इंटरनेट में नफरत की बाढ़

Webdunia
शनिवार, 4 जून 2016 (11:53 IST)
फेसबुक, ट्विटर, माइक्रोसॉफ्ट और यूट्यूब जैसी दिग्गज इंटरनेट कंपनियां सोशल मीडिया में नफरत की आग उगलने वालों को काबू करेंगी। कंपनियां 24 घंटे के भीतर भड़काऊ बयानों को इंटरनेट से हटा देंगी।
यूरोपीय संघ के 'कोड ऑफ कंडक्ट' पर दुनिया की सबसे बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों ने दस्तखत किये हैं। इस बात पर सहमति हो गई है कि कंपनियां, इंटरनेट पर नफरत फैलाने वाले और भड़काऊ बयानों को 'तेजी और कुशलता' से पहचानेंगी और हटाएंगी।
 
अमेरिकी कंपनियों ने यूरोपीय संघ को यह भी भरोसा दिलाया है कि जब कभी कानूनी मामला सामने आएगा तो वे तेजी से कदम उठाएंगी। कंपनियों का दावा है कि वे 24 घंटे के भीतर जरूरी कदम उठाएंगी। इंटरनेट दिग्गज ऑनलाइन नफरत फैलाने वालों को पहचान करने वाले नागरिक संगठनों के साथ भी मिलकर काम करेंगी।
 
हालांकि कंपनियों ने नफरत भरे संदेश लिखने वालों के अकाउंट बंद करने से साफ इनकार किया है। ट्विटर की पब्लिक पॉलिसी प्रमुख कैरन वाइट के मुताबिक, 'हम ट्वीट्स का बहाव जारी रखने के लिए वनचबद्ध हैं। हालांकि अभिव्यक्ति की आजादी और हिंसा या नफरत फैलाने वाली हरकत के बीच बहुत साफ अंतर होता है।'
 
यूरोपीय संघ की जस्टिस कमिश्नर वेरा यूरोवा ने इंटरनेट कंपनियों के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि, 'इंटरनेट अभिव्यक्ति की आजादी की जगह है, न कि नफरत भरे बयानों की।'
 
इस समस्या का सामना सिर्फ यूरोपीय देश ही नहीं कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर करीबन हर जगह ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सोशल मीडिया स्टेटस को उस शख्स की निजी राय समझने के बजाए उस पर हो हल्ला करने का माहौल बन चुका है। अभिव्यक्ति की आजादी और सेंसरशिप के बीच यह मामला इतना उलझ चुका है कि सरकारें इसमें हाथ डालने से बच रही हैं।
 
रिपोर्ट: ओएसजे/वीके (एपी, एएफपी)
Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

अगला लेख