नटवरलाल का टिकट

व्यंग्यिका

Webdunia
जवाहर चौधरी
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जगदीश्वर लोकप्रिय हो गए तो लोगों ने जिद की कि वे चुनाव में उम्मीदवार बन जाएँ । दबाव में आ कर उन्होंने पुरानी अहिंसक राजनैतिक दल से टिकट के लिये आवेदन कर दिया।

आवेदन में लिखा कि मैं ईमानदारी से गरीबों की सेवा करुँगा। भ्रष्टाचार से दूर रहूँगा। लोगों में ‍िशक्षा और स्वास्थ्य के लिये जागरुकता बढ़ाउँगा। राष्ट्र्‌ के प्रति वफादार रहूँगा और विघटनकारी व टुच्ची राजनीति में हिस्सा नहीं लूँगा । कृपया मुझे टिकट दे कर सेवा का अवसर प्रदान करें ।

टिकट मिलने की पूरी पूरी आशा थी। लोग ढोलक-बाजे और मिठाई ले कर तैयार बैठे थे। घोषणा हुई तो जगदीश्वर का नाम नहीं था , किसी नटवरलाल को टिकट दे दिया गया था।

एक दिन मुलाकात हुई तो जगदीश्वर ने पूछा - भाई तुम्हें टिकट कैसे मिल गया ! क्या तुम्हारा बायोडाटा बहुत भारी था ?

नटवरलाल बोला - काहे का बायोडाटा ! मैंने सिर्फ दो लाइन लिखी थी कि हर माह लाखों बनाउँगा और आधे पार्टी कार्यालय में जमा करुँगा । ...... बस !

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