धन के महत्व को प्रतिपादित करते हुए भर्तृहरि ने 'नीतिशतक' में लिखा है- ' यस्याति वित्तम् स नरः कुलीनः स पंडितः स श्रुद्वान गुणज्ञः। स एव वक्ता स च दर्शनीयः सर्वे गुणाः काञ्चनम् आश्रयंते॥'
जिस व्यक्ति के पास धन होता है वही 'कुलीन' होता है। सब उसकी बात सुनते हैं, वही विद्वान माना जाता है और वही दर्शनीय है तथा धनवान को ही सर्वगुण संपन्न माना जाता है।
आप भी अपनी कुंडली देखकर जान सकते हैं कि आपके धनवान बनने के कितने चांस हैं।
जन्मकुंडली में 12 (बारह) खाने होते हैं, जिन्हें 'घर', 'स्थान' अथवा 'भाव' कहा जाता है। इसमें पांचवें घर को फणकर, त्रिकोण तथा पंचम भाव कहा जाता है।
कुंडली में इसी पंचम भाव में स्थित राशि, ग्रह एवं उस पर लाभ स्थान में स्थित ग्रहों की पड़ने वाली दृष्टि से अनायास धन प्राप्ति तथा धनवान योग का पता चलता है।
यदि आपकी कुंडली में निम्न ग्रह हो तो आप हो सकते हैं धनवान : -