कुंडली में होती है 8 प्रकार की योगिनी दशा, जानें शुभ-अशुभ संकेत, क्या मिलता है फल...

पं. प्रणयन एम. पाठक
जन्म कुंडली में योगिनी का अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान होता है। बिना योगिनी के भविष्यवाणी की सफलता में संदेह बना रहता है। अत: किसी भी जातक को अपनी शुभ-अशुभ योगिनी की जानकारी होना चाहिए तथा अशुभ योगिनी की शांति तुरंत करवाना चाहिए, क्योंकि यह प्रारंभ में ही कष्ट देना शुरू कर देती है। ये योगिनियां 8 प्रकार की होती हैं।
 
1. मंगला- मंगला योगिनी 1 वर्ष की होती है। इस समय जातक को सफलता, यश, धन एवं अच्छे कार्यों से प्रशंसा प्राप्त होती है।
 
2. पिंगला- पिंगला 2 वर्ष की होती है। इसमें जमीन-जायदाद, भाई-बंधु की चिंता, मानसिक कष्ट, अशुभ समाचार, हानि, अपमान, बीमारी से कष्ट आदि होते हैं।
 
3. धान्या- धान्या की दशा में धन प्राप्ति के योग होते हैं। इसका समय 3 वर्ष का होता है। राजकीय कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

 
4. भ्रामरी- यह 4 वर्ष की होती है एवं 4 वर्ष तक अशुभ यात्रा, कष्ट, व्यापार में हानि, कर्ज की चिंता आदि अन्य अशुभ कार्य भ्रामरी के कारण होते हैं।
 
5. भद्रिका- भद्रिका 5 की होती है। इसकी दशा में धन-संपत्ति का लाभ होता है। सुंदर स्त्रियों एवं सुखोपभोग की प्राप्त होती है। राजकीय कर्मचारी को पदोन्नति प्राप्त होती है।
 
6. उल्का- उल्का 6 वर्ष की योगिनी होती है। इस समय नाना प्रकार के कष्टों से जातक परेशान हो जाता है। मानहानि, शत्रु भय, ऋण, रोग, कोर्ट केस, पारिवारिक कष्ट, मुंह, सिर, पैर में रोग होते हैं।

 
7. सिद्धा- सिद्धा की दशा 7 वर्ष की होती है। इसमें बुद्धि, धन व व्यापार में वृद्धि होती है। घर में विवाह आदि कार्य होते हैं।
 
8. संकटा- संकटा योगिनी 8 वर्ष की होती है। यह धन, बल, व्यापार व परिवार से संबंधित नाना प्रकार के कष्ट देकर जातक को भयभीत कर देती है। अपने ही जनों का विसंयोग होता है। इस प्रकार ये आठों योगिनियां जातक के भविष्य को प्रभावित करती हैं।
 
 
जानिए इन योगिनियों का फल :- 
 
* यदि संकटा में संकटा योगिनी हो तो मृत्यु या मृत्युतुल्य कष्ट होता है। घर-परिवार को छोड़ना पड़ता है। संकटा में जब मंगला का अंतर होता है तो सिर की बीमारी व पत्नी को कष्ट होता है।
 
* संकटा में जब पिंगला का अंतर होता है, तब रोग एवं शत्रु से कष्ट होता है। संकटा में जब धान्या के अंतर्गत भ्रामरी के अंतर में विवाद, स्थानातंरण व यात्रा में कष्ट आदि फल होते हैं। 
 
* संकटा के अंतर्गत सिद्धा दशा में पुत्र लाभ, सुख एवं व्यापारोन्नति आदि शुभ फल होते हैं। ठीक इसी प्रकार आगे योगिनियों में अन्य अंतर आते हैं एवं शुभाशुभ फल प्रदान करते हैं।
 
* संकटा में जब भद्रिका का अंतर होता है, तब अपने जनों से कष्ट, रोग तथा सामान्य लाभ प्राप्त होता है। संकटा में जब उल्का का अंतर होता है, तब घर-परिवार में असामंजस्य, विवाद, धोखा आदि फल प्राप्त होते हैं।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments

ज़रूर पढ़ें

Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के दौरान करें ज्योतिष के 10 खास उपाय

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025: कन्या पूजा और भोज के नियम और विधि

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर दुर्गा चालीसा पढ़ने के खास नियम जरूर जानें

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 9 नहीं इस बार 10 दिनों की, जानिए कौनसी तिथि रहेगी 2 दिन

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर नौदुर्गा के 9 दिनों के 9 मंत्र, 9 नैवेद्य और 9 स्तुति

सभी देखें

नवीनतम

Shadashtak Yoga 2025: शनि मंगल का षडाष्टक योग, 3 राशियों को मिलेगा लाभ ही लाभ

Sharadiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि के 10 चमत्कारिक उपाय: जीवन में सुख, शांति और समृद्धि के लिए

Indo pak war: क्या पाकिस्तान करेगा भारत पर अटैक या होगा आतंकवादी हमला?

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर सप्तमी की देवी कालरात्रि की कथा, मंत्र और पूजा विधि

Shardiya navratri 2025: शारदीय नवरात्रि पर चतुर्थी की देवी कूष्मांडा की कथा, मंत्र और पूजा विधि

अगला लेख