कुंडली में शुक्र की स्थिति से जानिए कैसा होगा आपका व्यक्तित्व

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जन्मपत्रिका के बारह घर और शुक्र बताएगा कैसे हैं आप... 
 

 
ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह की अपनी खास पहचान है। वह स्त्री, प्रणय, वैभव, विलास, विवाह आदि का कारक ग्रह है। जिसके लग्न स्थान में शुक्र हो वह अत्यंत सुंदर होता है। ऐसा व्यक्ति दीर्घायु, स्वस्थ, सुखी, मृदुभाषी, विद्वान तथा कामी होता है।

जन्म के समय शुक्र ग्रह का 12 भावों में फल इस प्रकार होता है :- 
 
1. लग्न में शुक्र हो तो जातक दीर्घायु सुंदर, ऐश्वर्यवान, मधुर भाषी, भोगी, विलासी, प्रवासी और विद्वान होता है। 
 

 



 

2. दूसरे भाव शुक्र हो तो धनवान, यशस्वी, साहसी, कवि एवं भाग्यवान होता है। 


 

 


3. तीसरे भाव में शुक्र हो तो धनी, कृपण, आलसी, चित्रकार, पराक्रमी, विद्वान, भाग्यवान एवं पर्यटनशील होता है। 

 
 

 


4. चौथे भाव में शुक्र हो तो जातक बलवान, परोपकारी, आस्तिक, सुखी, भोगी, पुत्रवान एवं दीर्घायु होता है। 
 

 

 


5. पांचवें भाव में शुक्र हो तो सद्गुणी, न्यायप्रिय, आस्तिक, दानी, प्रतिभाशाली, वक्ता एवं व्यवसायी होता है। 
 

 

 


6. छठे भाव में शुक्र हो तो जातक स्त्री सुखहीन, बहुमित्रवान, दुराचारी, वैभवहीन एवं मितव्ययी होता है। 
 

 

 


7. सातवें भाव में शुक्र हो तो स्त्री से सुखी, उदार, लोकप्रिय, धनिक, विवाह के बाद भाग्योदयी, अल्पव्याभिचारी एवं विलासी होता है। 


 

 


8. आठवें भाव में शुक्र हो तो निर्दयी, रोगी, क्रोधी, ज्योतिषी, मनस्वी, पर्यटनशील एवं परस्त्रीरत होता है। 


 

 

9. नौवें भाव में शुक्र हो तो आस्तिक, गृहसुखी, प्रेमी, दयालु, तीर्थस्थानों की यात्रा करने वाला, राजप्रिय एवं धर्मात्मा होता है। 
 

 

 


10. दसवें भाव में शुक्र हो तो विलासी, ऐश्वर्यवान, न्यायवान, धार्मिक, गुणवान एवं दयालु होता है। 


 

 


11. ग्यारहवें भाव में शुक्र हो तो जातक विलासी, वाहनसुखी, स्थिर लक्ष्मीवान, परोपकारी, धनवान, कामी एवं पुत्रवान होता है। 


 

 


12.  बारहवें भाव में शुक्र हो तो न्यायशील, आलसी, पतित, परस्त्रीरत, धनवान एवं मितव्ययी होता है। 


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