हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की सिफारिश वापस ले सकती है सरकार

Webdunia
शनिवार, 23 मई 2020 (08:52 IST)
रिपोर्ट : हृदयेश जोशी
 
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कोविड-19 से बचने के लिए हर रोज मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन लेते हैं लेकिन ईयू के विशेषज्ञ इसे कारगर नहीं मानते। अब भारत के चिकित्सा अधिकारी भी इस दवा के असर पर संदेह करने लगे हैं।
 
कोरोना के इलाज के लिए अब तक वैकल्पिक बचाव मानी जा रही हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) का प्रयोग भारत सरकार जल्द ही रोक सकती है। कुछ देशों में किए गए निर्णायक टेस्ट में फेल हो जाने के बाद इस दवा की उपयोगिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं और देश के मेडिकल एक्सपर्ट और हेल्थ एक्टिविस्ट इसे इस्तेमाल किए जाने को लेकर वैज्ञानिक और नैतिक सवाल उठा रहे हैं।
ALSO READ: डोनाल्ड ट्रंप ने किया खुलासा, Corona से बचाव का एक तरीका है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन...
भारत की सबसे बड़ी मेडिकल रिसर्च बॉडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) इस दवा का इस्तेमाल रोक सकती है और अपनी तय गाइडलाइंस में बदलाव कर दवाओं का नया मिश्रण सुझा सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर के भीतर इस मुद्दे पर चल रहे बहस की पुष्टि करते हुए एक अधिकारी ने डीडब्ल्यू से कहा कि इस बारे में फैसला एजेंसी की नेशनल साइंटिफिक टास्क फोर्स को ही करना है।
 
महत्वपूर्ण है कि अप्रैल में जब अमेरिका ने भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की मांग की तो बड़ा हड़कंप मचा। तब मांग उठी थी कि मलेरिया के इलाज में दी जाने वाली इस दवा को भारत पहले अपनी जनता के लिए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित रखे और उसके बाद ही किसी अन्य देश को सप्लाई करे। लेकिन तकरीबन डेढ़ महीने बाद यह साफ हो गया है कि हाइड्रोक्लोरोक्विन न केवल कोरोना से लड़ने में बेअसर है बल्कि टेस्ट के दौरान इंसान पर इसके प्रतिकूल असर (साइड इफेक्ट) भी दिखे हैं।
ALSO READ: कोरोना के इलाज में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन हो सकती है घातक, विशेषज्ञों की चेतावनी
एहतियातन इस्तेमाल की दवा
भारत में अब तक कोरोना के 1 लाख से अधिक मरीजों की पहचान हो चुकी है और 3,000 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। इस बीमारी की कोई दवा न होने के कारण हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को इसका इलाज सुझाया गया था। आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय ने बचाव के तौर पर इसके इस्तेमाल की अनुमति दी है ताकि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इस्तेमाल में लगे हेल्थ वर्कर और गंभीर रूप से बीमार मरीज इसे ले सकें और अपना बचाव कर सकें। इसके अलावा निजी अस्पतालों में गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों पर इसका दवा का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ALSO READ: Corona virus : भारत से हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की एक खेप अमेरिका पहुंची
हालांकि पहले मेडिकल पत्रिका 'न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन' में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के बेअसर होने की खबर छपी और उसके बाद चीन और फ्रांस में मरीजों पर किए गए रेंडमाइज्डकंट्रोल ट्रॉयल (आरसीटी) में भी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन फेल हो गई। आरसीटी किसी दवा के प्रभाव को जानने का सबसे प्रभावकारी और विश्वसनीय तरीका है। दोनों ही देशों में किए गए ट्रॉयल में पाया गया कि दवा न केवल अप्रभावकारी है बल्कि मरीज पर इसका बुरा असर भी हो रहा है।
 
