ब्रिटेन चाहता है कि जी-7 देश तालिबान के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाएं। मंगलवार को इस समूह की बैठक होनी है, जिसमें ब्रिटेन यह प्रस्ताव ला सकता है। ब्रिटिश प्रधानमंत्री मंत्री बोरिस जॉनसन ने अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए जी-7 देशों की एक आपात बैठक बुलाई है। समूह में मौजूदा अध्यक्ष ब्रिटेन के अलावा अमेरिका, इटली, फ्रांस, जर्मनी, जापान और कनाडा के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
एक सरकारी अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने खबर दी है कि ब्रिटेन का मानना है कि जी-7 को तालिबान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने के बारे में सोचना चाहिए और यदि तालिबान मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है और अपने क्षेत्र को आतंकवादियों के लिए पनाह के तौर पर इस्तेमाल होने देता है तो मानवीय आधार पर दी जाने वाली मदद रोक ली जानी चाहिए।
रविवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पत्रकारों को बताया था तालिबान ने अमेरिकी सेना के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है और अमेरिकी लोगों को एयरपोर्ट आने देने का अपना वादा भी मोटे तौर पर निभाया है। अमेरिकी सेना ही काबुल हवाई अड्डे पर नियंत्रण बनाए हुए है। जब बाइडन से पूछा गया कि क्या वह ब्रिटेन के तालिबान पर प्रतिबंधों के प्रस्ताव का समर्थन करेंगे तो उन्होंने कहा कि जवाब है, हां। यह व्यवहार पर निर्भर करेगा।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत
तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर नियंत्रण कर लिया था और अपदस्थ राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर चले गए थे। उसके बाद से बहुत बड़ी संख्या में अफगान और विदेशी नागरिक देश छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। बहुत से लोगों को डर है कि तालिबान 20 साल पुराने अपने क्रूर नियम फिर से लागू कर सकता है।
रविवार को जॉनसन ने ट्विटर पर कहा कि यह बहुत जरूरी है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय मिलकर लोगों को निकालने का काम करे ताकि एक मानवीय संकट को रोका जा सके और अफगान लोगों की पिछले 20 साल में हासिल हुई तरक्की को बचाने में मदद की जा सके। ब्रिटिश विदेश मंत्री डॉमिनिक राब ने पिछले हफ्ते कहा था कि तालिबान पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रतिबंधों का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन एक पश्चिमी कूटनीतिज्ञ के मुताबिक तालिबान के खिलाफ किसी तरह के प्रतिबंधों का फौरन लागू होने की संभावना कम ही है।
अमेरिकी सेना कब तक रुकेगी?
अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिकी फौजों को वापस बुलाने के अपने फैसले को लेकर पहले ही आलोचनाएं झेल रहे हैं। पिछले हफ्ते उन्होंने कहा था कि जी-7 तालिबान के बारे में एक साझा रुख अपनाएगा। वह पहले ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री जॉनसन के अलावा जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और इटली के प्रधानमंत्री मारिया द्रागी से अलग-अलग बातचीत कर चुके हैं।
जॉनसन चाहते हैं कि अमेरिकी फौजों की तालिबान से पूरी तरह निकलने की समयसीमा को 31 अगस्त से आगे बढ़ा दिया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को वहां से निकाला जा सके। बाइडन ने कहा है कि वह इस प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं। अमेरिकी सेना ने कहा है कि व्यवसायिक विमानों को काबुल से लोगों को लाने का आदेश दिया गया है। अमेरिका सेना ने 18 कमर्शल विमानों को इस काम के लिए लगाया है।