कैसे होता है मंगल दोष परिहार, जानिए....

पं. प्रणयन एम. पाठक
यदि कन्या या वर को जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें स्थान में मंगल हो तो कुंडली मंगली होती है। 100 में से 80 कुंडली के मंगल का परिहार स्वयं की कुंडली में ही हो जाता है।
 

 
मंगल दोष परिहार
 
मंगल के साथ चन्द्र गुरु शनि में से कोई भी एक ग्रह हो अथवा शनि की पूर्ण दृष्टि हो तो ऐसी कुंडली में मंगल दोष किंचित मात्र भी नहीं रहता है। मेष का मंगल लग्न में हो, वृश्चिक का चौथा, मीन का 7वां, कुंभ का 8वां, धनु का 12वां हो तो मंगल दोष का परिहार हो जाता है।


 
यदि केंद्र त्रिकोण में गुरु हो या केंद्र में चन्द्रमा हो या 6-11वें भाव में राहु हो, मंगल के साथ राहु अथवा मंगल को गुरु देखता हो अथवा मंगल से दूसरा शुक्र हो तो मंगल शुभ होकर समृद्धिकारक हो जाता है।
 
गुरु बलवान हो, शुक्र लग्न अथवा 7वां हो, मंगल वक्री नीच या शत्रु के घर का हो या अस्त हो तो दोष नहीं होता है।

Show comments

ज़रूर पढ़ें

सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश, 12 राशियों का राशिफल जानें

भविष्यवाणी: ईरान में होगा तख्तापलट, कट्टरपंथी खामेनेई की ताकत का होगा अंत!

4 खतरनाक योग चल रहे हैं, इसलिए बचकर रहें ये 5 तरह के लोग

भगवान जगन्नाथ की यात्रा में जा रहे हैं तो साथ लाना ना भूलें ये चीजें, मिलेगा अपार धन और यश

कुंडली में अल्पायु योग से बचने के 10 उपाय

सभी देखें

नवीनतम

18 जून 2025 : आपका जन्मदिन

18 जून 2025, बुधवार के शुभ मुहूर्त

क्या ओरफिश का मिलना महाप्रलय का है संकेत? जानिए हिंदू पुराणों में क्या है मछली और प्रलय का कनेक्शन

वर्ष का सबसे लंबा दिन 21 जून को, जानें कारण और महत्व

भविष्यवाणी: 5 भविष्यवाणियां सच होकर ही रहेगी, कोई टाल नहीं सकता