ग्राउंड जीरो के हीरो ग्लेन क्लाइन

Webdunia
गुरुवार, 11 अगस्त 2011 (18:30 IST)
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बहुत से दूसरे लोगों के विपरीत पुलिसकर्मी ग्लेन क्लाइन 11 सितंबर 2001 को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के जलते टावरों की ओर दौड़े थे। न कि अपनी जान बचाने के लिए वहां से भागे थे। इस घटना ने उनका जीवन पूरी तरह से बदल दिया।

यह एक खास अमेरिकी शहर में एक खास अमेरिकी मकान है। हरा भरा लॉन, उजला बाड़ा और गेट के सामने घंटा। तीन साल की कुतिया कोको। उसके मालिक ग्लेन क्लाइन कहते हैं कि लोग उसे अच्छे लगते हैं। रिटायर्ड पुलिसकर्मी अब बीते दस सालों के बारे में बात करने को तैयार हैं। लेकिन उनकी पत्नी कारोल पत्रकारों से बात करने को साफ साफ मना कर देती हैं। उनकी अपनी वजहें हैं।

अपनी पत्नी की ओर से ग्लेन कहते हैं, 'जब कारोल ने किडनी दान करने का फैसला किया था को सभी चैनल वाले उससे बात करना चाहते थे, लेकिन उसने कहा, इसीलिए में यह नहीं करूंगी।'

पत्रकारों की दिलचस्पी इसलिए भी बहुत ज्यादा थी क्योंकि किडनी पाने वाला कोई ऐरा गैरा नहीं था। ग्लेन कहते हैं, 'वह मेरा दोस्त और सहकर्मी था जो इसलिए बीमार हो गया कि उसने ग्राउंड जीरो पर काम किया था।' दोनों न्यूयॉर्क पुलिस की विशेष टुकड़ी ईएसयू के सदस्य थे। वे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के दूसरे टॉवर के गिरने से ठीक पहले मौके पर पहुंचे थे।

जहरीली धूल फांकी : उसके बाद वे दस महीने तक वहां तैनात रहे। पहले दिन से अंतिम दिन तक, जब तक कि सारा मलबा वहां से हटा नहीं लिया गया। काम के 800 घंटे से ज्यादा, कभी न कभी ग्लेन ने गिनना छोड़ दिया। क्योंकि वे विशेष टुकड़ी के सदस्य थे उनके पास 11 सितंबर 2001 को एक गैस मास्क था। ग्लेन कहते हैं कि शायद इसकी वजह से वे गंभीर परिणामों से बच गए। उसके बाद उन्हें सांस लेने के लिए सुरक्षा उपकरण मिले लेकिन फिल्टर बहुत ही महीन जहरीली धूल से उन्हें बचा नहीं सका।

ग्लेन क्लाइन बीमार हो गए, उन्हें पेट की समस्या हो गई। बीमारी अभी तक खत्म नहीं हुई है। ग्लेन कहते हैं, 'हमने ऐसे क्षेत्रों में काम किया जिनके बारे में कहा जा रहा था कि वहां बिना किसी खतरे के सांस ली जा सकती है, लेकिन यह सच नहीं था।' सरकार ने झूठ बोला था, 'क्योंकि वे ग्राउंड जीरो को शेयर बाजार के कारण जल्द से जल्द फिर से पटरी पर लाना चाहते थे।'

दोस्तों की व्यर्थ खोज : 11 सितंबर को ग्लेन क्लाइन की ड्यूटी नहीं थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने दुर्घटना के बारे में सुना उन्होंने तुरंत ड्यूटी के लिए रिपोर्ट की। 'मैंने वायरलेस संदेश सुना, और मुझे याद है कि पुलिसवाले चिल्ला रहे थे- 'इमारत से दूर रहो, वहां शरीर गिर रहे हैं, लोग कूद रहे हैं।'

उन्होंने बस इतना सोचा कि हे भगवान, यह क्या हो रहा है? वे द दूसरा टॉवर गिरने से पहले ही ग्राउंड जीरो पर पहुंच गए थे। वहां जाकर उन्हें पता चला कि उनके 14 साथी मलबे के नीचे दब गए हैं। वे उन सबको जानते थे, सालों उनके साथ काम किया था। वे एक परिवार जैसे थे।

