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इंडोनेशिया: शादी से पहले सेक्स बैन करने की तैयारी

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DW

, सोमवार, 5 दिसंबर 2022 (22:36 IST)
-एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
 
इंडोनेशिया शादी से पहले सेक्स को लेकर कानून में सख्ती करने जा रहा है। आलोचकों का कहना है कि कानून एक बार फिर दक्षिणपूर्व एशियाई देश में कड़े संघर्ष के बाद मिली लोकतांत्रिक आजादी छीन सकता है। आपराधिक कानूनों या दंडों में किए गए सबसे विवादास्पद संशोधनों में शादी से बाहर यौन संबंध से संबंधित कानून है, जो अपराधी को एक वर्ष तक की जेल की सजा दे सकता है।
 
नए कानून में अविवाहित जोड़ों को शादी से पहले लिवइन में रहना, राष्ट्रपति और राष्ट्रीय प्रतीकों जैसे राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रगान का 'अपमान करना' दंडनीय अपराध बनाया गया है।
 
इंडोनेशिया के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के डिप्टी स्पीकर सुफामी दास्कू अहमद और कानूनों में संशोधन करने वाले संसदीय आयोग के प्रमुख बंबांग वोरिएंटो ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा कि नए कानूनों को मान्यता देने के लिए मंगलवार को संसद का एक विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा।
 
सरकार और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने मसौदा कानूनों पर सहमति व्यक्त की है, जिसके बाद उन्हें अपनाने की सभी बाधाएं दूर हो गई हैं।
 
नए कानूनों का विरोध
 
देश के औपनिवेशिक युग के कानूनों को संशोधित करने का काम दशकों से चल रहा है और हाल के वर्षों में इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन इस साल सार्वजनिक स्तर पर इस मुद्दे पर एक बड़ी चुप्पी है।
 
संसद ने सितंबर 2019 की शुरुआत में नए कानून को मान्यता देने की योजना बनाई थी, लेकिन देशव्यापी विरोध और नागरिक स्वतंत्रता के लिए खतरों के कारण इसकी मंजूरी में देरी हुई। दुनिया के तीसरे सबसे बड़े लोकतंत्र में सांसदों ने बाद में कुछ नियमों और विवादास्पद प्रावधानों में नरमी कर दिया।
 
संशोधित प्रावधानों में शादी के बाहर सेक्स और अविवाहित जोड़ों के साथ सहवास से संबंधित शिकायतें अब केवल निकटतम रिश्तेदार जैसे पति-पत्नी, माता-पिता या बच्चे ही दायर कर सकते हैं। जबकि राष्ट्रपति के अपमान की शिकायत राष्ट्रपति की ओर से ही की जा सकती है। हालांकि कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक स्वतंत्रता समूहों का कहना है कि बदलावों से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
 
इंडोनेशिया में जनेतेरा स्कूल ऑफ लॉ की बेउतरी सुसांती कहती हैं कि ये नए आपराधिक कानून इंडोनेशिया के लिए एक बड़ा झटका हैं। उन्होंने कहा कि सरकार नैतिकता तय नहीं कर सकती। रूढ़िवादी और उदार इंडोनेशिया के बीच मध्यस्थता करना सरकार का काम नहीं है।

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