कंपन के मरीजों के लिए मॉडर्न चम्मच

DW
मंगलवार, 23 सितम्बर 2014 (14:14 IST)
हाथ अगर कांपने लगे तो चम्मच से खाने में दिक्कत हो सकती है, लेकिन कंपन की बीमारी के शिकार मरीजों की मदद के लिए एक नया आविष्कार सामने आया है।

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खाना खाना सामाजिक संवाद का एक बड़ा मौका है।' यह मानना है मिशिगन विश्वविद्यालय के केल्विन चू का। न्यूरोलॉजी के पढ़ाने वाले केल्विन के मुताबिक जिन लोगों के हाथ कांपते हैं यानी जिन्हें ट्रेमर्स होते हैं, उन्हें खाने में दिक्कत होती है और जब खाने के लिए बाहर जाना पड़े तो उन्हें बहुत शर्म भी आती है।

अमेरिका में करीब एक करोड़ लोग कंपन के शिकार हैं। इसकी वजह है पार्किनसंस जैसी बीमारी जो हाथ, सिर, पलक और शरीर में दूसरी मांसपेशियों पर असर करती हैं। कंपन अकसर 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में दिखाई देता है। दुनिया भर में 70 लाख से एक करोड़ लोगों को पार्किनसंस है।

लेकिन एक नया आविष्कार कंपन से परेशान लोगों की मदद करेगा। लिफ्ट लैब्स नाम की बायोटेक कंपनी ने लिफ्टवेयर नाम की चम्मच बनाई है। चम्मच के कोने में उसे स्थिर करने के लिए खास स्टेबिलाइजिंग टेक्नोलॉजी है। चम्मच की पकड़ में लगे सेंसर कंपन को मापते हैं और हाथ के कंपन को संतुलित करने के लिए चम्मच का आगे वाला हिस्सा हिलता है। कंपन के उलट होने वाला मशीनी कंपनी चम्मच को संतुलित करता है।

एबीसी न्यूज चैनल से बात कर रहे जो ब्रेमहॉर्स्ट कहते हैं, 'यह उपकरण जबरदस्त है। यह उन लोगों की जानें बचा सकता है जो एक कौर खाना खुद नहीं खा सकते।' कंपनी चम्मच तक नहीं सीमित रहना चाहती। ग्राहक चम्मच के साथ एक कांटा भी खरीद सकते हैं और आने वाले समय में कंपनी खास छल्ला लाएगी जिससे मरीज आराम से ताले खोल सकेंगे।

लेकिन कंपनी का यह हाई टेक उपकरण अभी महंगा है। करीब 300 डॉलर की चम्मच अमेरिका में भी बहुत लोग खरीद नहीं सकते। लेकिन कंपनी चम्मच दान भी कर रही है। लिफ्ट लैब्स ने पिछले साल दिसंबर में चम्मच बेचने शुरू किए। हाल ही में गूगल ने लिफ्ट लैब्स को खरीद लिया है।

गूगल के संस्थापक सरगे ब्रिन की मां को भी पार्किनसंस है और इस तरह के आविष्कार में उनकी खास दिलचस्पी है। ब्रिन कहते हैं कि उनकी जेनेटिक धरोहर इस तरह की है कि उन्हें भी भविष्य में पार्किनसंस हो सकता है।

- एमजी/ओएसजे (डीपीए)
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