-रिपोर्ट : विवेक कुमार (डीपीए)
ब्रिटेन में 2022 में हवा से पैदा हुई बिजली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। यहां तक कि गैस और कोयले जैसे जीवाश्म ईंधनों से ज्यादा बिजली पवन ऊर्जा से पैदा हुई। बीते साल ब्रिटेन में जीवाश्म ईंधनों से ज्यादा ऊर्जा अक्षय ऊर्जा स्रोतों और परमाणु ऊर्जा से पैदा हुई। ब्रिटेन के नेशनल ग्रिड के मुताबिक 2020 के बाद 2022 में जीवाश्म ईंधन से ज्यादा ऊर्जा अक्षय ऊर्जा स्रोतों से पैदा हुई।
इसे देश के स्वच्छ ऊर्जा की ओर बढ़ने की दिशा में मील का एक अहम पत्थर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु और सौर ऊर्जा जैसे संसाधनों का प्रयोग जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए बेहद जरूरी है हालांकि इन्हें महंगा माना जाता है लेकिन कई जानकार कहते हैं कि लंबी अवधि में इनका प्रयोग सस्ता पड़ता है।
पवन ऊर्जा का नया रिकॉर्ड
जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभाव झेल रही है, तब ब्रिटेन में अक्षय ऊर्जा स्रोतों के बढ़ते इस्तेमाल को सकारात्मक और उत्साहवर्धक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। ब्रिटेन भी जलवायु परिवर्तन के बेहद बुरे प्रभाव झेल रहा है। 2022 वहां अब तक का सबसे गर्म साल रहा था।
हालांकि यदि किसी एक स्रोत की बात की जाए तो ब्रिटेन में गैस अब भी सबसे बड़ा ऊर्जा स्रोत बना हुआ है। बीबीसी के मुताबिक नेशनल ग्रिड इलेक्ट्रिसिटी सिस्टम ऑपरेटर (ईएसओ) ने कहा है कि गैस बिजली पैदा करने के लिए 2022 में सबसे बड़ा स्रोत रही लेकिन विंड टर्बाइन की महत्ता लगातार बढ़ रही है।
कुल मिलाकर 48.5 प्रतिशत बिजली अक्षय ऊर्जा स्रोतों और परमाणु ऊर्जा से पैदा हुई जबकि 40 फीसदी बिजली गैस और कोयले से बनाई गई। एक स्रोत के रूप में पवन ऊर्जा दूसरा सबसे बड़ा बिजली पैदा करने वाला स्रोत रहा। गैस से 38.5 फीसदी बिजली पैदा की गई जबकि पवन ऊर्जा से 26.8 प्रतिशत।
पीछे छूटा कोयला
परमाणु ऊर्जा से 15.5 प्रतिशत बिजली बनी जबकि कोयले से मात्र 1.5 प्रतिशत। सौर ऊर्जा से 4.4 फीसदी बिजली बनी। नवंबर 2022 में सिर्फ 1 दिन में करीब 20 गीगावॉट बिजली यानी दिनभर के कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत पवन ऊर्जा से आया। यह 1 साल में 1,700 घरों की बिजली के लिए काफी है। उसके बाद 30 दिसंबर को फिर नया रिकॉर्ड बना जबकि विंड टर्बाइनों ने 20.91 गीगावॉट बिजली पैदा की।
फरवरी, मई, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर यानी साल के 5 महीनों में आधी से ज्यादा बिजली अक्षय ऊर्जा और परमाणु ऊर्जा से पैदा हुई। ब्रिटेन में कोयले का इस्तेमाल लगातार घट रहा है। 2012 में 43 फीसदी बिजली उत्पादन कोयले से चलने वाले संयंत्रों में हुआ था, जो 2022 में गिरकर सिर्फ 1.5 फीसदी रह गया।
बदलते ऊर्जा स्रोत
ब्रिटेन में इस परिवर्तन को अहम माना जा रहा है, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से कोयला और परमाणु बिजली जैसे स्रोतों पर निर्भरता बढ़ी है। यूरोप में कई देश कोयले की ओर लौटने पर विचार कर रहे हैं। जर्मनी में तो कई जगह कोयले का खनन दोबारा शुरू हो रहा है।
जर्मनी के लुएत्सेराथ गांव को कोयले की खुदाई के लिए खाली कराने की योजना है। जर्मनी में भूरे कोयले या लिग्नाइट का उत्पादन बंद हो रहा था लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद आए ऊर्जा संकट के चलते कोयला और परमाणु बिजली संयंत्रों की ओर देखा जा रहा है।
ब्रिटेन में पिछले साल एक कोयला खदान की अनुमति दी गई थी, जो 30 साल में खनन के लिए दी गई पहली अनुमति है। कई कंपनियों को नॉर्थ सी में तेल और गैसशोधन के नए लाइसेंस भी दिए गए हैं। फिर भी अमेरिका, स्पेन, जर्मनी और इटली की तर्ज पर ब्रिटेन में भी अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
Edited by: Ravindra Gupta