Economy: इंग्लैंड में महंगाई की मार, भोजन जुटाना भी बना संघर्ष

DW
शनिवार, 17 दिसंबर 2022 (09:17 IST)
इंग्लैंड में अभूतपूर्व महंगाई ने लोगों की हालत ऐसी कर दी है कि कई परिवारों को भोजन जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे में लोग और ज्यादा मदद के लिए सरकार की तरफ देख रहे हैं। मूलभूल चीजें बहुत महंगी हो गई हैं और धर्मार्थ संस्थाएं सरकार से कह रही हैं कि और ज्यादा बच्चों को स्कूल में मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए।
 
लंदन के सेंट मेरिज प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों में से करीब आधे स्कूल में मुफ्त भोजन पाने के योग्य हैं। ये बच्चे देश के सबसे गरीब परिवारों से हैं। आसमान छूती महंगाई की वजह से मूलभूल चीजें बहुत महंगी हो गई हैं और धर्मार्थ संस्थाएं सरकार से कह रही हैं कि और ज्यादा बच्चों को स्कूल में मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए।
 
अभी तक प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार ने ऐसी मांगें नहीं मानी हैं। इस स्कूल में करीब 48 प्रतिशत बच्चे स्कूल में मुफ्त भोजन पाने के योग्य हैं और यह देश के औसत आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। स्कूल का नेतृत्व करने वाली टीम की सदस्य क्लेयर मिचेल ने एएफपी को बताया कि यह काफी बुरा है कि कई बच्चों और हमारे परिवारों को जीवन-यापन के लिए और भोजन तक के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
 
सीमा रेखा के विस्तार की जरूरत
 
दूसरे परिवार जिन्हें मुफ्त भोजन का लाभ मिल सकता है उन्हें यह नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उनकी कमाई योग्यता स्तर से ऊपर है। नि:शुल्क भोजन पाने के लिए अनिवार्य है कि परिवार की सालाना आय 9,163 डॉलर से कम होनी चाहिए।
 
धर्मार्थ संस्था स्कूल फूड मैटर्स की संस्थापक और मुख्य अधिकारी स्टेफनी स्लेटर के मुताबिक सीमा रेखा बहुत ही नीचे रखी गई है और यूनाइटेड किंग्डम के अंदर दूसरे विकसित देशों जैसी भी नहीं है। नॉर्दर्न आयरलैंड में सीमा रेखा 17,000 डॉलर के आस पास है। स्कॉटलैंड और वेल्स में तो स्कूलों में यूनिवर्सल मुफ्त भोजन की शुरुआत होने वाली है यानी हर स्कूल में हर बच्चे को दोपहर में मुफ्त भोजन मिलेगा।
 
तुलनात्मक रूप से इंग्लैंड में करीब एक-तिहाई बच्चों को लगभग 2.91 डॉलर मूल्य का लाभ मिलता है। चाइल्ड पॉवर्टी ऐक्शन ग्रुप के मुताबिक इंग्लैंड में हर तीसरा बच्चा, जो गरीबी परिवार से है, इस सुविधा के योग्य नहीं है। सेंट मेरीज स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों में से कई के माता-पिता बिजली और भोजन के बढ़ते खर्च का बोझ उठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। स्कूल का अपना फूड बैंक है, जहां ब्रेड और दूध जैसी जरूरी चीजें नि:शुल्क उपलब्ध हैं।
 
महामारी के बाद बिगड़े हालात
 
मिचेल ने बताया कि हमने महामारी के दौरान पहली बार इस बदलाव पर ध्यान देना शुरू किया, जब परिवारों में या तो नौकरियां जा रही थीं या उन्हें पहले जितने घंटों का रोजगार मिल पा रहा था उसमें कमी हो गई थी।
 
सटन ट्रस्ट के मुताबिक इंग्लैंड में महंगाई के इस ताजा दौर में स्कूल में भोजन का खर्च उठा पाने में असमर्थ परिवारों की संख्या में 50 प्रतिशत का उछाल आया है। इस बीच संस्था ने हाल ही में सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में और परिवारों को शामिल ना करने के लिए सरकार की आलोचना की।
 
स्कूल में मुफ्त भोजन का लाभ उठा चुके इंग्लैंड और मेनचेस्टर यूनाइटेड के फुटबॉल खिलाड़ी मार्कस रैशफोर्ड और परिवारों को इस कार्यक्रम में शामिल करने के एक अभियान का नेतृत्व करते रहे हैं।
 
गायक जेन मलिक, लंदन के महापौर सादिक खान और सुपर मार्केट कंपनी टेस्को के मुख्य अधिकारी केन मर्फी भी अब रैशफोर्ड के साथ जुड़ गए हैं। स्लेटर का कहना है कि जब हम भूख की बात करते हैं तो हम ऐसे बच्चों की बात कर रहे हैं, जो स्कूल आ रहे हैं और भरोसा कर रहे हैं कि उन्हें दोपहर में गर्म व पौष्टिक भोजन मिलेगा।
 
उन्होंने एएफपी को बताया कि ऐसे बच्चों, जो मुफ्त भोजन पाने के योग्य नहीं हैं लेकिन मुश्किल में हैं,  के लिए स्कूल या तो अपने ही बजट से नि:शुल्क भोजन उपलब्ध कराएंगे या उनके परिवार ऐसा भोजन भेज रहे हैं, जो उनके लिए काफी नहीं है। मिचेल कहती हैं कि एक भूखे बच्चे को ध्यान लगाने में दिक्कत होगी। अगर वो अभी क्षमता तक नहीं पहुंच पा रहे हैं तो बाद में तो उन्हें और दिक्कत होगी।
 
सीके/एए (एएफपी)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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