गाजा से लेकर यूक्रेन तक कतर की मध्यस्थता क्यों सफल है

अमेरिका, मिस्र और कतर के वार्ताकारों ने हमास और इजराइल के बीच ताजा संघर्षविराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौता कराया है। कतर कूटनीति में इतना कामयाब कैसे हो रहा है?

DW
रविवार, 19 जनवरी 2025 (07:59 IST)
कई हफ्तों तक दोहा में बातचीत करने के बाद आखिरकार गुरुवार को इजराइल और हमास के बीच एक समझौते का एलान हुआ। अमेरिका, कतर और मिस्र ने इस समझौते के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाई।
 
इस समझौते ने दोनों पक्षों के बीच जारी संघर्ष को फिलहाल रोक दिया है। यह 7 अक्टूबर 2023 को इजराइल पर हमास के हमले के बाद से ही चला आ रहा था। इस हमले में 1,200 लोगों की मौत हुई और 250 से ज्यादा बंधक बनाए गए। इसके बाद इजराइली सेना के गजा पर जवाबी हमलों में 46,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। इनमें 18,000 से ज्यादा बच्चे थे।
 
बुधवार की शाम एक प्रेस कांफ्रेंस में कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने कहा कि संघर्षविराम का पहला चरण रविवार को शुरू होगा और 42 दिनों तक चलेगा। हमास बाकी बचे 98 बंधकों में से 33 लोगों को रिहा करेगा। इसके बदले में इजराइल के कब्जे में मौजूद सैकड़ों फलीस्तीनी कैदी रिहा होंगे। अल थानी ने बताया कि समझौते के बाद गजा के लिए मानवीय सहायता भी काफी ज्यादा बढ़ जाएगी।
 
यह पहली बार नहीं है कि कतर ने वैश्विक संकट के समाधान में मध्यस्थ की भूमिका निभाई हो। कतर ने ईरान, अफगानिस्तान और वेनेज्वेला में पकड़े गए अमेरिकी नागरिकों की रिहाई के लिए भी समझौते कराए हैं। रूस ले जाए गए यूक्रेनी बच्चों को वापस लाने के समझौते में भी कतर ने भूमिका निभाई थी।
 
कतर ने सूडान और चाड के अलावा इरिट्रिया और जिबूती के बीच राजनयिक समझौतों के लिए ही बातचीत की भी अध्यक्षता की। इतना ही नहीं 2011 में दारफुर शांति समझौता कराने में भी उसकी भूमिका थी। 
 
2020 में कतर ने अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के लिए तालिबान के साथ समझौता कराया। इसके बाद नवंबर 2023 में इस्राएल-हमास के बीच अस्थाई संघर्ष विराम में भी वह शामिल था।
 
'शांति के लिए सहयोगी'
ब्रिटेन के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूट के सीनियर रिसर्च फेलो बुर्कु ओजेलिक ने डीडब्ल्यू से कहा, "कतर के प्रमुख मध्यस्थ के रूप में उभार ने उसकी कूटनीतिक स्थिति को मजबूत कर दिया है। उसे क्षेत्रीय रूप से पराया करने की बजाये दुनिया के मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी में बदल दिया है।"
 
ओजेलिक ने यह भी कहा, "इस नई भूमिका ने दोहा का प्रभाव बढ़ा दिया है और वैश्विक समुदाय में उसे 'शांति के लिए सहयोगी' के रूप में अपरिहार्य बना दिया है।"
 
कतर क्यों खुद को दुनिया में मध्यस्थ के रूप में तैयार कर रहा है, इसका भी लेखा जोखा मौजूद है। कूटनीतिक मामलों में अपनी हद से बाहर जा कर कतर अस्थिर इलाके में स्वतंत्र रूप से अपने लिए सुरक्षा कायम करना चाहता है।
 
अपनी विदेश नीति को ढालने के लिए उदाहरण के तौर पर वह असंतुष्टों, विद्रोहियों के साथ ही क्रांतिकारी और चरमपंथी गुटों को मदद दे कर उनके साथ खड़ा हो रहा है। अपने पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी संयुक्त अरब अमीरात से मुकाबले का यह उसका एक तरीका है। रिसर्चर अली अबो रेजेग ने एकेडमिक जर्नल इनसाइट तुर्की में 2021 में लिखे एक पेपर में कहा कि कतर अपने पड़ोसी सऊदी अरब से भी आदेश लेने से इनकार कर रहा है।
 
मध्यस्थता में इतना अच्छा क्यों है कतर?
रिश्तेदारियां अहम हैं और कतर को अपने व्यापक और विस्तृत संपर्कों के नेटवर्क के लिए जाना जाता है। उसने कई गुटों को बेस, हथियार या फिर धन दे कर उनका समर्थन किया है। इसमें तालिबान से लेकर, मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड, लीबिया की मिलिशिया और सीरिया, ट्यूनीशिया, यमन में सरकार विरोधी क्रांतिकारी भी शामिल हैं, जो कथित अरब वसंत के दौरान उठ खड़े हुए थे।
 
2012 में बराक ओबामा के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने हमास की राजनीतिक शाखा को सीरिया से ईरान ले जाने के बजाय कतर में पनाह देने को कहा। ईरान में अमेरिका के लिए उन तक पहुंचना मुश्किल होता।
 
