लद्दाख में मुकाबला लेह और कारगिल के बीच, कांग्रेस क्यों खेल रही है 'डबल गेम'

सुरेश डुग्गर
गुरुवार, 2 मई 2019 (11:46 IST)
जम्मू। बर्फीले रेगिस्तान लद्दाख में लोकसभा चुनावों के लिए चाहे 4 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन सही मायनों में मुकाबला लेह और कारगिल के बीच ही है। नतीजतन कांग्रेस डबल गेम में अपने आपको उलझाए हुए हैं। कारण, वह किसी भी कीमत पर इस संसदीय क्षेत्र को भाजपा से हथियाना चाहती है जितने पिछली बार पहली बार इस पर जीत हासिल की थी।
 
कांग्रेस ने भाजपा के उममीदवार तेजरिंग नामग्याल के मुकाबले में रिजगिन स्पलबार को मैदान में उतारा है। स्पलबार पूर्व जिला प्रधान है। रोचक तथ्य यह है कि लेह में कांग्रेस अपने आधिकारिक उम्मीदवार के साथ-साथ कारगिल से आजाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे असगर करबलाई को भी गैर आधिकारिक तौर पर समर्थन दे रही है।
 
दरअसल करबलाई कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं। वे कारगिल क्षेत्र से हैं और कारगिल के शक्तिशाली धार्मिक ग्रुप से समर्थन पा चुके हैं। इस बार कांग्रेस ने लेह के रहने वाले स्पलबार को इसलिए चुना था क्योंकि भाजपा ने पिछली बार भी लेह निवासी को तरजीह दी थी और अबकी बार भी।
 
कांग्रेस इस सच्चाई से वाकिफ है कि लद्दाख संसदीय क्षेत्र में मतदाता लेह के बौद्ध और कारगिल के मुस्लिमों के तौर पर बंटे हुए हैं। दोनों की संख्या में 19-20 का ही फर्क है।
 
ऐसे में पांच बार लद्दाख की सीट पर काबिज रहने वाली कांग्रेस के समक्ष चुनौती बन खड़ी हुई भाजपा को मैदान में पछाड़ने की खातिर दोनों ही कांग्रेसी उम्मीदवारों को समर्थन देना मजबूरी बन गया है।
 
कांग्रेसी नेता जानते हैं कि भाजपा बौद्धों की सहानुभूति को भुनाने की खातिर इलाके को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने की मांग का समर्थन कर रहे हैं और कांग्रेस का डबल गेम यह है कि अगर वह आधिकारिक उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करते हुए लेह में यूटी की मांग का समर्थन करती है तो उसके नेता अप्रत्यक्ष तौर पर बागी उम्मीदवार के प्रचार में भाग लेते हुए कारगिल में इस मांग का विरोध करते हैं।
 
यह बात अलग है कि प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर बार बार दोहराते हैं कि रिजगिन ही उनके आधिकारिक उम्मीदवार हैं। पर कांग्रेसी हैं कि मानते ही नहीं हैं।
 
यह बात अलग है कि बागी उम्मीदवार असगर करबलाई ने अभी तक पार्टी को कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है जिसमें उनसे चुनाव लड़ने का कारण पूछते हुए उन्हें पार्टी से निकाल देने की धमकी दी गई है परंतु बावजूद इसके उन्हें फिलहाल कांग्रेस से बाहर नहीं किया गया है।

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

Operation Sindoor पर घमासान, भारतीय राजनीति में मीर जाफर और जयचंद की इंट्री

क्या है ऑपरेशन 'मीर जाफर', जिसमें हो रही है देश के गद्दारों की गिरफ्तारी, अब तक 13 गिरफ्त में

आसिम मुनीर को बनाया फील्ड मार्शल, पाकिस्तानी सरकार ने दिया कट्‍टरपंथी जनरल को इनाम

Airtel और Google की partnership से ग्राहकों को फायदा, Free मिलेगी यह सुविधा

क्या है कोरोना का JN.1 वेरिएंट, भारत में कितने मामले, वायरस से देश में कितना खतरा, सरकार कितनी तैयार, किन बातों का आपको रखना होगा ध्यान

सभी देखें

नवीनतम

LIVE: पाकिस्तान में स्कूल बस पर आतंकी हमला, 4 बच्चों की मौत

भारत से जंग और पाकिस्तान के विभाजन का संकेत है फील्ड मार्शल आसिम मुनीर

Share bazaar: पिछले सत्र की भारी गिरावट के बाद शेयर बाजार में आई तेजी, Sensex 268 और Nifty 82 अंक ऊपर चढ़ा

LoC पर बसे गांवों में मुश्किल बने अनफूटे गोले, परेशान करती हैं भयावह यादें

महाराष्ट्र में कोरोना से 2 लोगों की मौत, 52 एक्टिव मरीज

अगला लेख