अंतरिक्ष में बनी बस्तियों का टैक्स कौन वसूलेगा

Webdunia
सोमवार, 29 जुलाई 2019 (11:26 IST)
नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहले कदम को मानवता के लिए बड़ा कदम कहा था तब उन्हें अंदाजा नहीं रहा होगा कि आने वाले दिनों में इस कदम से कारोबार की राह निकलेगी।
 
चांद पर इंसान के पहला कदम पड़ने की आधी सदी के बाद एक नई रेस शुरू हो चुकी है जिसका मकसद कारोबार के लिए फायदे जुटाना है। तकनीकी जगत की बड़ी कंपनियों के साथ ही कई स्टार्टअप कंपनियों ने चांद के लिए बड़ी बड़ी योजनाएं बना ली हैं। इनमें स्पेस टूरिज्म से लेकर क्षुद्र ग्रहों की खुदाई और आकाश में विशाल विज्ञापनों तक की तैयारी है और इसके लिए करोड़ों का निवेश हो रहा है।
 
अंतरिक्ष से जुड़ा कारोबार फिलहाल 350 अरब अमेरिकी डॉलर का है जिसके अगले 20 सालों में तकरीबन तीन गुना हो जाने के आसार हैं। यह आकलन अमेरिकी इनवेस्टमेंट बैंक मॉर्गन स्टैनले का है। तेज विकास की संभावनाओं वाला बाजार संसाधनों पर विवाद की आशंका भी पैदा कर रहा है। इंसान ब्रह्मांड का कितना इस्तेमाल करे इसे नियमित करने के लिए कानून की मांग उठने लगी है।
 
चांद पर खोज के लिए बने जापान के स्टार्टअप आईस्पेस के प्रवक्ता आरोन सोरेंसन का कहना है, "हमारा मानना है कि 2040 तक चांद पर करीब 1000 लोग रह रहे होंगे और  काम कर रहे होंगे जबकि सालाना यात्रियों की संख्या 10 हजार होगी। हमारी कंपनी की नजर बाहरी अंतरिक्ष में मानव की मौजूदगी को बढ़ाना है। हम मानते हैं कि इसकी शुरुआत पृथ्वी की अर्थव्यवस्था के चांद पर विस्तार से होगी।"
 
दोबारा इस्तेमाल होने वाले कारोबारी रॉकेटों जैसी तकनीकी ने प्रक्षेपण के खर्च में कमी ला दी है और इस वजह से स्टार्टअप और निवेशकों की रुचि इसमें बढ़ गई है। टेस्ला के चीफ इलॉन मस्क और एमेजॉन डॉट कॉम के संस्थापक जेफ बेजोस अंतरिक्ष में बस्तियां बसाना चाहते हैं। इसके लिए वे अत्याधुनिक अंतरिक्ष यान बनाने पर भारी निवेश कर रहे हैं।
 
इसके साथ ही भारत, चीन और अमेरिका जैसे देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रम भी कारोबार के लिए धन मुहैया कराने का जरिया बन सकते हैं। कंपनियां अंतरिक्ष होटल, ब्रह्मांड के लिए कारोबारी बीमा, अंतरिक्ष के लिए विज्ञापन और अंतरिक्ष में उत्पादन जैसे कारोबार के लिए मौके तलाश रही हैं। इन कंपनियों को उम्मीद है कि तकनीक कारोबारी अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए नई संभावनाएं पैदा करेगी।
 
सोरेंसन की कंपनी पृथ्वी और चांद के बीच जल्दी जल्दी सफर के लिए शटल विकसित कर रही है। इलॉन मस्क की स्पेसएक्स और बेजोस की ब्लू ऑरिजिन पहली निजी कंपनी बनने की तैयारी में हैं जो इंसानों को अंतरिक्ष में ले जाएंगे। कई कंपनियां क्षुद्रग्रहों पर खुदाई करके खनिज और धातु निकालने की संभावना का पता लगाने में जुटे हैं। अब तक यह बात साइंस फिक्शन में ही सोची जाती रही है लेकिन इन लोगों का मानना है कि एक दो दशक में यह संभव हो सकता है।
 
