अगले महाविनाश में इंसान का सफाया!

Webdunia
बुधवार, 23 सितम्बर 2015 (12:57 IST)
कभी डायनासोर सबसे ज्यादा शक्तिशाली जीव थे जो पूरी तरह खत्म हो गए। आज इंसान सबसे ज्यादा शक्तिशाली है, लेकिन उसके सफाये की आशंका भी उतनी ही प्रबल है।
पृथ्वी पर जीवन बीते 50 करोड़ साल से है। अब तक पांच बार ऐसे मौके आए हैं जब सबसे ज्यादा फैली और प्रभावी प्रजातियां पूरी तरह विलुप्त हुई हैं। भविष्य में सर्वनाश का छठा चरण आएगा और इंसान के लिए यह बुरी खबर है, क्योंकि इस वक्त धरती पर सबसे ज्यादा प्रबल प्रजाति उसी की है।
 
इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सर्वनाश और क्रमिक विकास पर शोध किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक आखिरी सर्वनाश की घटना 6.6 करोड़ साल पहले घटी। तब एक बड़ा धूमकेतु पृथ्वी से टकराया और 15 करोड़ साल तक धरती पर विचरण करने वाले डायनासोर एक झटके में खत्म हो गए। डायनासोरों की तुलना में इंसान ने पृथ्वी पर बहुत कम समय गुजारा है, करीब 15 लाख साल।
 
वैज्ञानिकों के मुताबिक बीती घटनाओं के दौरान, एक समान दिखने वाली या बहुत ही कम अंतर वाली प्रजातियों का 50 से 95 फीसदी तक सफाया हुआ। शोध टीम के प्रमुख प्रोफेसर एलेक्जेंडर डनहिल कहते हैं, 'जीवाश्मों के आधार पर बीते दौर के व्यापक सफाए को देखें तो पता चलता है कि मौजूदा जीवों की लुप्त होने की रफ्तार भी काफी ऊंची है।' दूसरे शब्दों में कहें तो धरती सर्वनाश के छठे चरण की ओर बढ़ रही है।
 
शोध टीम के मुताबिक सर्वनाश के लिए जिम्मेदार कई घटनाएं फिलहाल इंसान के बस में नहीं हैं। इतिहास को देखें तो पता चलता है कि खगोलीय या भूगर्भीय घटनाओं के कारण पृथ्वी की जलवायु में अभूतपूर्व बदलाव आए और ज्यादातर जीव उजड़ गए। 20 करोड़ साल पहले ट्राइएशिक-जुरासिक काल के दौरान भी यही हुआ।
 
प्रोफेसर डनहिल के मुताबिक, 'ऐसे जीव जो इन परिस्थितियों के मुताबिक खुद को बहुत तेजी से नहीं ढाल पाए वे लुप्त हो गए।' ट्राइएशिक-जुरासिक काल के 80 फीसदी जीव बदलाव की भेंट चढ़े।
 
हालांकि महाविनाश की वो घटनाएं वक्त बीतने के साथ धीमी पड़ती गईं। यही कारण है कि मगरमच्छ और सरीसृप प्रजाति के कई जीव बच गए। और फिर धीरे-धीरे क्रमिक विकास के साथ स्तनधारी और पंछी बने।
 
बीती घटनाओं के आधार पर नतीजे निकाले जाएं तो अगले महाविनाश में सबसे ज्यादा नुकसान इंसान को होगा। डनहिल कहते हैं, '20 करोड़ साल पहले फूटे ज्वालामुखियों ने वायुमंडल में बहुत ही ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसें छोड़ीं, इनकी वजह से जानलेवा ग्लोबल वॉर्मिंग हुई। तथ्य यह है कि हम इंसानी गतिविधियों से वैसे ही हालात तैयार कर रहे हैं, वो भी समय के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से।'
 
इंसान की वजह से आज प्रकृति तबाह हो चुकी है और कई प्रजातियां लुप्त होने पर मजबूर हो चुकी हैं। प्रोफेसर डनहिल के मुताबिक किसी भी और प्रजाति की तुलना में इंसान धरती पर सबसे ज्यादा फैले हैं, 'आप कह सकते हैं कि हम इतने बड़े इलाके में फैले हैं कि क्रमिक विकास की बड़ी घटना में हमारा पूरी तरह सफाया नहीं होगा, लेकिन दुनिया की ज्यादातर आबादी अब भी आहार, पानी और ऊर्जा के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है। प्रकृति में होने वाली बड़ी उथल पुथल का असर इंसानों पर निश्चित रूप से नकारात्मक होगा।'
 
- ओएएसजे/एमजे (एएफपी) 
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