धृतराष्ट्र ने अपने कोप भवन में चुनावी कुरुक्षेत्र का हाल जानने हेतु संजय को बुलाया और कहा -' हे संजय, चैनलों में देखकर बता कि कुरुक्षेत्र में मेरे पुत्रों के क्या हाल हैं ?'
संजय ने बताय ा : हे धृतराष्ट्र, युद्ध तो अभी प्रारंभ ही नहीं हुआ और प्रमुख सेनापति के पद हेतु तलवारबाजी प्रारंभ हो गई है । सेनापतियों ने रातोरात अपने खेमे बदल लिए हैं । कल तक जो बीजद एनडीए के साथ 11 वर्षों से पतिव्रता धर्म निभा रही थी, आज छोड़कर लाल ध्वजा वालों के साथ नाता कर रही है । एनडीए के आडवाणी जी प्रधान बनने वाले नहीं तो अपनी फौज को क्यों मरवाएँ?
धृतराष्ट्र ने कहा : भाड़ में जाए एनडीए । अभी तो चंद्रबाबू और नवीन बाबू ही भागे हैं । अब देखना शरद बाबू और नीतीश बाबू का भी क्या ठिकाना ? ममता और जयललिता तो पूर्व से ही ललिता पंवार बनी हुई हैं। तू तो भगवाधारियों का हाल बता, वे तो एक हैं न ?
संजय : महाराज वहाँ भी गड़बड़ चल रही है । बाल ठाकरे अड़े हैं मराठी में 'आमचा पीएम पाहिजे ही पाहिजे' अगर सिंधी, गुजराती, कर्नाटकी, कश्मीरी, उत्तर प्रदेशीय बन सकता है तो मराठाओं ने चूड़ियाँ नहीं पहन रखी हैं । वे बता देंगे कि राजसिंहासन पर मराठा ही बैठने का सच्चा अधिकारी है । वे शिवाजी की जय-जयकार करने लगते हैं और शरद पवार को ही सेनापति बनाने को उधार बैठे हैं, आडवाणी तो हर्गिज नहीं ।
धृतराष्ट्र : भाड़ में जाएँ मराठा सरदार । बता कि अपनी भाजपा तो उनके साथ ही है न ?
संजय : महाराज अभी तक तो भैरोसिंह-कल्याण सिंह ने ही खम ठोंक रखी है लेकिन अब थिंक-टैंक माने जाने वाले जेटली भी उबल रहे हैं वे कह रहे हैं कि राजनाथ को बुद्धिजीवियों की नहीं, तंबू लगाने वाले मित्तलों की अधिक जरूरत है । वे भी बैठकों का बहिष्कार कर रहे हैं । पूरी भाजपा में रूठा-रूठी खेल जारी है ।महाराज, यहाँ तक सुना है कि विहिप और मातृ संगठन संघ वाले आडवाणी जी के जिन्ना प्रलाप से अब भी उबरे नहीं हैं । ये तो गुजरात के गौरव मोदी या पंडित मुरली मनोहर को अधिक हिंदुत्ववादी मान रहे हैं । आडवाणी जी को फिफ्टी-फिफ्टी !
धृतराष्ट्र : बंद करो यह चैनल । अब दूसरे पक्ष अर्थात यूपीए का हाल बताओ ।
धृतराष्ट्र की अश्रुधारा बह निकली - क्या मेरा वंश ही मिट जाएगा ? मेरे भारत का क्या होगा ? कहाँ है वह माखनचोर वँशी वाला मधुसूदन श्रीकृष्ण ? अब भी रास ही रचाएगा कि महाभारत युद्ध में कूदेगा ? भाड़ में जाए ये चुनाव और बंद करो ये सभी चैनल !
संजय : वहाँ भी महाराज, अभी तो सन्नाटा है । सोनिया जी अब भी, मेरे तो मनमोहन दूसरा न कोई भजन का टेप बजा रही हैं । राहुल बाबा अभी ट्रेनिंग पीरिएड में हैं। युद्ध में उन्हें कुदा कर अभिमन्यु नहीं बनाना है । मगर बड़े-बड़े मगरमच्छ घात लगाए बैठे हैं क्या पता मनमोहन की वँशी इस बार बजे ही नहीं । वे शारीरिक रूप से भी अशक्त हो रहे हैं । अतः कुरुक्षेत्र में क्या करेंगे ? शरद पवार, अर्जुन सिंह, प्रणव बाबू, लालू यादव, रामविलास पासवान दंड-बैठक तो पेल रहे हैं, क्या पता कब नंबर लग जाए ? जब बिना सांसदों के समर्थन के देवेगौड़ा, गुजराल रातोरात बन गए तो ये क्यों नहीं बन सकते?
धृतराष्ट्र : छोड़ इन सब धुन्नों को, अब बता कि अपने लाल ध्वजाधारी तो ठीकठाक हैं न ?
संजय : महाराज इनकी दशा सबसे खराब है । ये तो लकड़हारे को भी पीएम बनवा दें । कभी माया मेम साहब को हाथी पर बिठाते हैं तो कभी जयललिता की चप्पलों की पूजा करने लगते हैं । कल तक जिस पटनायक ने उड़ीसा में दंगे करवाए, वह अब धर्म-निरपेक्ष और प्रगतिशील बन गया है। उधर गुलाबी मुलायम-अमर की चली तो वे मुन्ना भाई को ही पीएम बनवा दें ।
धृतराष्ट्र की अश्रुधारा बह निकली - क्या मेरा वंश ही मिट जाएगा ? मेरे भारत का क्या होगा ? कहाँ है वह माखनचोर वँशी वाला मधुसूदन श्रीकृष्ण ? अब भी रास ही रचाएगा कि महाभारत युद्ध में कूदेगा ? भाड़ में जाए ये चुनाव और बंद करो ये सभी चैनल !