रइफ बदावी: फ्रीडम ऑफ स्पीच की मिसाल

Webdunia
बुधवार, 25 फ़रवरी 2015 (19:31 IST)
जेल में कैद सऊदी अरब के ब्लॉगर रइफ बदावी को डॉयचे वेले के पहले 'फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड' से सम्मानित किया जाएगा। जर्मनी का अंतरराष्ट्रीय प्रसारक यह पुरस्कार अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन अवॉर्ड्स 'द बॉब्स' के दौरान देगा।

डॉयचे वेले के महानिदेशक पेटर लिमबुर्ग ने रइफ बदावी को सम्मानित करने के निर्णय की वकालत करते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति से लिया गया फैसला है, 'वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मानवाधिकार के लिए बहादुरी, निडर प्रतिबद्धता से खड़े हुए। हमारे सम्मान के द्वारा एक ताकतवर संकेत जाना चाहिए और उनकी तकदीर पर दुनिया भर की नजर और असरदार ढंग से पड़नी चाहिए। हमें उम्मीद है कि इससे सऊदी अरब प्रशासन पर दबाव और बढ़ेगा, आखिरकार बदावी रिहा होंगे।'

कनाडा में रहने वाली बदावी की पत्नी इंसाफ हैदर ने डॉयचे वेले से बातचीत में इस पहल की सराहना की, 'डीडब्ल्यू का फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड सऊदी सत्ता को साफ संदेश भेजता है। यह शर्मनाक है कि राइफ अब भी जेल में बंद हैं। खासतौर पर इस वक्त सऊदी अरब मानवाधिकारों को कुचलने वाले संगठन 'इस्लामिक स्टेट' के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है। इस सहयोग के लिए मैं तहेदिल से डॉयचे वेले की शुक्रगुजार हूं।'

10 साल की जेल, 1000 कोड़े : इस साल पहली बार फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड दिया जा रहा है। यह ब्लॉग प्रतिस्पर्धा में 'द बॉब्स- बेस्ट ऑफ ऑनलाइन एक्टिविज्म' श्रेणी में दिया जाएगा। यह 11वां मौका है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त काम करने वाले ऑनलाइन-एक्टिविज्म और नेटवर्क प्रोजेक्ट को सम्मानित किया जाएगा। डीडब्ल्यू फ्रीडम ऑफ स्पीच अवॉर्ड और बॉब्स की तीन ज्यूरी वाली श्रेणियों के विजेताओं को 23 जून को बॉन में डॉयचे वेले के ग्लोबल मीडिया फोरम में सम्मानित किया जाएगा।

31 साल के ब्लॉगर रइफ बदावी को मई 2014 में सऊदी अरब की अदालत ने 1,000 कोड़ों और 10 साल की जेल की सजा सुनाई। उन पर करीब 2,00,000 यूरो का जुर्माना भी लगाया गया। नौ जनवरी को सार्वजनिक रूप से पहली बार उन्हें 50 कोड़े मारे गए। सजा के अनुसार उन्हें हर शुक्रवार को 50 कोड़े लगाए जाने थे। लेकिन पहली बार कोड़े लगाने के बाद से अब तक यह आपराधिक कृत्य रुका हुआ है, कहा जा रहा है कि मेडिकल कारणों के चलते ऐसा हुआ है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का बहादुर : रइफ बदावी अपने देश में कई सालों से अभिव्यक्ति की आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह अपनी वेबसाइट 'फ्री सऊदी लिबरल' के जरिए सऊदी अरब के सामाजिक और राजनीतिक अन्याय की ओर ध्यान खींचते हैं। उदाहरण के लिए उन्होंने अपने एक व्यंग्य भरे लेख में धार्मिक पुलिस की आलोचना की, देश की एक बड़ी यूनिवर्सिटी को आतंकवादियों को अड्डा कहा और वेलेंटाइन्स डे के बारे में लिखा, जो सऊदी अरब में सख्ती से प्रतिबंधित है।

2008 में पहली बार बदावी पर 'इस्लाम का मजाक उड़ाने वाले' एक 'इलेक्ट्रॉनिक पन्ने' को शुरू करने के आरोप लगे। आरोप लगने के बाद उन्होंने कुछ महीनों के लिए देश छोड़ दिया। लेकिन कानूनी धाराएं लगने के बाद वह फिर सऊदी अरब लौटे। 2009 में सऊदी प्रशासन ने उन की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया। 17 जून 2012 को प्रशासन ने उन्हें फिर गिरफ्तार लिया और दिसंबर में अदालत के सामने पेश किया। आरोप: अपनी वेबसाइट में इस्लाम के धार्मिक नेताओं का मजाक उड़ाना।

किश्तों में मौत : उनका केस उच्च अदालत में भेजा गया, जहां बदावी पर अपना धर्म त्यागने के आरोप लगाए गए, सऊदी अरब में इसके लिए मौत की सजा भी मिल सकती है। उनके एक बयान को सबूत बनाया गया, जिसमें बदावी ने कहा कि मुस्लिम, यहूदी, ईसाई और नास्तिक, सभी एक समान है। हालांकि धर्म त्याग का आरोप बाद में गिरा दिया गया। बदावी की पत्नी अपने तीन बच्चों के साथ 2013 में कनाडा चली गईं, अब परिवार वहां राजनीतिक शरणार्थियों के तौर पर रहा है।

बदावी को भले ही मौत की सजा न दी गई हो, लेकिन मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि 20 हफ्तों तक हर सप्ताह 50 कोड़े, ये भी धीमी मौत है। जर्मनी की ग्रीन पार्टी के नेता टॉम कोएनिग्स इसे 'किश्तों में मौत' करार देते हैं। जर्मनी के विदेश मंत्री फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने बदावी की सजा को 'क्रूर, गलत, अन्याय और पूरी तरह असंगत' करार दिया है।

- मार्टिन मुनो/ओएसजे
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