आखिर बिगड़ते क्यों जा रहे हैं भारत-बांग्लादेश के संबंध

DW
बुधवार, 4 दिसंबर 2024 (07:46 IST)
प्रभाकर मणि तिवारी
बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के शपथ लेने के बाद से हुई कई घटनाओं में भारत के साथ उसके रिश्तों में कड़वाहट बढ़ती दिख रही है। इधर, त्रिपुरा में हुई हिंसा ने आग में घी डालने का काम किया है।
 
देशद्रोह के आरोप में बांग्लादेश के चटगांव से इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद यह अब तक दोनों देशों के बीच के रिश्ते हाल के सालों के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गए हैं। इसके विरोध में जहां त्रिपुरा में बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग के दफ्तर पर हमले हुए हैं वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र से बांग्लादेश में संयुक्त राष्ट्र शांति सेना भेजने की मांग की है। त्रिपुरा सरकार ने बकाया रकम नहीं मिलने की स्थिति में बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई रोकने की धमकी दी है।
 
इस बीच, अदाणी पावर ने भी बकाए का भुगतान नहीं होने की वजह से झारखंड संयंत्र से बांग्लादेश को बिजली की सप्लाई आधी कर दी है। मोटे अनुमान के मुताबिक, कंपनी का बांग्लादेश पर करीब नौ करोड़ डॉलर की रकम बकाया है। 
 
त्रिपुरा के होटल मालिकों ने बांग्लादेशी नागरिकों को कमरा नहीं देने का फैसला किया है। बंगाल में कई अस्पतालों और डॉक्टरों ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज नहीं करने या तिरंगे को सलाम करने के बाद ही इलाज करने की बात कही है।
 
त्रिपुरा में क्या हुआ
इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के विरोध में सैकड़ों लोग पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला स्थित बांग्लादेश के सहायक उच्चायोग दफ्तर के परिसर में घुस गए। उन्होंने वहां प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। भीड़ ने बांग्लादेशी झंडे को पैरों तले कुचल कर अपनी नाराजगी जताई। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ ही भारत सरकार ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इस पर गहरी नाराजगी जताई है। सोमवार रात को ढाका विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया और भारत विरोधी नारे लगाए।
 
त्रिपुरा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चिरंजीव चक्रवर्ती ने डीडब्ल्यू को बताया, "बांग्लादेश मिशन में भीड़ के घुसने से वहां कर्मचारियों को कोई परेशानी नहीं हुई। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को फौरन वहां से हटा दिया था। रैली का आयोजन करने वाले हिंदू संघर्ष समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने बाद में सहायक उच्चायोग को एक ज्ञापन सौंपा था"।
 
सरकार ने इस मामले में ड्यूटी में लापरवाही का दोषी मानते हुए एक डीएसपी समेत चार पुलिसवालो के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। इनमें से तीन सब-इंस्पेटकों को निलंबित कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने इस घटना के बाद देश में बांग्लादेश के तमाम सहायक उच्चायोग दफ्तरों की सुरक्षा बढ़ा दी है।
 
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी
बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव में बीते 25 नवंबर को एक हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण दास को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। अगले दिन अदालत में पेशी के दौरान उनके वकील पर भी जानलेवा हमला किया गया था। चिन्मय कृष्ण की रिहाई की मांग में भारत में हिंदू संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। त्रिपुरा में भी हिंदू संघर्ष समिति नामक संगठन ने इसी के विरोध में रैली निकाली थी। बाद में वह भीड़ सहायक उच्चायोग के दफ्तर में घुस गई।
 
दूसरी ओर, चिन्मय कृष्ण को मंगलवार को चटगांव की एक अदालत में पेश किया गया था। लेकिन उनके पक्ष में किसी वकील के खड़ा नहीं होने की वजह से जमानत की याचिका की सुनवाई नहीं हो सकी। चिन्मय कृष्ण को दोबारा चटगांव जेल भेज दिया गया है।
 
इस बीच, त्रिपुरा के होटल मालिकों ने किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को होटल में कमरे और रेस्तरां में खाना नहीं देने का फैसला किया है। ऑल त्रिपुरा होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही कथित हिंसा के विरोध में सोमवार को अपनी एक आपात बैठक में यह फैसला किया है। एसोसिएशन के महासचिव सैकत बनर्जी डीडब्ल्यू से कहते हैं, "बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएं तो पहले भी होता रही हैं। लेकिन अब पानी सिर के ऊपर से गुजरने लगा है। इसलिए हमने किसी भी बांग्लादेशी नागरिक को खाना और रहने की जगह नहीं देने का फैसला किया है।"
 
मरीजों के इलाज से इनकार किया
बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले के विरोध में त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में कुछ अस्पतालों और डॉक्टरों ने बांग्लादेशी मरीजों का इलाज करने से इनकार कर दिया है। कुछ मशहूर डॉक्टरों ने अपने निजी क्लीनिक में तिरंगा लगा कर एलान किया है कि इसे सलामी नहीं देने वाले बांग्लादेशी मरीजों का इलाज नहीं किया जाएगा।
 
त्रिपुरा ने बांग्लादेश से बिजली की सप्लाई के एवज में बकाया 135 करोड़ की रकम का तुरंत भुगतान करने की मांग की है। राज्य के बिजली मंत्री रतन लाल नाथ डीडब्ल्यू से कहते हैं, "बकाया रकम बहुत ज्यादा हो गई है। इसका असर राज्य बिजली निगम की आर्थिक स्थिरता पर पड़ने लगा है। ऐसे में अब लंबे समय तक बिजली की सप्लाई जारी रखना संभव नहीं होगा।"
 
त्रिपुरा राज्य बिजली निगम ने इससे पहले इस साल मई में भी सौ करोड़ से ज्यादा की रकम बकाया होने की वजह से बिजली की सप्लाई में कटौती कर दी थी।
 
त्रिपुरा सरकार ने अगरतला से कोलकाता जा रही एक भारतीय बस पर बांग्लादेश के ब्राह्मणबेरिया इलाके में हुए हमले पर भी गहरी चिंता जताई है, परिवहन मंत्री सुशांत चौधुरी ने पत्रकारों से बातचीत में बांग्लादेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह खुद को जल्दी सुधार ले वरना भारतीय अधिकारी सही समय पर समुचित कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेंगे।
 
उधर, झारखंड स्थित अपने बिजली संयंत्र से अदाणी पावर बांग्लादेश को हर महीने औसतन एक हजार मेगावाट बिजली की सप्लाई करती थी। लेकिन मोटी रकम बकाया होने के कारण उसने इसमें करीब 50 प्रतिशत की कटौती कर दी है। कंपनी के एक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू को बताते हैं, बांग्लादेश पर कंपनी का करीब नौ सौ मिलियन डॉलर बकाया है। अदाणी पावर से मिलने वाली बिजली पर बांग्लादेश सरकार को सालाना करीब 2.7 अरब डॉलर की सब्सिडी देनी पड़ती है। वह 14.87 का प्रति यूनिट की दर से मिलने वाली इस बिजली को घरेलू ग्राहकों को 9.57 का प्रति यूनिट की दर से सप्लाई करती है।
 
राजनीतिक विश्लेषक और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर रहे कोलकाता के डॉ. सुविमल घोष डीडब्ल्यू से कहते हैं, "शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट लगातार बढ़ रही है। लेकिन इस्कॉन से जुड़े चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी ने इस मामले में आग में घी डालने का काम किया है। फिलहाल रिश्तों में पनपी इस कड़वाहट के निकट भविष्य में कम या खत्म होने की कोई उम्मीद नहीं नजर आती।"

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