अमेरिका में गर्भपात के लिए दवा हासिल करने पर लगीं पाबंदियां

DW
शुक्रवार, 18 अगस्त 2023 (10:18 IST)
Abortion Drug: अमेरिका की एक संघीय कोर्ट ने अबॉर्शन यानी गर्भपात के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक दवा पर प्रतिबंध लगाया है। यह फैसला तब तक अमल में नहीं आएगा जब तक यह साफ नहीं होता कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने का इच्छुक है या नहीं। न्यू ओरलिएंस स्थित कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने कहा है कि माइफेप्रिस्टोन नाम की यह दवाई, गर्भावस्था के शुरुआती 7 हफ्तों में ही लेने की इजाजत होगी, 10 हफ्तों में नहीं।
 
इसके साथ ही इसे पोस्ट से मंगाने पर भी रोक लगाई गई है। कोर्ट के इस कदम ने महिलाओं के शरीर और प्रजनन के अधिकार संबंधी बहस को एक बार फिर हवा दे दी है। अमेरिका में होने वाले आधे से ज्यादा गर्भपात के मामलों में इस दवा का प्रयोग होता है।
 
कोर्ट ने क्या कहा?
 
कोर्ट का फैसला यह भी कहता है कि गोली तभी मिलेगी जब डॉक्टर ने इसकी सलाह दी हो। बेंच में शामिल 3 में से 2 कंजरवेटिव विचारधारा वाले जजों की नियुक्ति पूर्व प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रंप ने की थी और एक की जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने। अबॉर्शन का विरोध करने वाले गुट माइफेप्रिस्टोन को बैन करने की मांग करते रहे हैं। लंबे समय से काम आ रही इस दवा के बारे में उनका दावा है कि यह असुरक्षित है।
 
अपीलीय कोर्ट ने कहा कि फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने साल 2000 में इस दवा को मान्यता दी थी और 2016 से यह आमतौर पर उपलब्ध है लेकिन 'यह सुनिश्चित करने में चूक गया कि इसे इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के लिए यह सुरक्षित है या नहीं?'
 
मई महीने में इस मामले की सुनवाई के दौरान 3 जजों ने सरकार की इस दलील को नहीं माना कि माइफप्रिस्टोन का इस्तेमाल जारी रखने या ना रखने का फैसलाएफडीए पर छोड़ देना चाहिए। इस मामले ने टेक्सस राज्य की एक जिला कोर्ट के फैसले के बाद तूल पकड़ा है जिसमें माइफेप्रिस्टोन को बैन करने की बात कही गई। जबकि न्यू ओरलिएंस कोर्ट ने दवा पर बैन लगाने के बजाए उसे हासिल करने पर पाबंदियां लगाई हैं। अब गेंद सुप्रीम कोर्ट के पाले में है।
 
सुप्रीम कोर्ट पर निगाहें
 
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले को रोकते हुए मामला न्यू ओरलिएंस की अदालत में भेजा था लेकिन इस फैसले के बाद अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि वहां इस पर सुनवाई होगी कि यही फैसला लागू होगा। गर्भपात के अधिकार के मसले पर जून के बाद यह सबसे अहम मौका है। तब सुप्रीम कोर्ट ने अबॉर्शन का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया था। उस समय से अब तक 20 से ज्यादा अमेरिकी राज्यों ने गर्भपात पर या तो बैन लगा दिया है या फिर उसकी प्रक्रिया को जटिल बनाया है।
 
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन ज्यां-पिएर ने एक बयान जारी करके कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट इसी फैसले को कायम रखता है तो यह जरूरी स्वास्थ्य सुविधा हासिल करने की औरतों की क्षमता पर बहुत बुरा असर डालेगा। यह सुरक्षित और कारगर दवाएं पास करने की एफडीए की वैज्ञानिक प्रक्रिया को बड़ा झटका होगा।
 
-एसबी (एएफपी)

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

साइबर फ्रॉड से रहें सावधान! कहीं digital arrest के न हों जाएं शिकार

भारत: समय पर जनगणना क्यों जरूरी है

भारत तेजी से बन रहा है हथियार निर्यातक

अफ्रीका को क्यों लुभाना चाहता है चीन

रूस-यूक्रेन युद्ध से भारतीय शहर में क्यों बढ़ी आत्महत्याएं

सभी देखें

समाचार

Election Results : कुछ ही घंटों में महाराष्ट्र और झारंखड पर जनता का फैसला, सत्ता की कुर्सी पर कौन होगा विराजमान

LG ने की आतिशी की तारीफ, कहा- केजरीवाल से 1000 गुना बेहतर हैं दिल्ली CM

टमाटर अब नहीं होगा महंगा, जनता को मिलेगी राहत, सरकार ने बनाया यह प्लान

अगला लेख