वैज्ञानिकों ने मिनिएचर मेंढकों की चार प्रजातियां भारत के सुदूर इलाकों में ढूंढ निकाली हैं। यह मेंढक इतने छोटे हैं कि इंसान के नाखून पर बैठ सकें।
रिसर्चरों ने भारत के पश्चिमी घाटी की पहाड़ियों की जैव संपदा की तलाश में पांच साल बिताए। इनका मानना है कि इस इलाके में छोटे मेंढक काफी बड़ी संख्या में पाए जाते होंगे, लेकिन उनके छोटे आकार के कारण वे लोगों की नजर में नहीं आते। इस बेहद छोटे मिनिएचर मेंढक के अलावा भी रिसर्चरों ने मेंढक की तीन अन्य प्रजातियों का पता लगाया है। यह सभी उभयचर नॉक्टरनल यानि रात्रिचर प्राणी हैं। इस खोज की विस्तृत रिपोर्ट पियरजे मेडिकल साइंसेज में छपी है।
इसी कारण से इन्हें एक बेहद प्राचीन समूह में रखा जाना चाहिए। गर्ग ने बताया, "यह मिनिएचर स्पीशीज स्थानीय रूप से प्रचुरता में पायी जाती हैं और बड़े आराम से दिख जाती हैं। लेकिन इनके बेहद छोटे आकार, रहस्यमयी निवास और कीड़ो जैसी आवाजें निकालने के कारण इन्हें पहचाना नहीं गया।" ये नई प्रजातियां इतनी छोटी हैं कि किसी के नाखून से लेकर छोटे से सिक्के पर आराम से फिट हो जाएं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को पश्चिमी घाट के इलाके में साइट फ्रॉग्स (नैक्टिबैटरेकस) की कुल सात प्रजातियां मिली हैं। इनमें से चार मिनिएचर मेंढक हैं, जिनकी लंबाई 12।2 से 15।4 मिलिमीटर के बीच है। यह दुनिया में पाए जाने वाले सबसे छोटे मेंढकों में से एक बन गए हैं। इनके अनुवांशिक पदार्थ डीएनए की जांच, शारीरिक तुलनाओं और बायोएकूस्टिक्स से इस बात की पुष्टि की गई है कि यह सब नई प्रजातियां हैं।
भारत में मेंढकों की 240 से भी अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से आधी की खोज पश्चिमी भारत के इसी पहाड़ी इलाके में हुई है, जिसे जैवविविधता का ग्लोबल हॉटस्पॉट माना जाता है। अब तक नाइट फ्रॉग्स की करीब 35 प्रजातियों का पता लगाया जा चुका है।