इससे पहले कि यह हकीकत बन जाए, अलग अलग देशों की सरकारें भी इन नए बाजारों का फायदा उठाने की कोशिश में हैं। अमेरिका और लग्जमबुर्ग ने ऐसा कानून बनाया है जिसका लक्ष्य। ग्रहों पर संपत्ति के अधिकार देना और अंतरिक्ष में खुदाई के लिए नियम बनाना है। रूस ने भी एक साल पहले यह संकेत दिया कि वह भी इस तरह का कानून लाएगा।
 
अंतरिक्ष को लेकर चल रही अटकलों से कम से कम एक बात तो जरूर सामने आ गई है कि इसके इस्तेमाल को लेकर फिलहाल कोई अंतरराष्ट्रीय कानून या समझौता नहीं है। इसके साथ ही ऐसे कानूनों की जरूरत और गहरी दूरदृष्टि रखने की भी मांग हो रही है। 1967 में एक बाहरी अंतरिक्ष समझौता हुआ था जिस पर 100 से ज्यादा देशों ने सहमति जताई थी। इस समझौते में अंतरिक्ष कानून के लिए  मुख्य रुपरेखा बनाई गई थी और इसके मुताबिक यह तय हुआ था कि कोई भी देश बाहरी अंतरिक्ष पर मालिकाना हक का दावा नहीं करेगा और यह सबके इस्तेमाल के लिए मुफ्त रहेगा।
 
अमेरिका की नेब्रास्का लिंकन यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष कानून के प्रोफेसर फ्रांस फॉन डेयर डंक का कहना है, "उस वक्त हर कोई यही सोचता था कि अंतरिक्ष केवल कुछ देशों के लिए और सैन्य उपयोग के लिए है। किसी ने इस तरह के कारोबारी विकास की बात नहीं सोची थी, जैसा कि हम आज सोच रहे हैं। तो इस लिहाज से बहुत कुछ है जिसे स्पष्ट करना जरूरी है।"
 
बड़े सवाल यही हैं कि क्या कंपनियां अंतरिक्ष के खनिजों पर दावा कर सकती हैं। अगर ऐसा हुआ तो देशों के बीच संसाधनों के बंटवारा किस आधार पर होगा और क्या यह उचित तरीके से होगा। बात यहीं खत्म नहीं होती सवाल यह भी है कि अंतरिक्ष में जिस तरह से कचरा बढ़ रहा है जो पृथ्वी के इर्द गिर्द चक्कर काट रहे हैं उनकी सफाई कौन करेगा। इनमें टूटे उपग्रह, रॉकेट के इस्तेमाल हो चुके हिस्से जैसी चीजें शामिल हैं और जिनसे अंतरिक्ष यानों को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है।
 
फॉन डेयर डंक का कहना है, "अगर ऐसे ही चलता रहा तो शायद अगले 10 या 20 सालों में सुरक्षित अंतरिक्ष अभियान चला पाना करीब करीब नामुमकिन होगा क्योंकि हर तरफ कचरा चक्कर काट रहा होगा। एक और चिंता यह है कि एमेजॉन और स्पेसएक्स जो हजारों उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहे हैं वो अंतरिक्ष में जाम लगा देंगे और इनके आपस में टकराने का खतरा भी पैदा हो जाएगा
 
ब्रिटेन की नॉर्थउम्ब्रिया यूनिवर्सिटी में अंतरिक्ष कानून के विशेषज्ञ क्रिस्टोफर न्यूमैन का कहना है कि अंतरिक्ष में कारोबार के लिए नियम बनाने से कमर्शियल ऑपरेटरों को फायदा हो सकता है। इससे उन्हें स्थायित्व के साथ ही खर्च और जोखिम का साफ साफ पता चल सकेगा। हालांकि दुनिया के देशों में इन संसाधनों के उपयोग और कारोबार के लिए नियम बनाने पर कोई सहमति बन पाएगी इसके आसार कम ही हैं।
 
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत

अगला लेख