विश्व की ज्योतिषीय गणना में नवग्रहों और बारह राशियों का उल्लेख है। सभी ग्रहों के राजा सूर्य हैं। अन्य ग्रह हैं- चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु।
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बारह राशियां हैं- मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन। कुंडली के जिस अंक के साथ में चन्द्रमा होता है, उसी अंक पर आने वाली राशि जातक की राशि होती है।
1. मेष राशि के जातक का स्वरूप
मेष राशि में चन्द्रमा के विद्यमान होने पर जातक के लिए कहा गया है-
अर्थात् जिस जातक का जन्म मेष राशि के चन्द्रमा में होता है, वह चंचल नेत्रों वाला, प्राय: रोगी, धर्म और धन दोनों का मूल्यांकन करने वाला, भारी जंघाओं वाला, कृतघ्न, पापरहित, राजा को मान्य, कामिनियों को आनंदित करने वाला, दानी, जल से भयभीत रहने वाला और कठोर कार्य करने वाला परंतु अंत में विनम्र होता है।
2. वृष राशि के जातक का स्वरूप
जिस जातक का जन्म वृष राशि में विद्यमान चन्द्र में होता है, उसका फल इस प्रकार बताया गया है-
अर्थात वृष राशि स्थित चन्द्र में जन्म लेने वाला जातक भोगी, दानी, पवित्र, कुशल, सत्त्वसंपन्न, महान् बली, धनवान, भोग-विलासरत, तेजस्वी और अच्छे मित्रों वाला होता है।
3. मिथुन राशि के जातक का स्वरूप
मिष्टवाक्यो लोलदृष्टिर्दयालुर्मैथुनप्रिय:। गान्धर्ववित्कण्ठरोगी कीर्तिभागी धनी गुणी।। गोरो दीर्घ: पटुर्वक्ता मेधावी च दृढ़व्रत:। समर्थो न्यायवादी च जायते मिथुने नर:।।
( मानसागरी 1। 269-270)
अर्थात मिथुन राशि में जन्म लेने वाला जातक मृदुभाषी, चंचल दृष्टि, दयालु, कामुक, संगीतप्रेमी, कंठ रोगी, यशस्वी, धनी, गुणवान, गौरवर्ण एवं लंबे शरीर वाला, कार्यकुशल, वक्ता, बुद्धिमान, दृढ़ संकल्प, सभी प्रकार से समर्थ और न्यायप्रिय होता है।
अर्थात चन्द्र के कर्क राशि में होने पर जो जातक जन्म लेता है, वह जातक कार्य करने वाला, धनवान, शूर, धार्मिक, गुरु का प्रिय, सिर से रोगी, अतीव बुद्धिमान, दुर्बल शरीर वाला, सभी कार्यों का ज्ञाता, प्रवासी, भयंकर क्रोधी, निर्बल, दु:खी, अच्छे मित्रों वाला, गृह में अरुचि रखने वाला तथा कुटिल होता है।
अर्थात सिंह राशि में चन्द्र के विद्यमान होने पर जातक क्षमाशील, कार्य में समर्थ, मद्य-मांस में सदैव आसक्त, देश में भ्रमण करने वाला, शीत से भयभीत, अच्छे मित्रों वाला, विनयशील, शीघ्र क्रुद्ध होने वाला, माता-पिता का प्रिय, व्यसनी (नशा आदि बुरे कार्यों का अभ्यस्त) तथा संसार में प्रख्यात होता है।
कन्या राशि में उत्पन्न व्यक्ति विलासी, सज्जनों को आनंदित करने वाला, सुंदर, धर्म से परिपूर्ण, दानी, निपुण, कवि, वृद्ध, वैदिक मार्ग का अनुगामी, सभी लोगों का प्रिय, नाटक, नृत्य और गीत की धुन में आसक्त, प्रवासी एवं स्त्री से दु:खी होता है।
तुला राशि में उत्पन्न व्यक्ति अकारण क्रोध करने वाला, दु:खी, मधुरभाषी, दयालु, चंचल नेत्रों एवं अस्थिर धन वाला, घर में ही पराक्रम दिखाने वाला, व्यापार में चतुर, देवताओं का पूजन करने वाला, मित्रों के प्रति दयालु, परदेशवासी तथा मित्रों का प्रिय पात्र होता है।
वृश्चिक राशि में उत्पन्न व्यक्ति बाल्यावस्था से ही परदेश में रहने वाला, क्रूर स्वभाव वाला, शूर, पीले नेत्रों वाला, परस्त्री में आसक्त, अभिमानी, अपने भाई-बंधुओं के प्रति निर्दयी, अपने साहस से धन प्राप्त करने वाला, अपनी माता के प्रति भी दुष्ट बुद्धि वाला, धूर्तता और चोरी की कला का अभ्यास करने वाला होता है।
यदि धनुराशिगत जन्म हो तो शूर, सत्य बुद्धि से युक्त, सात्त्विक, मनुष्यों के हृदय को आनंदित करने वाला, शिल्प (मूर्तिकला)-विज्ञान से संपन्न, धन से युक्त, सुन्दर स्त्री वाला, अभिमानी, चरित्रवान, सुंदर शब्दों को बोलने वाला, तेजस्वी, मोटे शरीर वाला तथा कुल का नाशक होता है।
मकर राशि में जन्म लेने वाला व्यक्ति अपने कुल में नष्ट (सबसे हीन अवस्था वाला), स्त्रियों के वशीभूत, विद्वान, परनिंदक, संगीतज्ञ, सुंदर स्त्रियों का प्रिय पात्र, पुत्रों से युक्त, माता का प्रिय, धनी, त्यागी, अच्छे नौकरों वाला, दयालु, बहुत भाइयों (परिवार) वाला तथा सुख के लिए अधिक चिंतन करने वाला होता है।
11. कुंभ राशि के जातक का स्वरूप
दातालस: कृतज्ञश्च गजवाजिधनेश्वर:। शुभदृष्टि: सदा सौम्यो धनविद्याकृतोद्यम:।। पुण्याढ्य स्नेहकीर्तिश्च धनभोगी स्वशक्तित:। शालूरकुक्षिर्निर्भीक: कुम्भे जातो भवेन्नर:।।
( मानसागरी 1। 285-286)
यदि कुंभ राशि में जन्म हो तो मनुष्य दानी, आलसी, कृतज्ञ, हाथी, घोड़ा और धन का स्वामी, शुभ दृष्टि एवं सदैव कोमल स्वभाव वाला, धन और विद्या हेतु प्रयत्नशील, पुत्र से युक्त, स्नेहयुक्त, यशस्वी, अपनी शक्ति से धन का उपभोग करने वाला तथा निर्भीक होता है।
जिसका जन्म मीन राशि में होता है, वह गंभीर चेष्टा करने वाला, शक्तिशाली, बोलने में चतुर, मनुष्यों में श्रेष्ठ, क्रोधी, कृपण, ज्ञानसंपन्न, श्रेष्ठ गुणों से युक्त, कुल में प्रिय, नित्य सेवाभाव रखने वाला, शीघ्रगामी, नृत्य-गीतादि में कुशल, शुभ दर्शन वाला तथा भाई-बंधुओं का प्रेमी होता है।