लापता पुलिसकर्मी भी ग्लेन की ही तरह तंदरुस्त और हट्टे कट्टे थे, बचाव के लिए प्रशिक्षित, लोगों को मुश्किल से निकालने में दक्ष। ग्लेन को उम्मीद थीं, 'मैंने सोचा था कि यहां यदि कोई जीवित रहेगा तो हमारे जवान।' ग्लेन और उनके साथियों ने उनकी खोज शुरू की। लेकिन दो पुलिसकर्मियों के अलावा वे किसी को जीवित नहीं बचा पाए।

ग्लेन को एक बूट मिला जिसमें एक पांव अटका था, एक पैंट जिसमें उन्होंने कागजात खोजे। 'आठ या दस दिन बाद उन्हें साफ हुआ कि यह कोई बचाव अभियान नहीं था।'

समाप्त हो गई शक्ति : पुलिस सेवा में 20 साल काम करने के बाद ग्लेन क्लाइन ने 2003 में पेंशन ले ली। कराटे के विशेषज्ञ और लंबी दूरी के रनर क्लाइन शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके थे। वे सुस्ती और दमे के शिकार हो गए। पत्नी से हमेशा झगड़ते, गुस्सैल हो गए और दारू की लत लग गई। 2004 में उन्होंने मनोचिकित्सक की मदद ली। उन्हें पोस्ट ट्रॉमा स्ट्रेस था।

ग्लेन की समझ में कुछ नहीं आया, 'मैंने मनोचिकित्सक से पूछा कि मुझे पोस्ट ट्रॉमेटिक तनाव की बीमारी कैसे हो गई जबकि मैं अपनी सारी जिंदगी मौत और तबाही से निबटता रहा हूं।' डॉक्टर ने बताया कि यह व्यक्तिगत मामला है। ग्लेन की समझ में आया कि इसका संबंध 14 साथियों की मौत से है। 'यह ऐसा था कि जैसे कोई मेरे घर में घुस आया हो और मेरे पूरे परिवार को मार डाला हो।'

इस बीच ग्लेन की तबियत बेहतर है। वे अभी भी अवसाद के शिकार हैं और पहले की तरह चुस्त नहीं हैं, लेकिन अच्छे दिन बढ़ रही है और वे जॉगिंग तथा कराटे भी करने लगे हैं। 'फीलगुड' संगठन में मानद काम ने भी उनकी मदद की है। यह संगठन ऐसे लोगों की मदद करता है जिनकी हालत ग्लेन से भी ज्यादा खराब है। वे जांच के लिए ऐसा डॉक्टरी खर्च भरने की हालत में नहीं हैं जो बीमा कंपनियां नहीं उठातीं।

यादें ताजा हैं : ग्राउंड जीरो के बहुत से बचावकर्मी इस बीच चिकित्सीय मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ग्लेन कहते हैं, 'आरंभिक बचावकर्मियों में से 1010 की इस बीच मौत हो गई है, लेकिन इस बीच निश्चय ही सैकड़ों ऐसे दमकलकर्मी हैं जो सारे देश से हमारी मदद के लिए आए थे और बहुत सारे राहतकर्मियों को संभवतः पता ही नहीं चलेगा कि वे क्यों बीमार हो गए हैं। सूचनाओं का राष्ट्रीय स्तर पर आदान प्रदान नहीं हो रहा है।'

ग्लेन क्लाइन 11 सितंबर को भुला नहीं सकते। कैंसर का शिकार होने का भय भी बना रहता है। खासकर अब, घटना की 10वीं वर्षगांठ पर यादें फिर से ताजा हो गई हैं। कभी कभी वे सोचते हैं, 'आपको एक द्वीप पर रहना होगा, टेलिविजन देखना, अखबार पढ़ना बंद करना होगा, और किसी से बात नहीं करनी होगी, तब शायद चलेगा।'

लेकिन फिर कहते हैं, 'तब भी 11 सितंबर दिमाग से बाहर नहीं निकलेगा।' कम से कम एक अच्छा समाचार है- उनके दोस्त और सहकर्मी, जिसे उनकी पत्नी ने किडनी दी थी, फिर से स्वस्थ हो गए हैं।

' वह अब सामान्य जिंदगी जी सकता है, अपने बच्चों के साथ डिजनीलैंड जा सकता है, छुट्टी बिता सकता है, फिर से डायलिसिस करवाने की जरूरत नहीं है।'

ग्लेन बताते हैं कि उनके दोस्त की तबियत ठीक है और उसके बाद ऐसा कुछ करते हैं जो वे ग्राउंड जीरो के बारे में बताते हुए सामान्य तौर पर नहीं करते। वे मुस्कुराते हैं।

लेख : क्रिस्टीना बैर्गमान/मझा
संपादन : प्रिया एसेलबॉर्न

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