धधकते सूर्य के पास गंधक से भरा एक ग्रह है। यह हैरानी की बात है कि गंधक धधक कर भस्म क्यों नहीं हुआ। आखिर यह गंधक आया कहां से? बुध ग्रह ऐसे ही कौतूहलों से भरा है।
बुध सौर मंडल का सबसे छोटा ग्रह है। सौर मंडल में जब ग्रहों की गणना की जाती है तो मर्करी यानि बुध सबसे पहले आता है। उसके बाद कम्रश: शुक्र, पृथ्वी और मंगल ग्रह की कक्षाएं आती हैं। सौर मंडल में यही चारों ग्रह ठोस रूप में है, इन्हें आंतरिक ग्रह भी कहा जाता है। मंगल के बाद आने वाले ग्रहों को बाह्य ग्रह कहा जाता है, जिनमें बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण आते हैं। बाह्य ग्रह गैस रूप में होते हैं।
अब बात करते हैं सूर्य के सबसे करीबी और सबसे छोटे ग्रह बुध की। सिर्फ 88 दिनों में सूर्य की परिक्रमा करने वाला बुध बेहद चमकीला ग्रह है। अपने चुंबकीय क्षेत्र के कारण यह बेहद दिलचस्प माना जाता है। अब हासिल जानकारी के मुताबिक बुध में गंधक और लोहा काफी मात्रा में है। दिन में 427 डिग्री सेल्सियस के तापमान वाले इस ग्रह में आखिर गंधक भस्म क्यों नहीं होता है? आम तौर पर ठोस गंधक 115.21 डिग्री सेल्सियस पर गलने लगता है। लेकिन बुध में ऐसा क्यों नहीं होता? आखिर इस ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र कैसे बना? बुध पर पानी कैसे मौजूद है?
ऐसे कई सवाल हैं जिनकी पड़ताल करने के लिए 16 हाई टेक उपकरणों वाला एक अंतरिक्ष यान बुध पर भेजा जाएगा। बेपी कोलंबो एक साझा मिशन है जो दिसंबर 2025 में बुध पर पहुंचेगा। इसमें यूरोप में तैयार एक सैटेलाइट है जो बुध के धरातल का नक्शा खींचेगी जबकि एक जापानी यान उसके चुंबकीय क्षेत्र की पड़ताल करेगा।
इनमें से एक उपकरण बर्लिन के रिसर्चरों ने बनाया है। इसका मकसद तापीय विकिरण को मापना है। वैज्ञानिक बुध के धरातल को गहराई से समझना चाहते हैं। सबसे पहले उन्होंने देखा कि जब धरती पर अलग अलग तरह की चट्टानें उच्च तापमान के संपर्क में आती हैं तो क्या होता है। इन नतीजों की तुलना बुध ग्रह से आने वाले डाटा से होगी। अत्यधिक ऊष्मा एक चुनौती है।
सौर मंडल के दूसरे ग्रहों की तरह, बुध भी आदिकाल में एक विशाल बादल से बना। यह साढ़े चार अरब साल पुरानी बात है। यह बादल गैस और धूल से बना था और नए नवेले सूरज के इर्द गिर्द घूम रहा था। सबसे पहले तो कुछ पदार्थों के छोटे छोटे टुकड़े यूं ही आपस में जुड़े। करोड़ों वर्षों की अवधि में उनका विस्तार होता गया।
जब कई किलोमीटर लंबे धूल के ढेर साथ आते हैं, तो वे गर्म होकर एकजुट होने लगते हैं। ब्रह्मांड में बनता भंवर जैसे आकार का यह द्रव्यमान दूसरे पदार्थों को भी अपनी तरफ खींचने लगता है। अंत में गर्म, गोल आकार वाले ग्रह सामने आते हैं। सूरज और उसके अत्यधिक विकिरण से कोई ग्रह जितना दूर होगा, वहां बर्फ की संभावना उतनी ज्यादा होगी। फिर बर्फ पानी से बनी हो या फिर मीथेन या दूसरी अस्थिर गैसों से। यहीं पर शनि जैसे विशाल गैस वाले ग्रह बने।
लेकिन सूरज के नजदीक ठोस सतह वाले ग्रहों ने आकार लिया, जैसे मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध। अमेरिकी अंतरिक्ष यान मैसेंजर ने बुध की सतह की पड़ताल की। बुध पर पृथ्वी और मंगल की तुलना में ज्यादा लोहा है। बुध पर गंधक यानि सल्फर और क्लोरीन जैसे तत्व पाकर वैज्ञानिक हैरान हैं। बर्लिन में डीएलआर इंस्टीट्यूट ऑफ प्लेनेटरी रिसर्च के डॉ. योएर्गन हेलबर्ट इस अभियान से जुड़े हैं। वह कहते हैं, "ये ऐसे पदार्थ हैं जो इतने ज्यादा तापमान में गायब हो जाने चाहिए थे। जैसे कि गंधक तो होना ही नहीं चाहिए था। लेकिन बुध के धरातल में साढ़े चार फीसदी गंधक है। यह बड़ी हैरानी वाली बात है। तो सवाल यह है कि बुध कैसे बना और कहां पर बना।"
क्या बुध ने सूर्य के नजदीक ही, अपनी मौजूदा कक्षा में आकार लिया? अगर ऐसा है तो फिर वहां इतना ज्यादा अस्थिर सल्फर कैसे है। यह सौर मंडल के बनने की थ्योरी से मेल नहीं खाता। क्या बुध का निर्माण पूरी तरह कहीं और हुआ था? सूरज से बहुत दूर, किसी ठंडी जगह पर? या फिर गैस वाले विशाल ग्रहों के पास? हो सकता है कि किसी छुद्रग्रह की टक्कर ने इसे कक्षा से निकाल कर सूरज के करीब पहुंचा दिया हो।
उम्मीद है कि बुध पर भेजे जाने वाले नए मिशन से पता चलेगा कि यह ग्रह कहां और कैसे बना। जिस दुनिया में हम जा नहीं सकते, उससे जुड़े सवालों के जवाब भी मिल सकते हैं। मसलन इस गर्म ग्रह के ध्रुवों पर शोधकर्ताओं को जमे हुए पानी के संकेत मिले हैं। पानी, जो कहीं भी जीवन के लिए पहली जरूरत है। यह पानी गड्ढ़ों में जमा है जो आदिकाल से पड़ रही परछाई में हैं और बहुत ही ठंडे हैं। यह एक सनसनीखेज खोज थी। डॉ योएर्न हेलबर्ट कहते हैं, "बुध में अब भी बहुत से रहस्य छिपे हैं। हमारे पास बहुत से विचार हैं कि यह कैसे बना। हमने बहुत से मॉडल बनाए हैं। लेकिन इस वक्त उनमें से कोई काम नहीं कर रहा। दूसरे शब्दों में, हमारे पास कोरी स्लेट है और हम इसे बहुत सारे नए सवालों के जवाब के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।"