कतर ने ईरान के बजाय उसके पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक रिश्ते और अच्छे संबंध बना कर रखे हैं। उनमें से कई ईरान को अपना दुश्मन मानते हैं। इतना ही नहीं, कतर ने 2001 से ही अमेरिका के एयरबेस को भी अपने देश में जगह दे रखी है। 10,000 से ज्यादा सैनिकों वाला यह अमेरिका का मध्यपूर्व में अब सबसे बड़ा सैनिक अड्डा है।
 
यूरोपियन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में खाड़ी देशों की विशेषज्ञ सिंजिया बियांको का कहना है, "कतर को निश्चित रूप से इन सब का फायदा मिला है क्योंकि पश्चिमी देशों की सरकारें और कुछ हद तक पूर्वी देश भी उसे एक उपयोगी दोस्त के रूप में देखते हैं।"
 
उदाहरण के लिए 2022 की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कतर को प्रमुख गैर नाटो सहयोगी घोषित किया। इसकी एक वजह यह थी कि कतर ने अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान से निकलने के लिए समझौता कराने में मदद दी।
 
सभी पक्षों के साथ सहानुभूति रखना भी कतर के लिए मददगार है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी अधिकारियों के साथ करीब से काम करने के बावजूद कतर इलाके के इस्लामी संगठनों के लिए भी व्यावहारिक है। वह उन्हें ऐसी लोकप्रिय राजनीतिक क्रांतियों के रूप में देखता है जिन्हें अनदेखा या खत्म नहीं किया जा सकता। कुछ मामलों में उसे इनसे भी मदद मिली है। तालिबान के सदस्यों का कहना है कि वे कतर में ज्यादा सहज महसूस करते हैं। उनका मानना है कि वह सभी पक्षों को समझता है। 
 
तटस्थता प्राथमिकता है 
बियांको का कहना है कि कतर के वार्ताकारों के पास, जरूरी नहीं कि कोई खास हुनर हो। वे इस काम के लिए खुद को तैयार करते हैं। बियांकों के मुताबिक, "मैं यह नहीं कहूंगी कि यूरोप समेत दूसरी सरकारों के लिए काम करने वाले राजनयिकों की तुलना में यह कोई ज्यादा है। मुझे लगता है कि यह आपकी प्रवृत्ति के बारे में ज्यादा है, जहां आप जितना संभव है तटस्थ रहने की कोशिश करते हैं। उनके लिए यह बुनियादी रूप से मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए जरूरी है। इसका मतलब है कि वे इसे सब चीजों से ऊपर रखते हैं, जिसमें घरेलू और क्षेत्रीय राजनीति भी शामिल है"
 
बियांको के मुताबिक कतर की संपत्ति की भी इसमें भूमिका है। कतर के संसाधन उसकी सरकार को प्रतिभागियों की मेजबानी और कई समस्याओं पर एक साथ काम करने में सक्षम बनाते हैं।
 
इसका संबंध सीमित लाल फीताशाही से भी है। कतर के हमाद बिन खलीफा यूनिवर्सिटी में पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर सुल्तान बरकत ने अकॉर्ड पत्रिका में फरवरी में लिखा था, "(कतर के) विदेश मंत्रालय के पास यह क्षमता है कि वह बिना लोगों की पूछ परख किए फैसले ले सकता है। इसका मतलब है कि वह निर्णायक रूप से काम कर सकता है।" यह पत्रिका नियमित रूप से अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए उठाए कदमों की समीक्षा करती है।
 
संतुलन की खतरनाक कवायद
इजराइली राजनेताओं ने कतर पर "भेड़ की खाल में भेड़िया" होने और आतंकवाद को धन देने का आरोप लगाया। अमेरिकी राजनेता भी कह रहे हैं कि अगर उसने हमास पर दबाव नहीं डाला तो वे कतर के साथ अपने रिश्तों की समीक्षा करेंगे। अप्रैल में रिपब्लिकन सीनेटरों ने कतर का गैर नाटो सहयोगी देश का दर्जा खत्म करने के लिए एक बिल पेश किया।
 
कतर बार बार यह कहता रहा है कि हमास पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है। बियांको कहती हैं, "जब आप गैर सरकारी हथियारबंद मिलिशिया के संपर्क में आते हैं तो जाहिर है कि खतरा आप पर मंडराता रहता है और लोग कहते हैं कि किसी ना किसी रूप में आप इन गुटों को मान्यता दिला रहे हैं, उन्हें ज्यादा वैधता या संसाधनों तक पहुंच हासिल हो रही है।"
 
उनके मुताबिक कतर की दलील है, "हां, हमारे उनसे संबंध हैं, लेकिन हम उसका इस्तेमाल अच्छे के लिए कर रहे हैं।" देश भले ही शानदार ना हो लेकिन विशेषज्ञों की दलील है कि इस वक्त वह एक जरूरी भूमिका निभा रहा है।
 
स्विट्जरलैंड में यूएन इंस्टिट्यूट फॉर ट्रेनिंग एंड रिसर्च के कूटनीति विभाग के निदेशक राबिह अल हदाद का कहना है, "दो विश्व युद्धों से पहले आमने-सामने ना बैठने और बात ना करने की इंसानियत ने बड़ी कीमत चुकाई है। आज हमें ऐसे पक्षों की जरूरत है जो संघर्ष में जुटे लोगों की आपस में बात करा सकें और समझौतों, कूटनीति व अंतरराष्ट्रीय कानून के जरिए उनके मतभेद को दूर कर सकें।"
 

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