भारत में भी सफल अफ्रीका का एक्सपेरिमेंट

Webdunia
सोमवार, 12 फ़रवरी 2018 (12:48 IST)
विशाल जंगली हाथी बड़ी बड़ी चीजों से नहीं डरते। वे ट्रकों और बुलडोजरों तक को पलट देते हैं। लेकिन अफ्रीका के किसानों ने एक छोटी सी चीज से जंगली हाथियों को डराने में सफलता पाई है।
 
फसल के सीजन में केरल के किसान रात में सो नहीं पाते थे। उन्हें डर लगता था कि जंगली हाथी उनकी फसल चौपट कर देंगे। उन्होंने करंट वाली बाड़ भी लगाई, ढोल भी बजाए और पटाखे भी छोड़े लेकिन हाथियों पर उनका कोई असर नहीं हुआ।
 
लेकिन 2017 में किसानों तक एक नई जानकारी पहुंची। जानकारी अफ्रीका में हुए एक सफल प्रयोग की थी। अफ्रीका के कई देशों में जंगली हाथियों और किसानों के बीच लंबे समय से टकराव होता आ रहा है। केन्या और तंजानिया में हाथी कई बार खेतों में घुस जाते हैं और किसान उन्हें गोली मार देते हैं। इस टकराव को रोकने के लिए सेव द एलिफेंट्स नाम की संस्था ने कई तरकीबें अपनाई। लेकिन खेतों के आस पास बिजली वाली तारें लगाना बेहद खर्चीला साबित हुआ। एक एकड़ की वायरिंग करने में ही 700 यूरो यानी करीब 56,000 रुपये की लागत आई।
 
इसी दौरान ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्चर लूसी किंग केन्या में एक प्रयोग करने लगीं। प्रयोग के तहत जंगल से सटे कुछ इलाकों में कुछ खेतों की घेराबंदी मधुमक्खियों के छत्तों से की गई। नतीजे चौंकाने वाले थे। जिन जिन खेतों के आसपास मधुमक्खियों, ततैयों या डंक मारने वाले भौंरों के छत्ते थे वहां हाथी बिल्कुल नहीं आए। बिल्कुल ऐसे ही नतीजे तंजानिया में भी मिले।
 
इस दौरान संस्था को पता चला कि जिन किसानों के खेतों में मधुमक्खियों के बॉक्स रखे हैं, वहां हाथी नहीं आते। अफ्रीका के 11 देशों में सफल परिणाम आने के बाद भारत और श्रीलंका समेत चार एशियाई देशों में यह प्रयोग किया गया। दक्षिण भारत और श्रीलंका में हुए प्रयोग के दौरान पता चला कि सिर्फ अफ्रीकी ही नहीं, बल्कि एशियाई हाथी भी झुंड में हमला करने वाली भंवर प्रजाति के कीटों से डरते हैं। केरल के गांवों में अब किसानों ने खेत की बाड़ में मधुमक्खी के छत्ते लगाने शुरू कर दिए हैं। मधुमक्खी के छत्ते हाथियों से भी बचा रहे हैं और शहद से किसानों की अतिरिक्त कमाई भी हो रही है।
 
विशाल हाथी को मधुमक्खियों, ततैया, भंवरों से डर लगता है। आम तौर हाथी की मोटी खाल पर इनके डंक का कोई असर नहीं होता, लेकिन ततैये या मधुमक्खियां झुंड में हमला करते हैं। ये हाथी की नाजुक आंख, कान और सूंड को भी निशाना बनाते हैं। इन अंगों के पास मुलायम त्वचा होती है और वहां डंक लगने से हाथी भी तिलमिला उठते हैं।
 
इसी वजह से जंगल में इन मक्खियों की भिनभिनाहट सुनते ही हाथी घबरा जाते हैं। उनका पूरा झुंड फौरन भिनभिनाहट वाली आवाज से दूर जाने की कोशिश करता है।
 
रिपोर्ट ओंकार सिंह जनौटी

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