार निरंतरता चाहता है। इसलिए गठबंधन या किसी अन्य पार्टी की जीत की उम्मीद नहीं की जा रही है। अगर ऐसा होता है तो एक औचक प्रतिक्रिया दिखाई दे सकती है।'
 
नीतियां जारी रहने की उम्मीद
निवेशकों के मुताबिक मोदी सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने से पहले से बनी नीतियां जारी रहेंगी। इनमें वित्त प्रबंधन में सुधार और मुद्रा में स्थिरता शामिल हैं। मुंबई स्थित एक्सिस म्युचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी आशीष गुप्ता कहते हैं, 'पिछले एक-दो साल में भारत में वित्तीय अनुशासन के मामले में अच्छी स्थिरता दिखाई दी है। मुद्रास्फीति भी नियंत्रित रही है। इससे कर्ज और शेयर बाजार दोनों में भारत में खतरे कम हुए हैं।'
 
निवेशकों को उम्मीद है कि मोदी सरकार सत्ता में आएगी और भारत को मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने की नीति जारी रहेगी। पिछले कुछ सालों में कई विदेशी कंपनियों ने भारत में अपने उत्पादों का निर्माण शुरू किया है। इनमें एप्पल जैसी दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं। इसके अलावा टेस्ला के भी भारत में अपनी कारों का निर्माण करने की संभावना है।
 
लंदन स्थित फेडरेटेड हर्मीज इक्विटी फंड में पोर्टफोलियो मैनेजर विवेक भुतोरिया कहते हैं कि स्पष्ट बहुमत को उद्योगों और निवेशकों के लिए अच्छा माना जाएगा और विदेशी निवेशक आकर्षित होंगे।
 
प्रचार के दौरान विपक्षी कांग्रेस ने भारत में आर्थिक असमानता दूर करने की बात कही है। निवेशक इस कदम से खुश नहीं होंगे। सिंगापुर स्थित ऑलस्प्रिंग ग्लोबल इन्वेस्टमेंट्स के पोर्टफोलियो मैनेजर गैरी टैन कहते हैं, "हम चाहते हैं कि बीजेपी सामाजिक भलाई की योजनाओं पर अति-निर्भरता से दूर रहे। ऐसी योजनाओं पर जरूरत से ज्यादा निर्भरता खर्चे बढ़ा सकती है और भारत के स्थिरता के दावों को कमजोर कर सकती है।”
वीके/एए (रॉयटर्स)

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