ब्रिटेन के बराबर आबादी को भारत में है साफ पानी की कमी

Webdunia
शुक्रवार, 24 मार्च 2017 (14:41 IST)
देश की बड़ी ग्रामीण आबादी अब भी पानी की किल्लत से जूझ रही है। एक अंतरराष्ट्रीय गैरलाभकारी संस्था ने दावा किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के करीब 6।3 करोड़ लोगों के पास अब भी पीने योग्य साफ पानी की कोई व्यवस्था नहीं है।
 
अंतरराष्ट्रीय चैरिटी संस्था वाटरएड की रिपोर्ट के मुताबिक देश में साफ पानी की कमी से जूझ रहे ग्रामीणों की संख्या लगभग ब्रिटेन की कुल आबादी के बराबर है। इसके बाद चीन का नंबर आता है। चीन की भी लगभग 4.4 करोड़ ग्रामीण आबादी को साफ जल नहीं मिल रहा है। तीसरे स्थान पर नाइजीरिया और इथोपिया का स्थान है। इन दोनों देशों में लगभग 4 करोड़ ग्रामीण भी इस समस्या से ग्रस्त हैं। 22 मार्च को मनाये जाने वाले विश्व जल दिवस के मौके पर संस्था ने ये आंकड़े जारी किये हैं।
 
वाटरएड के भारत कार्यकारी वीके माधवन ने अपने एक बयान में कहा, "ऐसे अधिकतर लोग गरीब ग्रामीण क्षेत्रों से संबंध रखते हैं। साफ पानी के लिये इनके संघर्ष को जलवायु परिवर्तन ने और बढ़ा दिया है।" उन्होंने कहा कि कुल 35 भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 27 में आपदाओं का खतरा बना हुआ है। सबसे गरीब और सबसे ज्यादा हाशिये पर रह रहे लोग अत्यंत कठोर मौसमी घटनाओं और जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतेंगे।
 
संस्था ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दुनिया भर में करीब 66.3 करोड़ लोगों को स्वच्छ जल नहीं मिलता। इनमें से करीब 80 फीसदी लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
 
पानी की कमी से जूझ रहे अधिकतर देश जलवायु परिवर्तन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं मसलन तूफान, बाढ़ और सूखे का कहर झेल रहे हैं। इसके अतिरिक्त, इन क्षेत्रों में हैजा, मलेरिया, डेंगू जैसी तमाम बीमारियों का आतंक भी बढ़ रहा है और कुपोषण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। कृषि पर निर्भर ग्रामीण समुदाय भी खाद्य उत्पादन के लिये संघर्ष कर रहे हैं।
 
भारत वैसे तो दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, लेकिन नौत्रे दाम ग्लोबल अडैप्टेशन इंडेक्स के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के तीव्र प्रभावों का भी भारत पर जोरदार असर पड़ेगा और देश इस दिशा में बदलाव लाने को बहुत तैयार भी नहीं दिखता। देश की नरेंद्र मोदी सरकार ने साल 2014 में 'स्वच्छ भारत' अभियान की शुरुआत की थी। लेकिन जानकारों का मानना है कि इस दिशा में जल्द ही बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है।
- एए/आरपी (रॉयटर्स) 
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