इंसान के पैदल चलना सीखने की कहानी में नया मोड़

DW
शनिवार, 9 नवंबर 2019 (13:28 IST)
दक्षिणी जर्मनी में मिले जीवाश्मों से एक कपि के बारे में जानकारी मिली है, जो करीब 1.16 करोड़ साल पहले जिंदा था। इसकी खोज इंसानों के 2 पैरों पर चलने की कहानी में नाटकीय बदलाव ला सकती है। बुधवार को वैज्ञानिकों ने बताया कि डैन्यूवियस गुगेनमोसी नाम का यह कपि, इंसान और कपि दोनों के गुणों से लैस है। इसके निचले अंग 2 पैरों पर चलने के लिए अनुकूलित हैं, तो लंबी बांहें फैलकर पेड़ों की शाखाएं पकड़ने में माहिर।
 
इससे पता चलता है कि डैन्यूवियस सीधे खड़े होकर 2 पैरों पर चल सकता था, साथ ही यह पेड़ों पर उछल-कूद करते समय अपने दोनों हाथों और दोनों पैरों का बखूबी इस्तेमाल करता था। सीधे खड़े होकर चलने वाले ज्ञात कपियों में यह अब तक का सबसे पुराना कपि है।
 
इस खोज से पता चलता है कि 2 पैरों पर चलने की कला इंसान और बंदरों के साझे पूर्वज कपियों में हुई थी। इसी समूह में चिम्पैंजी, बोनोबो, गुरिल्ला और ओरांगउटन भी आते हैं। हालांकि बाकी जीवों से अलग इस कपि का आवास अफ्रीका की बजाय यूरोप में था। अफ्रीकी में आधुनिक मानव के पूर्वज होमो सेपियंस की उत्पत्ति करीब 3 लाख साल पहले मानी जाती है।
 
2 पैरों पर चलने वाले जीव का अब तक का सबसे पुराना जीवाश्म महज 60 लाख साल पुराना था, जो केन्या में मिला था। यह इंसान के ही लुप्त हो चुके पूर्वजों में शामिल ओरोरिन टुगेनेनसिस का था जिसके पैरों के निशान भूमध्यसागरीय द्वीप क्रीट में भी मिले थे।
 
अगर डैन्यूवियस इंसान का पूर्वज साबित हो जाता है, तो इसका मतलब होगा कि इसके वंशजों ने किसी वक्त अफ्रीका का रुख कर लिया था। रिसर्च का नेतृत्व करने वाली जर्मनी की ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर मादेलेन बुएमे कहती हैं कि 2 पैरों वाली चाल की उत्पत्ति क्यों, कब और कहां हुई? इसे डैन्यूवियस ने नाटकीय रूप से बदल दिया है।
 
डैन्यूवियस की खोज 2 पैरों पर चलने की पुरानी कहानी को बदल सकती है। अब तक यह माना जाता रहा है कि 60 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में चिम्पैंजी जैसे एक जीव ने 2 पैरों पर चलना शुरू किया। पर्यावरणीय बदलावों के कारण खुले मैदानों और कभी जंगलों से भरे इलाकों में सावन्ना का विकास इसकी वजह थी। बुएमे का कहना है कि यह मिसाल अब कमजोर हो गई है या फिर दूसरे शब्दों में हमें गलत साबित कर दिया गया है।
 
डैन्यूवियस यह दिखाता है कि सीधे खड़े होकर चलने की खोज जमीन पर न होकर पेड़ों पर हुई थी। बुएमे ने यह भी कहा कि पहले जो माना जा रहा था कि इंसान और कपि के आखिरी साझे पूर्वज ने इसे कई चरणों में नहीं विकसित किया।
 
पहले माना जाता था कि इंसान ने सीधे खड़े होने से पहले झुककर चलना सीखा था। आज के कपियों की तुलना में डैन्यूवियस छोटा है, हालांकि नर कपि का आकार नर चिम्पैंजी और बोनोबो के काफी करीब है। नर का वजन करीब 30 किलो है जबकि मादा का 20 किलो। डैन्यूवियस की लंबाई महज 3 फीट है।
 
डैन्यूवियस जहां रहते थे वह जगह गर्म थी, जो जंगलों और घुमावदार नदियों से भरी सपाट जमीन पर बसी थी। कम से कम 4 डैन्यूवियस के जीवाश्म जर्मनी के बवेरिया राज्य के अलगाउ इलाके में मिले हैं। कई अहम अंग मिले हैं, हालांकि पूरी खोपड़ी नहीं मिली है। हाथ-पैरों की हड्डियां, रीढ़ की हड्डी, उंगली और अंगूठों की हड्डियां मिली हैं जिनकी मदद से रिसर्चरों ने उसकी चाल का पता लगाया है। वैज्ञानिक डैन्यूवियस की कलाई, कूल्हे, घुटने और टखने के जोड़ों की गतिविधियों का भी पता लगाने में सफल रहे हैं।
 
एनआर/आईबी (एपी)

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