भारत में पहली बार किसी राज्य ने गर्मियों में पानी की कमी से निपटने के लिए 'जल बजट' बनाया है। जल विशेषज्ञों के मुताबिक, केरल की इस पहल से पानी की मांग और आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी।
केरल सरकार का जल बजट देश की किसी भी राज्य सरकार द्वारा लाया गया पहला जल बजट है। केरल में नदियों, झीलों, तालाबों और जलधाराओं की अच्छी संख्या है लेकिन राज्य मॉनसून में अच्छी बारिश के बावजूद गर्मी के मौसम में पानी की समस्या से जूझता है। केरल के ऐसे कई इलाके हैं जहां हर साल गर्मी के दौरान पानी का संकट खड़ा हो जाता है।
जल बजट आवश्यक हो गया है-केरल
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को जल बजट के पहले चरण का विवरण जारी किया। उन्होंने कहा कि राज्य में पानी की उपलब्धता में कमी दिखाई दे रही है, इसलिए जल बजट जरूरी हो गया ताकि इस बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन का उचित इस्तेमाल हो सके और इसकी बर्बादी पर भी रोक लगे।
जल विशेषज्ञों ने इस पहल का स्वागत किया है और कहा है कि इससे राज्य को पानी की मांग और आपूर्ति की पहचान करने और उसके अनुसार वितरण करने में मदद मिलेगी क्योंकि असली समस्या पानी की उपलब्धता नहीं बल्कि उसका प्रबंधन है।
एससीएमएस जल संस्थान के निदेशक और जल विशेषज्ञ डॉक्टर सनी जॉर्ज कहते हैं, "यह कमी की समस्या नहीं बल्कि प्रबंधन की समस्या है।" उन्होंने कहा, "संसाधन का प्रबंधन करने के लिए आपको सबसे पहले इसकी मात्रा निर्धारित करने की जरूरत है। यह किसी भी संसाधन के प्रबंधन का मूल सिद्धांत है।"
असली समस्या पानी का प्रबंधन
उन्होंने कहा, "अगर हम किसी संसाधन को उसकी मात्रा निर्धारित किए बिना प्रबंधित करने की कोशिश करते हैं, तो यह अपनी ही छाया से लड़ने जैसा होगा। यह एक तरह से मुश्किल होगा। लेकिन अगर हमारे पास मांग और आपूर्ति के आंकड़े हैं, तो हम एक स्पष्ट तस्वीर विकसित कर सकते हैं और उसके मुताबिक योजना बना सकते हैं। इसलिए जल बजट तैयार करना बहुत मददगार होगा और यह निश्चित रूप से एक अच्छा कदम है।"
मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि राज्य में 44 नदियां, कई झीलें, तालाब और नहरें हैं और अच्छी बारिश के बावजूद कुछ इलाकों में गर्मियों में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा, "इसलिए क्षेत्र में उपलब्ध पानी के अनुसार पानी के उपयोग को विनियमित किया जाएगा। यह पानी का बजट है। इससे लोगों में अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद न करने के बारे में जागरूकता पैदा होगी और हम इसके माध्यम से पानी बचाने के लक्ष्य को हासिल कर सकेंगे।"
भारत में पानी की बर्बादी गंभीर समस्या
भारत में औसत सालाना बरसात से चार हजार अरब घन मीटर पानी आता है जो देश में ताजा पानी का प्रमुख स्रोत भी है। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश की दर अलग अलग है। भारत में करीब 20 रिवर बेसिन हैं। घरेलू, औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए अधिकांश रिवर बेसिन सूख रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में पानी की मांग भी एक जैसी नहीं है। कृषि कार्य में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है। 85 प्रतिशत से भी ज्यादा। बढ़ती आबादी की जरूरतें और तेज आर्थिक गतिविधियां भी पहले से संकट का सामना कर रहे जल स्रोतों पर अतिरिक्त दबाव डाल रही हैं।
जल प्रबंधन के लिए देश में कई प्रणालियों का उपयोग हो रहा है, इसके बावजूद बड़ी मात्रा में पानी बहकर समंदर में चला जाता है। जल प्रबंधन और बरसात के पानी को बचाने के मुद्दे पर सालों से चर्चा हो रही है लेकिन केरल ने एक कदम आगे बढ़कर सबके लिए एक मिसाल पेश किया है।