गांव का आकर्षण : सैलानियों के लिए गांव में खास तैयारियां की जाती हैं। इस बात का ख्याल रखा जाता है कि उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो। इसीलिए शहरों की तरह वेस्टर्न टॉयलेट भी बनाए गए हैं। हालांकि गांव में होने वाली बिजली की कटौती का उन्हें सामना करना पड़ता है। और अधिकतर लोगों को इस से कोई दिक्कत भी नहीं। बल्कि वह इसमें भी गांव का आकर्षण ढूंढते हैं।
दिल्ली से अपने परिवार के साथ झज्जर पहुंचे राकेश बुद्धिराजा कहते हैं, 'हमारे बच्चों को गांव के जीवन के बारे में कुछ भी नहीं पता, तो हमने सोचा इसमें उन्हें मजा भी आएगा और हम भारत के एक अलग रूप को भी देख लेंगे।'
प्रदीप सिंह ने पिछले कुछ समय में सैलानियों के बर्ताव में बदलाव भी देखा है, 'पहले यहां स्कूली बच्चे आया करते थे। वे गोबर देख कर चहरे बनाने लगते थे, गांव वालों पर और उनकी बोली पर हंसते थे।' जैसे-जैसे लोगों को पर्यटन के इस विकल्प के बारे में पता चल रहा है वे खुद को गांव में छुट्टियां बिताने के लिए तैयार करके आने लगे हैं।
अधिकतर लोग अपने साथ पानी, सन स्क्रीन और खाने पीने का समान भी ले कर आते हैं। लेकिन इस से गांव की सुंदरता पर बुरा असर भी पड़ रहा है। लोग जो समान साथ लाते हैं उसे गांव में ही फेंक जाते हैं। पानी की बोतलें, प्लास्टिक की थैलियां, इनसे गांव में गंदगी बढ़ रही है। जो कंपनियां गांव वालों को पर्यटन से जुड़ने में मदद कर रही हैं उनकी कोशिश है कि गांव वालों को इस बात से भी सतर्क कराया जाए कि किस तरह पर्यटन के बावजूद गांव की खूबसूरती बरकरार रहे।
रिपोर्ट: ईबी/एएम(रॉयटर्स)