डीडब्ल्यू ने इस बारे में आईसीएमआर के निदेशक बलराम भार्गव से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो सकी। लेकिन आईसीएमआर में वैज्ञानिक और मीडिया को-ऑर्डिनेटर डॉ. लोकेश शर्मा ने हमें बताया कि इस बारे में पहले से तय गाइडलाइंस पब्लिक डोमेन में हैं। कमेटी (साइंटिफिक टास्क फोर्स) में जो भी फैसला लिया जाएगा, उसकी सूचना मीडिया को दी जाएगी।
ALSO READ: अमेरिका के कई अस्पताल Covid 19 के इलाज में कर रहे Hydroxychloroquine का इस्तेमाल
इससे पहले आईसीएमआर के विशेषज्ञ अप्रैल में ही कह चुके हैं कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के असर को लेकर इतने कम प्रमाण हैं कि उसके बहुत सीमित इस्तेमाल की सलाह दी जा रही है। आईसीएमआर के मुख्य महामारी विशेषज्ञ डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कोरोना बीमारी के विकराल रूप को देखते हुए चेतावनी दी थी कि यह पैनिक, जो फैल चुका है, उसमें अक्सर यह दिखाई देता है कि हमारी सोच इमोशनल हो जाती है।
 
उन्होंने कहा कि हम सोचते हैं कि मैं भी खा लूं तो अच्छा होगा। इससे बचना हमारे लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि जब तक हमारे पास उतना एविडेंस नहीं आएगा तो न तो हम मरीजों को यह दवा लेने को बोलेंगे और न उनकी सेहत के लिए यह अच्छा होगा। तो हम इसकी सलाह नहीं देंगे, क्योंकि कोई भी दवा जो होती है उसके साइड इफेक्ट होते हैं और वे डॉक्टर को ही मालूम होते हैं। किसको देना चाहिए और कैसे देना चाहिए, इसका हमने कभी पता नहीं किया।
हैरानी की बात है कि इसके बावजूद भारत में यह दवा मरीजों को बेरोकटोक दी जा रही है। जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे संगठनों का कहना है कि भारत में कोरोना बीमारी से लड़ने में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की उपयोगिता को लेकर कभी कोई स्टडी या ट्रॉयल नहीं हुआ इसलिए आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा इस दवा का इस्तेमाल जिस तरह से किया जा रहा, उसे लेकर कई सवाल हैं।
ALSO READ: WHO की ट्रंप को सलाह, परीक्षण कर ही वे लें hydroxychloroquine दवा
पब्लिक हेल्थ के लिए काम कर रहे संगठन ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क की को-कन्वीनर मालिनी आइसोला कहती हैं कि हमें इस बात की जानकारी है कि राज्यों का आईसीएमआर और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कोई तालमेल नहीं है। मिसाल के तौर पर एचसीक्यू के इस्तेमाल के लिए महाराष्ट्र के मुंबई प्रशासन ने अपना अलग ही प्रोटोकॉल बनाया है। वहां वह न केवल गंभीर रूप से बीमार मरीजों बल्कि ऐसे मरीजों में भी इस दवा (एचसीक्यू) का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो कोरोना के एसिम्पटोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज हैं। इन लोगों को यह दवा देना केंद्र सरकार की गाइडलाइंस का सीधा-सीधा उल्लंघन है। हमने देखा है कि निजी अस्पताल भी धड़ल्ले से मरीजों पर इस दवा को इस्तेमाल कर रहे हैं और कई बार तो मरीजों को इस बारे में बताया भी नहीं जा रहा कि उन्हें ये दवा दी जा रही है। ऐसा करना बिलकुल अनैतिक है।
 
जाहिर तौर पर जब यह दवा सामान्य से लेकर गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर बेअसर हो गई हो और इसके साइड इफेक्ट साबित हुए हों तो उसके इस्तेमाल की नैतिकता को लेकर भी आईसीएमआर पर दबाव है और इसे वापस लिए जाने की पूरी संभावना बताई जा रही है। 
 
इस बीच भारत के पड़ोसी बांग्लादेश ने कोरोना के खिलाफ दवा ढूंढने में कामयाबी का दावा किया है तो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) और जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने भी संयुक्त शोध में कहा है कि आयुर्वेदिक जड़ी अश्वगंधा में एक कुदरती तत्व हो सकता है, जो कोरोना की दवा बनाने में मददगार हो। शोधकर्ताओं ने पाया है कि अश्वगंधा से मिलने वाला विथानिया सोमनिफेरा और कैफिक एसिड फिनिथाइल ईस्टर में कोरोना से लड़ने की दवा बनाने की क्षमता है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

अगला लेख